Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩


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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 21 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी शाम 05:03 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - शुक्ल दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:48 से दोपहर 03:10 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:58*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:05 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 21 से रात्रि 12:52 नवम्बर 22 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग (सूर्योदय से दोपहर 03:35 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹 21 नवम्बर 2024 : गुरुपुष्यामृत योग 🔹*

*🔸पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।*

*🔸 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना सुलभ होता है ।*

*🔸गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*

*🔹घर मे सुख शांति के लिए🔹*

*🔸झाड़ू और पोंछा ऐसी जगह पर नहीं रखने चाहिए कि बार-बार नजरों में आयें । भोजन के समय भी यथासंभव न दिखें, ऐसी सावधानी रखें ।*

*🔸घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या घर-परिवार में अनिष्ट होता है । (वराह पुराण : १८६.४३)*

*🔸५० ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में अवश्य रखना चाहिए । इससे वास्तुदोषों से रक्षा होती है।*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
 
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 20 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - पञ्चमी शाम 04:49 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 02:50 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - शुभ दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:25 से दोपहर 01:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:58*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 20 से रात्रि 12:54 नवम्बर 21 तक*
*⛅विशेष - पञ्चमी को बेल फल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गीर गायों का स्वर्णक्षारयुक्त बिलोना शुद्ध देशी घी*🔹

*🔹वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी शुद्ध जल-वायु एवं जैविक खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार द्रव्यों का सेवन करनेवाली तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहनेवाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त होना तो दुर्लभ ही है । परंतु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की लोकहितकारी विभिन्न सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को उपलब्ध हो रहा है ।*

*🌹पूज्य बापूजी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहनेवाली उत्तम गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहनेवाली इन पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है । इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।*

*🔹देशी गोघृत-सेवन के लाभ :*🔹

🔹 *(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*

🔹 *(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।*

🔹 *(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।*

🔹 *(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*

🔹 *(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*

🔹 *(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*

🔹 *(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*

🔹 *(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*

🔹 *(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*

🔹 *(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*

🔹 *(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*

🔹 *इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*

*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 19 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - चतुर्थी शाम 05:28 तक तत्पश्चात पञ्चमी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - साध्य दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:58*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:04 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 19 से रात्रि 12:51 नवम्बर 20 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से शाम 05.28 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आरती को कैसे व कितनी बार घुमायें ?*🔹

*🌹पूज्य बापूजी के सत्संग–वचनामृत में आता है : जो भी देव हैं उनका एक बीजमन्त्र होता है । आरती करते हैं तो उनके बीजमन्त्र के अनुसार आकृति बनाते हैं ताकि उन देव कि ऊर्जा, स्वभाव हममें आयें और उनकी आभा में हमारी आभा का तालमेल हो और हमारी आभा देवत्व को उपलब्ध हो । इसलिए देवता, सद्गुरु, भगवान् कि आरती की जाती है ।*

*🔹जिस देवता का जो बीजमन्त्र होता है, आरती की थाली से उस प्रकार कि आकृति बना के आरती करते हैं तो ज्यादा लाभ होता है, जैसे आप रामजी कि आरती करते हैं तो उनका ‘रां’ बीजमन्त्र है तो ‘रां’ शब्द आरती में बनाना ज्यादा लाभ करेगा । देवी की आरती करते हैं तो सरस्वतीजी का ‘ऐं’ अथवा लक्ष्मीजी का ‘श्रीं’ बना दें । गणपतिजी का बीजमंत्र है ‘गं’ तो थाली से उस प्रकार कि आकृति बना दें । अब कौन-से देव का कौन-सा बीजमन्त्र है यह पता नहीं है तो सब बीजमन्त्रो का एक मुख्य बीजमन्त्र है ‘ॐ’कार । आरती घुमाते–घुमाते आप ॐकार बना दें । सभी देवी-देवताओं के अंदर जो परब्रह्म-परमात्मा है उसकी स्वाभाविक ध्वनि ॐ है ।*

*🔹तो ‘ॐ’ बनायें अथवा देव के चरणों से घुटनों तक ( ४ बार) फिर नाभि के सामने (२ बार) फिर मुखारविंद के सामने (१ बार) फिर एक साथ सभी अंगो में (७ बार) आरती घुमाये । इससे देव के गुण व स्वभाव आरती घुमानेवाले के स्वभाव में थोड़े थोड़े आने लगते हैं ।*

*🔹आरती का वैज्ञानिक आधार*🔹

*🔹अभी तो बिज्ञानी भी दंग रह गये कि भारत की इस पूजा-पद्धति से कितना सारा लाभ होता है ! उनको भी आश्चर्यकारक परिणाम प्राप्त हुए । अब विज्ञानी बोलते हैं कि आरती करने से अगर विशेष व्यक्ति है तो उसकी विशेष ओरा और सामान्य व्यक्ति कि ओरा एकाकार होने लगती है । वैज्ञानिकों की दृष्टि में केवल आभा है तो भी धन्यवाद ! किन्तु आभा के साथ-साथ विचार भी समान होते हैं, साथ ही हमारे और सामनेवाले के शरीर से निकलनेवाली तरंगो का विपरीत स्वभाव मिटकर हमारे जीवन में प्रकाश का भाव पैदा होता है ।*

*🔹जैसे घी, पेट्रोल और फूलों आदि की अपनी अलग-अलग गंध होती है, ऐसे ही हर मनुष्य की अपनी आभा होती है । अभी तो किर्लियन फोटोग्राफी द्वारा उस आभा का फोटो भी लिया जा सकता है । जब देवता या सद्गुरु के आगे आरती करते हैं तो उनकी आभा को अपनी आभा के साथ एकाकार करने की प्रक्रिया में दीपक उत्प्रेरक (catalytic agent) का काम करता है ।*

*🔹आयु-आरोग्य प्राप्ति व शत्रुवृद्धि शमन हेतु🔹*

*🔹आरती करने से इतने सारे लाभ होते हैं और आरती देखने से भी लाभ होता है : गुरुद्वार पर कि हुई आरती के दर्शन करने से आपके ऊपर शत्रुओं की डाल नही गलती । दीपज्योती आयु-आरोग्य प्रदायक और शत्रुओ कि वृद्धि का शमन करनेवाली है । पड़ोसी या प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के इतने शत्रु नहीं होते जितने मनुष्य जीवन में काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रु हैं । तो आरती के दर्शन करने से शत्रुओ कि वृद्धि का शमन होता ।*

*🔹शास्त्रों के अनुसार जो धूप व आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती को लेता है वह अपनी अनेक पीढ़ियों का उद्धार करता है तथा भगवान विष्णु के परम पद को प्राप्त होता है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 18 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया शाम 06:55 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - मॄगशिरा दोपहर 03:49 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - सिद्ध शाम 05:22  तक तत्पश्चात साध्य*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:18 से प्रातः 09:40 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:58*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 18 से रात्रि 12:51 नवम्बर 19 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (प्रातः 06:55 से दोपहर 03:49 तक)*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

🔹 *बरकत लाने की सरल कुंजियाँ* 🔹
🔸  *बाजार भाव अचानक बढ़ने-घटने से, मंदी की वजह से या अन्य कारणों से कईयों का धंधा बढ़ नहीं पाता । ऐसे में आपके काम-धंधे में बरकत का खयाल रखते हुए कुछ सरल उपाय प्रस्तुत कर रहे हैं ।*
🔸 *१] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने व पूजा- स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है ।*
🔸 *२] दुकान में बिक्री कम होती हो तो कनेर का फूल घिस के उसका ललाट पर तिलक करके दुकान पर जायें तो ग्राहकी बढ़ेगी ।*
🔸 *३] रोज भोजन से पूर्व गोग्रास निकालकर गाय को खिलाने से सुख-समृद्धि व मान-सम्मान की वृद्धि होती है ।*
🔸 *४] ईमानदारी से व्यवहार करें । ईमानदारी से उपार्जित किया हुआ धन स्थायी रहता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – मार्च २०१८ से*

*🔹मास - अनुसार त्रिफला का अनुपान🔹*

*🔸मासों के अनुसार त्रिफला के साथ उसमें उसकी मात्रा के छठे भाग बराबर निम्नलिखित द्रव्यों को मिला के सेवन करने से उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ।*

*(१) श्रावण और भाद्रपद - सेंधा नमक*
*(२) आश्विन और कार्तिक - शर्करा (मिश्री या खाँड़ अर्थात् अपरिष्कृत शक्कर)*
*(३) मार्गशीर्ष और पौष - सोंठ चूर्ण*
*(४) माघ तथा फाल्गुन - पीपर का चूर्ण*
*(५) चैत्र और वैशाख - शहद*
*(६) ज्येष्ठ तथा आषाढ़ - पुराना गुड़*

*🔹इस प्रकार त्रिफला शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सहायक व प्रसादरूप है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2021*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 17 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी शाम 05:22 तक तत्पश्चात मॄगशिरा*
*⛅योग - शिव रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*⛅राहु काल - शाम 04:32 से शाम 05:55 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:58*
*⛅सूर्यास्त - 05:50*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:11 से 06:03 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:03 से दोपहर 12:47 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 17 से रात्रि 12:51 नवम्बर 18 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण -  रोहिणी व्रत, द्विपुष्कर योग (शाम 05:22 से रात्रि 09:06 तक)*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹'बुफे सिस्टम’ नहीं, भारतीय भोजन पद्धति है लाभप्रद*🔹

*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों में खड़े होकर भोजन करने का रिवाज चल पडा है लेकिन हमारे शास्त्र कहते हैं कि हमें नीचे बैठकर ही भोजन करना चाहिए । खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ तथा पंगत में बैठकर भोजन करने से जो लाभ होते हैं वे निम्नानुसार हैं : *

🔹 *खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*  🔹

*🔸(१) यह आदत असुरों की है । इसलिए इसे ‘राक्षसी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पेट, पैर व आँतों पर तनाव पड़ता है, जिससे गैस, कब्ज, मंदाग्नि, अपचन जैसे अनेक उदर-विकार व घुटनों का दर्द, कमरदर्द आदि उत्पन्न होते हैं । कब्ज अधिकतर बीमारियों का मूल है ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि मंद हो जाती है, जिससे अन्न का सम्यक् पाचन न होकर अजीर्णजन्य कई रोग उत्पन्न होते हैं ।*

🔸 *(४) इससे हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे हृदयरोगों की सम्भावनाएँ बढ़ती हैं ।*

🔸 *(५) पैरों में जूते-चप्पल होने से पैर गरम रहते हैं । इससे शरीर की पूरी गर्मी जठराग्नि को प्रदीप्त करने में नहीं लग पाती ।*

🔸 *(६) बार-बार कतार में लगने से बचने के लिए थाली में अधिक भोजन भर लिया जाता है, फिर या तो उसे जबरदस्ती ठूँस-ठूँसकर खाया जाता है जो अनेक रोगों का कारण बन जाता है अथवा अन्न का अपमान करते हुए फेंक दिया जाता है ।*

🔸 *(७) जिस पात्र में भोजन रखा जाता है, वह सदैव पवित्र होना चाहिए लेकिन इस परम्परा में जूठे हाथों के लगने से अन्न के पात्र अपवित्र हो जाते हैं । इससे खिलानेवाले के पुण्य नाश होते हैं और खानेवालों का मन भी खिन्न-उद्विग्न रहता है ।*

🔸 *(८) हो-हल्ले के वातावरण में खड़े होकर भोजन करने से बाद में थकान और उबान महसूस होती है । मन में भी वैसे ही शोर-शराबे के संस्कार भर जाते हैं ।*

 🔹 *बैठकर (या पंगत में) भोजन करने से लाभ* 🔹

🔸 *(१) इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।*

🔸 *(२) इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।*

🔸 *(३) इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।*

🔸 *(४) हृदय पर भार नहीं पड़ता ।*

🔸 *(५) आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसीलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ-पैर धोने की परम्परा है ।*

🔸 *(६) पंगत में एक परोसनेवाला होता है, जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।*

🔸 *(७) भोजन परोसनेवाले अलग होते हैं, जिससे भोजनपात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है, साथ ही खाने-खिलानेवाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।*

🔸 *(८) शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 16 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि -  प्रतिपदा रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका शाम 07:28 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - परिघ रात्रि 11:48 तक तत्पश्चात शिव*
*⛅राहु काल -प्रातः 09:39 से प्रातः 11:02 से तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:02 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 16 से रात्रि 12:51 नवम्बर 17 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - वृश्चिक संक्रान्ति, विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से  प्रातः 07:41), सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (शाम 07:28 नवम्बर 16 से प्रातः 06:55 नवम्बर 17 तक)*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 उत्तम स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण बातें 🔹*

*🔹 प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हें बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें ।*

*🔹 चाय की जगह ताजा दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को दें । दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं ।*

*🔹 सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें । इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका - सा नमक व जीरा डालें । ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें । यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा ।*

*🔹 सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें २–३ बार पानी से धो लें । छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है ।*

*🔹 सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक न पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे । पत्तेदार हरि सब्जियों से मिलनेवाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें ।*

*🔹 सप्ताह में १–२ दिन पत्तेदार हरि सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई आदि की सब्जी जरुर खायें । इस सब्जियों को छिलकेवाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्त्रोत हैं ।*

*🔹 चावल बनाते समय माँड न निकालें ।*

*🔹 चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है । आटा हमेशा बड़े छेदवाली छन्नी से ही छानें ।*

*🔹 दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व, कैल्सियम व केरोटिन होता है । यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ–साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है ।*

*🔹 जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है ।*

*🔹 भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें । ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जियत से बचायेंगे ।*

*🔹 दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें ।*

*🔹 बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चिक्की बनाकर दें । गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है ।*

*🔹 जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें । कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं । साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है ।*

*👉🏻 उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं ।*

*📖 लोक कल्याण सेतु – मार्च २०१४ से*


*🔹सामान्यतः तीन प्रकार के उपवास प्रचलित हैं- निराहार, फलाहार, दुग्धाहार ।*

*🔹निराहारः निराहार व्रत श्रेष्ठ है । यह दो प्रकार का होता है-निर्जल एवं सजल । निर्जल व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता । सजल व्रत में गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । इससे पेट में गैस नहीं बन पाती । ऐसा उपवास दो या तीन दिन रख सकते हैं । अधिक करना हो तो चिकित्सक की देख-रेख में ही करना चाहिए । शरीर में कहीं भी दर्द हो तो नींबू का सेवन न करें ।*

*🔹फलाहार : इसमें केवल फल और फलों के रस पर ही निर्वाह किया जाता है । उपवास के लिए अनार, अंगूर, सेवफल और पपीता ठीक हैं । इसके साथ गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं । नींबू से पाचन तंत्र की सफाई में सहायता मिलती है । ऐसा उपवास 6-7 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए ।*

*🔹दुग्धाहारः ऐसे उपवास में दिन में 3 से 8 बार मलाई विहीन दूध 250 से 500 मि.ली. मात्रा में लिया जाता है । गाय का दूध उत्तम आहार है । मनुष्य को स्वस्थ व दीर्घजीवी बनाने वाला गाय के दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है ।*

*🔹गाय का दूध जीर्णज्वर, ग्रहणी, पांडुरोग, यकृत के रोग, प्लीहा के रोग, दाह, हृदयरोग, रक्तपित्त आदि में श्रेष्ठ है । श्वास, टी.बी. तथा पुरानी सर्दी के लिए बकरी का दूध उत्तम है ।*

*🔹रूढ़िगत उपवासः 24 घण्टों में एक बार सादा, हल्का, नमक, चीनी व चिकनाई रहति भोजन करें । इस एक बार के भोजन के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ के सेवन न करें । केवल सादा पानी अथवा गुनगुने पानी में नींबू ले सकते हैं ।*

*🔹सावधानीः जिन लोगों को हमेशा कफ, जुकाम, दमा, सूजन, जोड़ों में दर्द, निम्न रक्तचाप रहता हो वो नींबू के रस का उपयोग न करें ।*

*🔹उपरोक्त उपवासों में केवल एक बात का ही ध्यान रखना आवश्यक है कि मल-मूत्र व पसीने का निष्कासन ठीक तरह होता रहे अन्यथा शरीर के अंगों से निकली हुई गन्दगी फिर से रक्तप्रवाह में मिल सकती है । आवश्यक हो तो एनिमा का प्रयोग करें ।*

*🔹लोग उपवास तो कर लेते हैं, लेकिन उपवास छोड़ने पर क्या खाना चाहिए ? इस पर ध्यान नहीं देते, इसीलिए अधिक लाभ नहीं होता । जितने दिन उपवास करें, उपवास छोड़ने पर उतने ही दिन मूँग का पानी लेना चाहिए तथा उसके दोगुने दिन तक मूँग उबालकर लेना चाहिए । तत्पश्चात खिचड़ी, चावल आदि तथा अंत में सामान्य भोजन करना चाहिए ।*

*🔹उपवास के नाम पर व्रत के दिन आलू, अरबी, सांग, केला, सिंघाड़े आदि का हलवा, खीर, पेड़े, बर्फी आदि गरिष्ठ भोजन भरपेट करने से रोग की वृद्धि ही होती है । अतः इनका सेवन न करें ।*

*🔶 सावधानीः गर्भवती स्त्री, क्षय रोगी, अल्सर व मिर्गी(हिस्टीरिया) के रोगियों को व अति कमजोर व्यक्तियों को उपवास नहीं करना चाहिए । मधुमेह (डायबिटीज़) के मरीजों को वैद्यकीय सलाह से ही उपवास करने चाहिए ।*

*📖 ऋषि प्रसाद, जून 2001, पृष्ठ संख्या 27,28 अंक 102*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 15 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पूर्णिमा रात्रि 02:58 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - भरणी रात्रि 09:55 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*⛅योग - व्यतीपात प्रातः 07:30 तक तत्पश्चात वरीयान् प्रातः 03:33 नवम्बर 16 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:01 से दोपहर 12:24 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:57*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:01 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:59 नवम्बर 15 से रात्रि 12:50 नवम्बर 16 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - कार्तिक पूर्णिमा, मणिकर्णिका स्नान, देव दीवाली, भीष्म पञ्चक समाप्त, गुरु नानक जयन्ती, पुष्कर स्नान, कार्तिक रथ यात्रा*
*⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्रत एवं उपवास का महत्त्व🔹*

*🔹भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है । इनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परन्तु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है ।*

*‘उप’ यानी समीप और ‘वास’ यानी रहना । उपवास का सही अर्थ होता है – ब्रह्म, परमात्मा के निकट रहना । उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना । निराहार रहने से भगवद भजन और आत्मचिंतन में मदद मिलती है । वृत्ति अंतर्मुख होने लगती है । उपवास पुण्यदायी, आमदोषहर, अग्निप्रदीपक, स्फूर्तिदायक तथा इंद्रियों को प्रसन्नता देने वाला माना गया है । अतः यथाकाल, यथाविधि उपवास करके धर्म तथा स्वास्थ्य लाभ करना चाहिए ।*
*आहारं पचति शिखी दोषान् आहारवर्जितः।*

*🔹अर्थात् पेट की अग्नि आहार को पचाती है और उपवास दोषों को पचाता है । उपवास से पाचन शक्ति बढ़ती है । उपवास काल में रोगी शरीर में नया मल उत्पन्न नहीं होता है और जीवनशक्ति को पुराना मल निकालने का अवसर मिलता है । मल-मूत्र विसर्जन सम्यक होने लगता है, शरीर से हलकापन आता है तथा अतिनिद्रा-तंद्रा का नाश होता है ।*

*🔹उपवास की महत्ता के कारण भारतवर्ष के सनातन धर्मावलम्बी प्रायः एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा या पर्वों पर व्रत किया करते हैं क्योंकि उन दिनों सहज ही प्राणों का ऊर्ध्वगमन होता है और जठराग्नि मंद होती है । शरीर-शोधन के लिए चैत्र, श्रावण एवं भाद्रपद महीने अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं । नवरात्रियों के नव दिनों में भी व्रत करने का बहुत प्रचलन है । यह अनुभव से जाना गया है कि एकादशी से पूर्णिमा तथा एकादशी से अमावस्या तक का काल रोग की उग्रता में भी सहायक होता है, क्योंकि जैसे सूर्य एवं चन्द्रमा के परिभ्रमण के परिणामस्वरूप समुद्र में उक्त तिथियों के दिनों में विशेष उतार-चढ़ाव होता है उसी प्रकार उक्त क्रिया के परिणामस्वरूप हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि होती है । इसीलिए इन चार तिथियों में उपवास का विशेष महत्त्व है ।*

*🔹रोगों में लाभकारी : आयुर्वेद की दृष्टि से शारीरिक एवं मानसिक रोगों में उपवास का विधान हितकारी माना गया है ।*

*🔹शारीरिक विकारः अजीर्ण, उल्टी, मंदाग्नि, शरीर में भारीपन, सिरदर्द, बुखार, यकृत-विकार, श्वासरोग, मोटापा, संधिवात, सम्पूर्ण शरीर में सूजन, खाँसी, दस्त  लगना, कब्जियत, पेटदर्द, मुँह में छाले, चमड़ी के रोग, किडनी के विकार, पक्षाघात आदि व्याधियों में छोटे या बड़े रूप में रोग के अनुसार उपवास करना लाभकारी होता है ।*

*🔹मानसिक विकार : मन पर भी उपवास का बहुमुखी प्रभाव पड़ता है । उपवास से चित्त की वृत्तियाँ रुकती हैं और मनुष्य जब अपनी चित्त की वृत्तियों को रोकने लग जाता है, तब देह के रहते हुए भी सुख-दुःख, हर्ष-विषाद पैदा नहीं होते । उपवास से सात्त्विक भाव बढ़ता है, राजस और तामस भाव का नाश होने लगता है, मनोबल तथा आत्मबल में वृद्धि होने लगती है । अतः अतिनिद्रा, तन्द्रा, उन्माद (पागलपन), बेचैनी, घबराहट, भयभीत या शोकातुर रहना, मन की दीनता, अप्रसन्नता, दुःख, क्रोध, शोक, ईर्ष्या आदि मानसिक रोगों में औषधोपचार सफल न होने पर उपवास विशेष लाभ देता है । इतना ही नहीं अपितु नियमित उपवास के द्वारा मानसिक विकारों की उत्पत्ति भी रोकी जा सकती है ।*

*🔹उपवास पद्धतिः पहले जो शक्ति खाना हजम करने में लगती थी उपवास के दिनों में वह विजातीय द्रव्यों के निष्कासन में लग जाती है । इस शारीरिक ऊर्जा का उपयोग केवल शरीर की सफाई के लिए ही हो इसलिए इन दिनों में पूर्ण विश्राम लेना चाहिए । मौन रह सके तो उत्तम । उपवास में हमेशा पहले एक-दो दिन ही कठिन लगते हैं । कड़क उपवास एक दो बार ही कठिन लगता है फिर तो मन और शरीर दोनों की औपचारिक स्थिति का अभ्यास हो जाता है और उसमें आनन्द आने लगता है ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी प्रातः 09:43 तक तत्पश्चात चतुर्दशी प्रातः 06:19 नवम्बर 15 तक, तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 12:33 नवम्बर 15 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - सिद्धि प्रातः 11:30 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:47 से दोपहर 03:10 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:09 से 06:01 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 14 से रात्रि 12:50 नवम्बर 15 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - वैकुण्ठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत, व्यतीपात योग, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:53 से रात्रि 12:33 नवम्बर 15 तक)*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है व चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ*🔹

*🔹यदि दुकान अथवा व्यवसाय-स्थल पर आपका मन नहीं लगता है तो इसके लिए आप जिस स्थान पर बैठते हैं वहाँ थोड़ा-सा कपूर जलायें, अपनी पसंद के पुष्प रखें और स्वस्तिक या ॐकार को अपलक नेत्रों से देखते हुए कम-से-कम ५-७ बार ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें । अपने पीछे दीवाल पर ऊपर ऐसा चित्र लगायें जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य हो, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हों परंतु वे नुकीले न हों और न ही उस चित्र में जल हो अथवा यथायोग्य किसी स्थान पर आत्मज्ञानी महापुरुषों, देवी-देवताओं के चित्र लगायें । इससे आपका मन लगने लगेगा ।*
*📖 ऋषि प्रसाद, जुलाई 2020*

*🔹 आचमन तीन बार क्यों ?*🔹

🔹 *प्राय: प्रत्येक धर्मानुष्ठान के आरम्भ में और विशेषरूप से संध्योपासना में ३ बार आचमन करने का शास्त्रीय विधान है । धर्मग्रंथों में कहा गया है कि ३ बार जल का आचमन करने से तीनों वेद अर्थात ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं । मनु महाराज ने भी कहा है : त्रिराचमेद्प: पूर्वम । (मनुस्मृति :२.६०)*

*🔹अर्थात सबसे पहले ३ बार जल से आचमन करना चाहिए । इससे जहाँ कायिक, मानसिक एवं वाचिक–त्रिविध पापों की निवृत्ति होती है वहीँ कंठशोष ( कंठ की शुष्कता) दूर होने और कफ-निवृत्ति  होने से श्वास-प्रश्वास क्रिया में मंत्रादि के शुद्ध उच्चारण में भी मदद मिलती है । प्राणायाम करते समय प्राणनिरोध से स्वभावतः शरीर में ऊष्मा बढ़ जाती है, कभी-कभी तो ऋतू के तारतम्य से तालू सूख जाने से हिचकी तक आने लग जाती है । आचमन करते ही यह सब ठीक हो जाता है ।*

*🔹बोधायन सूत्र के अनुसार आचमन-विधि :🔹*

*🔹(दायें) हाथ की हथेली को गाय के कान की तरह आकृति प्रदान कर उससे ३ बार जल पीना चाहिए ।*

*🔹शास्त्र-रीति के अनुसार आचमन में चुल्लू जितना जल नहीं पिया जाता बल्कि उतने ही प्रमाण में जल ग्रहण करने की विधि है जितना कि कंठ व तालू को स्पर्श करता हुआ हृदयचक्र की सीमा तक ही समाप्त हो जाय ।*

*🔹पूज्य बापूजी के सत्संग-अमृत में आता है : संध्या में आचमन किया जाता है । इस आचमन से कफ-संबंधी दोषों का शमन होता है, नाड़ियों के शोधन में व ध्यान-भजन में कुछ मदद मिलती है ।*

🔹 *ध्यान-भजन में बैठे तो पहले तीन आचमन कर लेने चाहिए, नहीं तो सिर में वायु चढ़ जाती है, ध्यान नहीं लगता, आलस्य आता है, मनोराज चलता है, कल्पना चलती है । आचमन से प्राणवायु का संतुलन हो जाता है ।*

*🔹आचमन से मिले शान्ति व पुण्याई🔹*

🔹 *'ॐ केशवाय नम: । ॐ नारायणाय नम: । ॐ माधवाय नम: ।'  कहकर जल के ३ आचमन लेते हैं तो जल में जो यह भगवदभाव, आदरभाव है इससे शांति, पुण्याई होती है ।*

*🔹इससे भी हो जाती है शुद्धि*🔹

*🔹जप करने के लिए आसन पर बैठकर सबसे पहले शुद्धि की भावना के साथ हाथ धो के पानी के ३ आचमन ले लो । जप करते हुए छींक, जम्हाई या खाँसी आ जाय, अपानवायु छूटे तो यह अशुद्धि है । वह माला नियत संख्या में नहीं गिननी चाहिए । आचमन करके शुद्ध होने के बाद वह माला फिर से करनी चाहिए । आचमन के बदले ‘ॐ’ सम्पुट के साथ गुरुमंत्र ७ बार दुहरा दिया जाय तो भी शुद्धि हो जायेगी । जैसे, मन्त्र है ‘नम: शिवाय’ तो ७ बार ‘ॐ नम:शिवाय ॐ’ दुहरा देने से पड़ा हुआ विघ्न निवृत्त हो जायेगा ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२० से*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 13 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वादशी दोपहर 01:01 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅नक्षत्र - रेवती रात्रि 03:11 नवम्बर 14 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - वज्र दोपहर 03:26 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:24 से दोपहर  01:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 05:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 13 से रात्रि 12:50 नवम्बर 14 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - तुलसी विवाह, प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹 विद्यार्थियों की बुद्धिशक्ति बढ़ाने की युक्ति 🔹*

*🔹 भूमध्य को अनामिका से हलका रगड़ते हुए ॐ गं गणपतये नमः । ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । करके तिलक करें ।*

*🔹 फिर २-३ मिनट प्रणाम की मुद्रा में (शशकासन करते हुए दोनों हाथ आगे जोड़कर) सिर जमीन पर लगा के रखें । इससे निर्णयशक्ति, बौद्धिकशक्ति में जादुई लाभ होता है । क्रोध, आवेश, वैर पर नियंत्रण पाने वाले रसों का भीतर विकास होता है ।*

*🔹 सूर्योदय के समय ताँबे के पात्र में जल ले के उसमें लाल फूल, कुमकुम डालकर सूर्यनारायण को अर्घ्य दें । जहाँ अर्घ्य का जल गिरे वहाँ की गीली मिट्टी का तिलक करें तो विद्यार्थी की बुद्धि बढ़ने में मदद मिलती है ।*
      *🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*🔹 विटामिन बी-१२ का सस्ता, सर्वसुलभ एवं उत्तम स्रोत*

*🔹 'आम के आम गुठलियों के दाम' यह कहावत यथार्थ ही है गुठली में जो गिरी रहती है वह विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर है, जो कि शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।*

*🔹 आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी अनेक अनुसंधानों से आम की गुठली की मींगी में पाये जानेवाले पोषक तत्त्वों का अध्ययन करके पाया है कि 'आम की गुठली की 100 ग्राम मींगी में आम के 2 किलो गूदे से ज्यादा पोषक तत्व पाये जाते हैं और आम के गूदे से २० गुना ज्यादा प्रोटीन, ५० गुना ज्यादा स्नेहांश यानी फैट और ४ गुना ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है ।*

*🔹विटामिन बी-१२ शरीर में रक्तकणों के उत्पादन में एवं तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को स्वस्थ रखने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । शाकाहारी लोगों में विटामिन बी-१२ की कमी होने का खतरा अधिक रहता है। एक शोध के अनुसार कम-से-कम ४७% भारत के लोगों में अर्थात् लगभग हर २ व्यक्तियों में से १ व्यक्ति में विटामिन बी-१२ की कमी है ।*

*🔹विटामिन बी-१२ की कमी के लक्षण🔹*

*🔹विटामिन बी-१२ की कमी होने पर खून की कमी होकर थकान, कमजोरी एवं आलस्य बना रहता है, साथ ही मुँह के छाले, हाथ-पैरों में सुन्नपन आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि लक्षण दिखते हैं । यदि ध्यान न दिया जाय तो चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में समस्या आना, सोचने-समझने की शक्ति में कमी होना, चिड़चिड़ापन आना आदि के साथ मस्तिष्क एवं स्नायु-तंत्र को गम्भीर क्षति पहुँचती है । यहाँ तक कि हृदय की निष्क्रियता जैसे गम्भीर उपद्रव भी हो सकते हैं ।*

*🔹बी-१२ की दैनिक जरूरत व मींगी में मात्रा🔹*

*🔹एक वयस्क व्यक्ति के लिए लगभग १ माइक्रोग्राम विटामिन बी-१२ की दैनिक जरूरत होती है । सगर्भावस्था में एवं स्तनपान करानेवाली महिलाओं में यह मात्रा १.२ से १.५ माइक्रोग्राम तक होती है । १०० ग्राम मींगी में लगभग १२० माइक्रोग्राम विटामिन बी-१२ पाया जाता है अर्थात् दैनिक जरूरत से १२० गुना ज्यादा !*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 12 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी शाम 04:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद प्रातः 07:52 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - हर्षण शाम 07:10 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से शाम 04:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:54*
*⛅सूर्यास्त - 05:52*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 06:00 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 12 से रात्रि 12:50 नवम्बर 13 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - देवउठी एकादशी, योगेश्वर द्वादशी, चातुर्मास समाप्त, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 07:52 से प्रातः 05:40 नवम्बर 13 तक)*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*

*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए ।आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाएं । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 11 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी शाम 06:46 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा प्रातः 09:40 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग - व्याघात रात्रि 10:36 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:14 से प्रातः 09:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:51*
*⛅सूर्यास्त - 05:56*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 11 से रात्रि 12:50 नवम्बर 12 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - भीष्म पञ्चक प्रारम्भ*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹लोकोपयोगी प्रयोग🔹*

*🔸 घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है ।*

*🔸 किसी भी नयी मूल्यवान वस्तु का उपयोग शुरू करने से पहले हल्दी को गंगाजल में मिलाकर उस पर छींटें देने से वह वस्तु अधिक समय तक चलती है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - जुलाई 2012*

*🔹मोटापा से राहत पाने के लिए🔹*

*🔹क्या करें ? (✅)*

*🔸1.भोजन नियमित समय पर (सुबह 09:00 से 11:00 बजे तथा शाम को 05:00 से 07:00 के बीच) सीमित मात्रा में पचने में हल्का रुक्ष करें । सलाद व सब्जियों का उपोयोग अधिक करें । गेहूँ का उपयोग कम करें । जौ, ज्वार या बाजरे की रोटी लें ।*

*🔸2. प्राणायाम, आसन, तेजी से चलना, दौड़ना, तैरना आदि शारीरिक श्रम नियमित करें । सप्ताह में 1 दिन उपवास जरूर करें ।*

*🔸3. तखत पर पतला बिस्तर बिछाकर सोना, तिल या सरसों के तेल से मालिश करना सामान्यतया लम्बे-गहरे श्वास लेना लाभकारी है ।*

*🔸4. प्रात:काल गुनगुने पानी में शहद तथा नींबू का रस मिलाकर लें । गर्म-गर्म अन्न, गर्म पानी, चावल के माँड का सेवन करें ।*

*🔸5. शहद, आँवला चूर्ण, गोमूत्र अर्क, त्रिफला चूर्ण शुद्ध शिलाजीत तथा सोंठ अदि का सेवन  हितकारी है ।*

*🔹क्या न करें ❎*

*🔸1. पचने में भारी मधुर व शीतल आहार का सेवन, अधिक मात्रा में भोजन व निद्रा तथा व्यायाम व परिश्रम का अभाव आदि कारणों से शरीर स्थूल होता है । अतः इनसे बचें ।*

*🔸2. दिन में सोना, लगातार बैठे रहना, देर रात को भोजन करना, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गद्दों तथा ए.सी. या कूलर की हवा में सोना, आराम प्रियता आदि का त्याग करें ।*

*🔸3. कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा वाले पदार्थ जैसे चावल, शक्कर, गुड़, आलू, शकरकंद व इनसे बने हूए व्यंजन, स्निग्ध पदार्थ जैसे घी, तेल व इन से बने पदार्थ एवं दही, दूध से बने खोया, मिठाई आदि व्यंजन और सूखे मेवे व फास्ट फूड के सेवन से बचें ।*

*🔸4. अधिक तनाव भी अति स्थूलता का कारण हो सकता है, अतः इससे बचें । इसके लिए सत्संग, ध्यान, हरि का आश्रय लें ।*

*🔸5. बार-बार खाने तथा भोजन के बाद तुरंत नींद लेने या स्नान करने से बचें ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - धनिष्ठा प्रातः 10:59 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग - ध्रुव रात्रि 01:42 नवम्बर 11 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - शाम 04:34 से शाम 05:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:49*
*⛅सूर्यास्त - 05:57*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 10 से रात्रि 12:50 नवम्बर 11 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - अक्षय नवमी, आँवला नवमी, जगद्धात्री पूजा, साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹आँवला नवमी विशेष🔹*


*🌱 हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🌱*

*🔸 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔸 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔸 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*

*🔸प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔸आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*

*🔹आँवला के औषधीय प्रयोग 🔹*

*🔸१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।*

*🔸२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।*

*🔸३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।*

*🔸४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।*

*🔸५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।*

*🔸६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।*

*🔸सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.*

*🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 09 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - वृद्धि प्रातः 04:23 नवम्बर 10 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:36 से प्रातः 11:00 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:53*
*⛅सूर्यास्त - 05:53*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:58 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 09 से रात्रि 12:49 नवम्बर 10 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:49 से प्रातः 11:47 तक)*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹अशुभ क्या है एवं शुभ क्या है ?🔹*

*🔸 बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)*

*🔸 कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)*

*🔸 'महाभारत' में यह भी आया है कि 'घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।'*

*🔸 दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)*

*🔸 जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।*

*🔸 वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष होना शुभ है । इसके विपरीत पूर्व दिशा में होना विशेष अशुभ है ।*

*🔸 आँवला, बिल्व, नारियल, तुलसी और चमेली सभी दिशाओं में शुभ हैं । कुछ अन्य वृक्षों के लिए शुभ दिशाओं की सूचिः*

*जामुन – दक्षिण, पूर्व, उत्तर*
*अनार – आग्नेय, नैर्ऋत्य कोण*
*केला – तुलसी के साथ सभी दिशाओं में*
*चंदन – पश्चिम, दक्षिण (पूर्व विशेष अशुभ)*
*बड़  -  पूर्व (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*कनेर – पूर्व, उत्तर (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*नीम – वायव्य कोण (आग्नेय विशेष अशुभ)*

*🔸 घर में बाँस, बेर, पपीता, पलाश और बबूल के वृक्ष सभी दिशाओं में अशुभ माने जाते हैं । आम पूर्व में, सीताफल व गुलाब ईशान कोण में विशेष अशुभ हैं ।*

*🔸 अशुभ वस्तुएँ जैसे कि मांस, दुर्घटना का दृश्य, मृतक जीव-जन्तु दिखायी देने पर उसी समय सूर्यनारायण के दर्शन कर लेने चाहिए ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 08 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 11:56 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 12:03 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - शूल प्रातः 08:28 तक तत्पश्चात गण्ड प्रातः 06:39 नवम्बर 09 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:00 से दोपहर 12:23 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:52*
*⛅सूर्यास्त - 05:53*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 08 से रात्रि 12:49 नवम्बर 09 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - जलाराम बापा जयन्ती, कार्तिक अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ, सर्वार्थ सिद्धि योग ( दोपहर 12:03 से प्रातः 06:49 नवम्बर 09 तक)*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सर्वांगीण विकास की कुंजियाँ🔹*

*🔹यादशक्ति बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 (१) प्रतिदिन १५ से २० मि.ली. तुलसी रस, एक चम्मच च्यवनप्राश व थोड़ी-सी किशमिश का घोल बना के सारस्वत्य मंत्र अथवा गुरुमंत्र जपकर पीयें । ४० दिन में चमत्कारिक फायदा होगा ।*

*🔸 (२) भोजन के बाद तिल का एक लड्डू चबा-चबाकर खायें ।*

*🔸 (३) १०० ग्राम सौंफ, १०० ग्राम बादाम व २०० ग्राम मिश्री तीनों को कूटकर मिला लें । सुबह ३ से ५ ग्राम यह मिश्रण चबा-चबाकर खायें, ऊपर से दूध पी लें । दूध के साथ भी ले सकते हैं । इससे भी यादशक्ति बढ़ेगी ।*

*🔹पढ़ा हुआ याद रहे, इस हेतु :🔹*

*🔸 (१) अध्ययन के समय पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके सीधे बैठें ।*

*🔸 (२) सारस्वत्य मंत्र का जप कर के जीभ की नोक को तालू में लगाकर पढ़ें ।*

*🔸 (३) अध्ययन के बीच-बीच में व अंत में शांत हों और पढ़े हुए का मनन करें । भगवद्सुमिरण कर के शांत हों ।*

*🔹कद बढ़ाने हेतु🔹*

*🔸 प्रातःकाल दौड़ लगायें, पुल-अप्स व ताड़ासन करें तथा २ काली मिर्च के टुकड़े करके मक्खन में मिलाकर निगल जायें । देशी गाय का दूध कदवृद्धि में विशेष सहायक है ।*

*🔹शरीरपुष्टि हेतु:🔹*

*🔸 (१) भोजन से पहले हरड़ चूसें व भोजन के साथ भी खायें  ।*
*🔸 (२) रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर उसमें दो किशमिश भिगो दें । सुबह पानी छानकर पी जायें व किशमिश चबाकर खा लें ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 07 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 12:34 नवम्बर 08 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - धृति प्रातः 09:52 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - दोपहर 01:47 से दोपहर 03:11 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:52*
*⛅सूर्यास्त - 05:54*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:57 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 07 से रात्रि 12:49 नवम्बर 08 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण -  सूर सम्हारम, छठ पूजा, स्कन्द षष्ठी*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹प्रकृति अनुसार विहार🔹*

*🔹वात प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : अति परिश्रम, अति व्यायाम, सतत अध्ययन, अधिक बोलना, अधिक पैदल चलना अथवा वाहनों में घूमना, तैरना, अति उपवास, रात्रि जागरण, भय, शोक, चिंता, मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना, पश्चिम दिशा से आनेवाली हवा का सेवन ।*

*🔹हितकर : सर्वांग मालिश (विशेषतः सिर व पैर की), कान-नाक में तेल डालना, आराम, सुखशीलता, निश्चिंतता व शांत निद्रा ।*

*🔹पित्त प्रकृति 🔹*

*🔹त्याज्यः तेज धूप में घूमना, अग्नि के निकट रहना, रात्रि जागरण, अति परिश्रम, अति उपवास, क्रोध, शोक, भय ।*
*🔹हितकर : शीत, सुगंधित द्रव्यों (जैसे चंदन, अगरु) का लेप, शीत तेलों से मालिश ।*

*🔹कफ प्रकृति🔹*

*🔹त्याज्य : दिन में शयन, आरामप्रियता, आलस्य ।*
*🔹हितकर : घूमना-फिरना, दौड़ना, तैरना, व्यायाम, आसन, प्राणायाम ।*
*( त्रिदोष सिद्धांत पृ.क्र. ४)*

*🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹*
*🔹सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।*

*🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹*
*🔹विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।*

- *📖 ऋषि प्रसाद – सितम्बर २०१८*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पञ्चमी रात्रि 12:41 नवम्बर 07 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - मूल प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*⛅योग -  सुकर्मा प्रातः 10:51 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:23 से दोपहर 01:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:48*
*⛅सूर्यास्त - 05:59*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 06 से रात्रि 12:49 नवम्बर 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - लाभ पञ्चमी*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या🔹*
*(Biological Clock Based on Routine)*

*🔹प्रातः ३ से ५ - (जीवनी शक्ति विशेषरूप से फेफडों में होती है)🔹*
*🔹थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है । ब्राह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहनेवालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*

*🔹प्रातः ५ से ७ - (बड़ी आँत में)🔹*
*प्रातः जागरण से लेकर सुबह ७ बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान कर लेना चाहिए । सुबह ७ बजे के बाद जो मल-त्याग करते हैं उन्हें अनेक बीमारियाँ होती हैं ।*

*🔹सुबह ७ से ९ - (अमाशय यानी जठर में)🔹*
*इस समय (भोजन के २ घंटे पूर्व) दूध अथवा फलों का रस या कोई पेय पदार्थ ले सकते हैं ।*

*🔹९ से ११ - (अग्न्याशय व प्लीहा में)🔹*
*यह समय भोजन के लिए उपयुक्त है । भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार) घूँट-घूँट पियें ।*

*🔹दोपहर ११ से १ - (हृदय में)🔹*
*दोपहर १२ बजे के आसपास मध्याङ्घ-संध्या करने का हमारी संस्कृति में विधान है । भोजन वर्जित ।*

*🔹दोपहर १ से ३ - (छोटी आँत में)🔹*
*भोजन के करीब २ घंटे बाद प्यास-अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।*

*🔹दोप. ३ से ५ - (मूत्राशय में)🔹*
*२-४ घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृत्ति होगी ।*

*🔹शाम ५ से ७ - (गुर्दे में)🔹*
*इस समय हलका भोजन कर लेना चाहिए । सूर्यास्त के १० मिनट पहले से १० मिनट बाद तक (संध्याकाल में) भोजन न करें । शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते हैं ।*

*🔹रात्रि ७ से ९ - (मस्तिष्क में)🔹*
*इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है ।*

*🔹रात्रि ९ से ११ - (रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जू में)🔹*
*इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है ।*

*🔹रात्रि ११ से १ - (पित्ताशय में)🔹*
*इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा, नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएँ बनती हैं ।*

*🔹१ से ३ - (यकृत में)🔹*
*इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है ।*

*🌹ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखें, जिससे ऊपर बताये समय में खुलकर भूख लगे ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - सितम्बर 2015*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 05 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 09:45 तक मूल*
*⛅योग - अतिगण्ड प्रातः 11:28 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - दोपहर 03:11 से शाम 04:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:51*
*⛅सूर्यास्त - 05:55*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:56 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 05 से रात्रि 12:49 नवम्बर 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, मंगळवारी चतुर्थी (सूर्योदय से रात्रि 12:16 नवम्बर 06 तक)*
*⛅विशेष - चतुर्थी मूली खाने से धन का नाश होता है।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹घर में सुख-शांति के लिए🔹*

*🔹वास्तुशास्त्र के नियमों के उचित पालन से शरीर की जैव-रासायनिक क्रिया को संतुलित रखने में सहायता मिलती है ।*

*🔹घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में देहरी (दहलीज) लगाने से अनेक अनिष्टकारी शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं व दूर रहती हैं । प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम व गोमूत्र मिश्रित गोबर से स्वस्तिक, कलश आदि आकारों में रंगोली बनाकर देहरी (दहलीज) एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि 'हे ईश्वर ! आप मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें ।'*

*🔹प्रवेश-द्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है ।*

*🔹वास्तु कि मुख्य द्वार के सामने भोजन-कक्ष, रसोईघर या खाने की मेज नहीं होनी चाहिए ।*

*🔹मुख्य द्वार के अलावा पूजाघर, भोजन-कक्ष एवं तिजोरी के कमरे के दरवाजे पर भी देहरी (दहलीज) अवश्य लगवानी चाहिए ।*

*🔹भूमि-पूजन, वास्तु-शांति, गृह-प्रवेश आदि सामान्यतः शनिवार एवं मंगलवार को नहीं करने चाहिए ।*

*🔹गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए । इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है ।*

*🔹कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है ।*

*🔹बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए । इससे आर्थिक हानि हो सकती है । बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती ।*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 04 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - अनुराधा प्रातः 08:04 तक ज्येष्ठा*
*⛅योग - शोभन प्रातः 11:44 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - प्रातः 08:11 से प्रातः 09:35 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:42*
*⛅सूर्यास्त - 06:06*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:55 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:45 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 04 से रात्रि 12:49 नवम्बर 05 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:46 से प्रातः 08:04 तक)*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 हेमंत ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा 🌹*

*🌹यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है । इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।*

*🌹शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीररक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :*

*🌹शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।*

*🌹पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।*

*🌹इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।*

*🌹जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।*

*🌹दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।*

*🌹इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानतावाला भोजन करना चाहिए ।*
*(लोक कल्याण सेतु : दिसम्बर 2000)*


*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 नवम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08:21 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र -  विशाखा प्रातः 05:58 नवम्बर 03 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - आयुष्मान् प्रातः 11:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅राहु काल - प्रातः 09:34 से प्रातः 10:59 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:42*
*⛅सूर्यास्त - 06:06*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:03 से 05:54 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 02 से रात्रि 12:49 नवम्बर 03 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा, कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), गुजरती नूतन वर्ष विक्रम सम्वत २०८१ प्रारम्भ, त्रिपुष्कर योग (रात्रि 08:21 से प्रातः 05:58 नवम्बर 03 तक)*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 नूतन वर्ष : 02 नवंबर 2024 🌹*

*🌹 दीपावली का दिन वर्ष का आखरी दिन है और बाद का दिन वर्ष का प्रथम दिन है, विक्रम सम्वत् के आरम्भ का दिन है (गुजराती पंचांग अनुसार) । उस दिन जो प्रसन्न रहता है, वर्ष भर उसका प्रसन्नता से जाता है ।*

*🌹‘महाभारत में भगवान व्यासजी कहते हैं :*
*‘हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है ।*

*🌹दीपावली के दिन, नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे  :*
*उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़ेसहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीप  क, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुंकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्याय : ७६ एवं ७८)*

*🌹लेकिन जिनके हृदय में परमात्मा प्रकट हुए हैं, ऐसे साक्षात् कोई लीलाशाहजी बापू जैसे, नरसिंह मेहता जैसे संत अगर मिल जायें तो समझ लेना चाहिए कि भगवान की हम पर अति-अति विशेष, महाविशेष कृपा है ।*
*(ऋषि प्रसाद : अक्टूबर २०१०)*

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