यदि आपके पास अहंकार भाव हैं तो समझ लेना अब आपको किसी और शत्रु की जरुरत ही नहीं हैं।
क्योंकि अहंकार वो सब काम कर देगा
जो काम शायद ही कोई महाशत्रु भी नहीं कर सकें।
अहंकार शक्तिशाली ही नहीं महा शक्तिशाली शत्रु होता हैं।
वो अहंकार ही तो था जिसके बल पर रावण ने साक्षात त्रिभुवनपति श्रीराम जी को ही चुनौती दे डाली,
जिसके बल पर कंस ने जगत पालक को बालक मान कर उसे मारने के प्रयत्न शुरू कर दिए,
जिसके बल पर दुर्योधन ने एक सती नारी के चीर हरण करने का आदेश भरी सभा में दे दिया था,
अहंकार आग की वो धधकती लपटें हैं, जो गर्म तो नहीं मगर जलाकर राख अवश्य कर देती हैं।
अतः अहंकार में नहीं
अपितु प्यार और उपकार में जीने का प्रयास शुरू करके अपने जीवन के अर्थ को सार्थक करें..!
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क्योंकि अहंकार वो सब काम कर देगा
जो काम शायद ही कोई महाशत्रु भी नहीं कर सकें।
अहंकार शक्तिशाली ही नहीं महा शक्तिशाली शत्रु होता हैं।
वो अहंकार ही तो था जिसके बल पर रावण ने साक्षात त्रिभुवनपति श्रीराम जी को ही चुनौती दे डाली,
जिसके बल पर कंस ने जगत पालक को बालक मान कर उसे मारने के प्रयत्न शुरू कर दिए,
जिसके बल पर दुर्योधन ने एक सती नारी के चीर हरण करने का आदेश भरी सभा में दे दिया था,
अहंकार आग की वो धधकती लपटें हैं, जो गर्म तो नहीं मगर जलाकर राख अवश्य कर देती हैं।
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अपितु प्यार और उपकार में जीने का प्रयास शुरू करके अपने जीवन के अर्थ को सार्थक करें..!
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