सनातनी हरिप्रकाश सरोहा सरोहा dan repost
*लोग इंद्रियों को हावी होने देते हैं और उच्च और निम्न पदों के बीच फेरबदल करते रहते हैं। लेकिन जो विद्वान वेदों को समझता है वह धर्म को समझता है और डगमगाता नहीं है।* 🔥
*सुट्टा निपत- 503:--------* 🔥
*यो वेदागु ज्ञानरातो सतीमा ।* 🔥
*ऐसे व्यक्ति का समर्थन करना चाहिए जो वेदों का स्वामी हो, चिंतनशील, बुद्धिमान, सहायक हो यदि वह समान गुणों को विकसित करना चाहता है।* 🔥
*सुट्टा निपत- 1059:----------* 🔥
*यम ब्रह्मणं वेदगुं अभिजंज्य अकिंचनं कामभवे अस्त्तम ।* 🔥
*सांसारिक कष्टों से मुक्त हो जाता है यदि वह एक वैदिक विद्वान को समझ सकता है, जिसके पास धन नहीं है और सांसारिक चीजों के प्रति आकर्षण से मुक्त है।* 🔥
*सुट्टा निपत- 1060:----------* 🔥
*विद्वा चा सो वेदागु नरो इधा भवभावे संगम इमाम विसज्जा ।* 🔥
*मैं कहता हूं कि जो वेदों को समझता है वह संसार के प्रति आकर्षण को त्याग देता है और पापों से मुक्त हो जाता है।* 🔥
*सुत्त निपत- 846:-----------* 🔥
*न वेदागु दिठठिया न मुटिया सा मनमेति नहीं तन्मयोसो।* 🔥
*जो वेदों को जानता है, उसे मिथ्या अहंकार प्राप्त नहीं होता। वह अफवाहों और भ्रमों से प्रभावित नहीं होता है।* 🔥
*सुट्टा निपत- 458:------------*🔥
*यदंतगु वेदागु यंजाकाले यस्हुति लाभे तारस इज्जेटी ब्रूमी।* 🔥
*मैं कहता हूं कि जो वैदिक विद्वान के हवन में आहुति प्राप्त करता है उसे सफलता मिलती है।* 🔥
🔥 *सनातन समाज के वर्तमान में चार अंग -- सनातनी हिन्दू , बौद्ध , जैन , सिक्ख------* 🔥
🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
🔥 *ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म--* 🔥
🔥 *सनातनी हिन्दुओं का मूल मंत्र भी ओम।* 🔥
🔥 *बौद्धों का मूल मंत्र 'ओम मणिपद्मेहुं'।* 🔥
🔥 *जैनियों का मूल मंत्र ओम णमो अरिहंताणं।* 🔥
🔥 *सिखों का मूल मंत्र एक ओंकार सतनाम'।* 🔥
🔥 *याद रखो सौदिया अरब में 8000 वर्ष पुराना मंदिर और यज्ञशाला के अवशेष मिला है जो साबित करता है है कि अरब में भी सनातनी हिन्दू समाज का ही बोलबाला था और मुहम्मद ने ईसाई समाज की नकल करके ही सनातन समाज को तोड़कर ही इस्लाम समाज बनाया गया था , मतलब इस्लाम को बनाने वाले मुहम्मद का परिवार पूरी तरह से सनातनी हिन्दू ही था क्योंकि मुहम्मद से बड़े उनके सगे चाचा मक्का के मक्केश्वर महादेव मंदिर में पूजा करते थे और आज भी वहां शिवलिंग मौजूद हैं जिसके चारों और हज के समय मुसलमान लोग चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इस तरह से मक्केश्वर महादेव मंदिर को ही इस्लाम समाज वालों ने अपना धर्म स्थल बनाया है। साबूत के तौर पर मुहम्मद के सगे चाचा की ही लिखी अरबी की कविता पढ़ो जिससे साबित होता है कि इस्लाम के बनने के पहले से अरब क्षेत्र में अरबी लोग महादेव के भक्त थे इसे मुस्लिम देश ईरान ने भी छपवाया था और इस तरह से साबित होता है कि अरब क्षेत्र में सनातन समाज का ही बोलबाला था और मुहम्मद का परिवार महादेव का ही भक्त था ।अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ से अरूल-ओकुल’ के 253 वें पृष्ठ पर मुहम्मद से बड़े मुहम्मद के सगे चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है ! जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है ! ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता आज भी नई दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग पर श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) की वाटिका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम्भ (खम्बे) पर कालीस्याही से लिखी हुई है ! जो इस प्रकार है ---------------* 🔥
*कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक !*
*कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू !1 !* 🔥
*न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा !*
*वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू !2 !* 🔥
*व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ !*
*मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू !3 !* 🔥
*व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन !*
*व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू !4 !* 🔥
*मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम !*
*नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू !5 !* 🔥
🔥 *अर्थात् –(1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो ! (2) यदि अन्त में उसको पश्चाताप हो, और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ? (3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्चपद को पा सकता है ! (4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहां पहुंचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है ! (5) वहां की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है !* 🔥