उसके साथ वो आखिरी सिगरेट थी... मुझसे दूर जाते हुए उसने मुझसे पूछा... क्या हम कभी दोस्त नहीं रह सकते..?
तो मैंने उससे कहा... मैं तुझे कभी अपना दोस्त नहीं मान पाऊंगा... तेरी आंखों में वो रातें कभी अनदेखी नहीं कर पाऊंगा... जिस चेहरे को लेकर मैंने सपने देखे थे... उस चेहरे को किसी और का होकर तुझे दोस्त कभी नहीं मान पाऊंगा... यह फैसला तेरा है..! तुझे मुबारक!... मैं दूर रहकर भी इश्क निभाऊंगा..!
अच्छा, तू कहती है कि दोस्ती कर ले... चल मान लिया पर, एक बात बता तू जो “मैं" हो चुकी है उसको "मुझसे" मिलवाएगी क्या... तेरी कमर पर वो जो निशान अब भी बाकी है उसको दिखाएगी क्या... कभी अगर मुझसे जो टकरा जाए तो मेरे और करीब आने की बहाने नहीं ढूंढेगी क्या..
शराब की खुमारी में चांद को देखते वक्त मुझे याद नहीं करेगी क्या... तू खुद दोस्ती को दोस्ती तक रख पाएगी क्या..!
✤ Ꭻᴏɪɴ ➛ @Khamoshiya
तो मैंने उससे कहा... मैं तुझे कभी अपना दोस्त नहीं मान पाऊंगा... तेरी आंखों में वो रातें कभी अनदेखी नहीं कर पाऊंगा... जिस चेहरे को लेकर मैंने सपने देखे थे... उस चेहरे को किसी और का होकर तुझे दोस्त कभी नहीं मान पाऊंगा... यह फैसला तेरा है..! तुझे मुबारक!... मैं दूर रहकर भी इश्क निभाऊंगा..!
अच्छा, तू कहती है कि दोस्ती कर ले... चल मान लिया पर, एक बात बता तू जो “मैं" हो चुकी है उसको "मुझसे" मिलवाएगी क्या... तेरी कमर पर वो जो निशान अब भी बाकी है उसको दिखाएगी क्या... कभी अगर मुझसे जो टकरा जाए तो मेरे और करीब आने की बहाने नहीं ढूंढेगी क्या..
शराब की खुमारी में चांद को देखते वक्त मुझे याद नहीं करेगी क्या... तू खुद दोस्ती को दोस्ती तक रख पाएगी क्या..!
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