17 Nov, 13:42
👑⚔️🚩बटेंगे तो कटेंगे | ♥️⚘️हिंदूओ के सिर्फ 3 दूश्मन है | 🚨1)आलसी हिंदू(Vote ना करने वाले)🚨2) लालची हिंदू (पैसे के लालच मे Vote करने वाले)🚨3) जातिवादी हिंदू (जातिवाद के चक्कर मे Vote करने वाले)♥️⚘️इतिहास से सिखो⚘️हिंदू बहुत सियालकोट(अब पाकिस्तान में है) से हम कैसे खत्म हुये वो भी अपने आलस के चलते !!🚨History of 1946.. जब 70% वाले सियालकोट मे हिंदू Vote डालने नहीं गया और 30% मुसलमानों ने 100% Vote किया Result - आज वो सियालकोट आलसी हिंदूओ की वजह से पाकिस्तान मे चला गया और फिर उसके बादसभी हिंदू काटे गये बारी बारी !!"बटोगे तो घटोगे घटोगे तो कटोगे"हर हिंदू Vote महत्वपूर्ण है 🚨🚨🚨अपने सभी हिंदू मित्रो, रिश्तेदार, जानकर को मतदान के लिये बाध्य करे !
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16 Nov, 19:13
👑⚔️🚩शक्ति सिंह और प्रताप के लिए ब्राह्मण गुरु का आत्म बलिदान!♥️⚘️आवश्यकता है कि राजस्थान के क्षत्रिय एवं ब्राह्मण समाज के सनातन धर्म एवं राष्ट्र के प्रति योगदानों को निष्पक्ष रूप से गहनतम शोध के बाद पुन: इसपर कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक, सीरियल, फिल्म नये सिरे लिखने एवं बनाने की समय की मांग है।ताकि आनेवाली पीढ़ियों को राजस्थान के वास्तविक इतिहास से लोग रुबरु हो सकें । मेरे विचार से संदीप देव जी एवं ओमेन्द्र रन्तु जी सक्षम है । माँ सरस्वती आपका मार्ग सदा प्रसस्त करें । आप दोनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यशस्वी बनें | बहुत बहुत बहुत साधुवाद...........जय सनातन धर्म 🚩🚩🚩
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16 Nov, 11:12
👑⚔️🚩MAURYAN EMPIRE WAS EARLY SURYAVANSHI EMPIRE [ MULTIPLE PROOFS ]♥️⚘️ Suryavanshi ( सूर्यवंशी ) Chandragupta Maurya /Mori Rajput Chamba Riyasat :Chambial Rajput Bandralta :Bandral Rajput#ChandragputMaurya #ChambaStateRajput #BandraltaBandralRajput
16 Nov, 11:09
16 Nov, 09:43
👑⚔️🚩GUPTA EMPIRE - SOMVANSHI KSHATRIYA EMPIRE [ WITH MULTIPLE PROOFS ]. ♥️⚘️ गुप्त वंश सोमवंशी क्षत्रिय ( पांडवों के वंशज थे )● यह चंद्रवंशी राजाओं का साम्राज्य था | गुप्त वंश में एक से बढ़कर एक शक्तिशाली राजा हुए | चंद्रवंशी क्षत्रिय Somvanshi Rajput का सारे सबूत Samudragupta Rajput Dynasty#Kshatriya #GuptaEmpireHistory #Somvanshi_Rajput #Pandav_vanshi #Arjun_Vanshi
15 Nov, 18:39
👑⚔️🚩देव दीपावली 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं |♥️⚘️ देव दीपावली हर साल पवित्र शहर वाराणसी में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। देव दीपावली, जिसे देव दिवाली भी कहा जाता है, राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरासुर) पर भगवान शिव की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इसलिए देव दीपावली उत्सव को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है जो कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है।♥️⚘️ देव दीपावली पर, भक्त कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीये जलाते हैं। जब शाम ढलती है, तो गंगा तट के सभी घाटों की सीढ़ियाँ लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगा उठती हैं। न केवल गंगा के घाट बल्कि बनारस के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगाते हैं।
15 Nov, 15:52
♥️⚘️ परशुराम, अंबा की यह व्यथा सुनकर अत्यधिक क्रोधित हो गए, और उन्होंने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा। भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण अंबा से विवाह करने को मना कर दिया। इस पर परशुराम ने भीष्म को स्वयं से युद्ध करने को कहा। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जो 23 दिनों तक चला। इसलिये इस युद्ध में कोई भी पराजित नही हो सका। अंत में देवताओं के द्वारा दोनों के बीच युद्ध को शांत करवाया गया। तब परशुराम ने अंबा से कहा कि, वे अपनी संपूर्ण शक्ति लगा चुके हैं, लेकिन भीष्म को पराजित करने में वे असमर्थ हैं। परशुराम जी अनेक अस्त्रों के ज्ञाता थे, लेकिन वे भीष्म को परास्त नहीं कर पाए. अंत में परशुराम जी को पराजित होना पड़ा | इसलिये अब वे उसकी सहायता नहीं कर सकते। निराश अंबा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की तथा उनसे वरदान माँगा, कि भविष्य में वह भीष्म की मृत्यु का कारण बने। भगवान शिव के वरदान से अंबा अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्मी, तथा महाभारत के युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बनी।
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15 Nov, 15:51
👑⚔️🚩 भीष्म पितामह ने अपने ही गुरु परशुराम जी को युद्ध में क्यों हराया था | ♥️⚘️ भीष्म पितामह हस्तिनापुर के महाराज शांतनु और देव नदी गंगा की आठवीं संतान थे। उनका मूल नाम देवव्रत था। भीष्म ने आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली थी। बाद में सत्यवती के राजा शांतनु से चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुये। महाराज शांतनु की मृत्यु के पश्चात चित्रांगद के बड़े होने पर उन्हें हस्तिनापुर का राजा बनाया गया। कुछ ही समय बाद गन्धर्वों से युद्ध करते हुये चित्रांगद मारे गए। इस पर भीष्म ने उनके अनुज विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया। भीष्म की माँ सत्यवती ने विचित्रवीर्य के लिए योग्य कन्या लाने को कहा। यह आदेश पाकर भीष्म काशी नगरी पहुंचे, जहाँ अंबा, अंबिका और अंबालिका के स्वयंवर की तैयारी चल रही थी। वे तीनों ही काशी की राजकुमारी तथा बहनें थी। भीष्म ने वहां आये सभी राजाओं को परास्त कर दिया, तथा तीनों राजकुमारियों का अपहरण करके हस्तिनापुर ले आये। वहां लाकर उन्होंने तीनों राजकुमारियों को माँ सत्यवती के सामने प्रस्तुत कर दिया।♥️⚘️ तब राजकुमारी अंबा ने भीष्म के सामने याचना की कि, वह राजा शाल्व को मन ही मन में अपना पति मान चुकी है, क्यों की वो उनसे प्रेम करती है. तथा वे भी उससे प्रेम करते है। वे उस स्वयंवर में भी आये थे किंतु भीष्म ने सभी राजाओं समेत शाल्व को भी पराजित कर दिया था। यह सुनकर भीष्म ने अंबा को राजा शाल्व के पास भेज दिया। अंबा राजा शाल्व के पास गयी, तथा स्वयं को पत्नी रूप में स्वीकार करने को कहा। चूँकि भीष्म भरी सभा से राजा शाल्व को परास्त कर राजकुमारी अंबा को हरकर ले गए थे, इसलिये उन्होंने अंबा को पत्नी रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया।♥️⚘️ निराश होकर अंबा पुनः हस्तिनापुर लौट आई. जब अम्बा वापस आयी तब तक उनकी दोनों बहनो अम्बिका और अम्बालिका ने विचित्रवीर्य से विवाह कर लिया था. अम्बा ने भी राजा विचित्रवीर्य के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन विचित्रवीर्य ने भी एक राजा से ठुकराई हुई राज कुमारी से विवाह करने हेतु इंकार कर दिया. जब अम्बा को उसके प्यार ने, और उस राजा ने, जिस के लिए उसका उपहरण हुआ, दोनों ने ही अस्वीकार कर दिया, तब उसने भीष्म से कहा की अब भारतवर्ष में कोई मुझसे विवाह नहीं कर सकता. इसलिए जिसने मेरा अपहरण किया है उसे ही मुझसे विवाह करना होगा. अंबा ने भीष्म से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा याद दिलाते हुए उससे विवाह करने से मना कर दिया। यह सुनकर अंबा को अत्यधिक क्रोध आ गया तथा भीष्म से बदला लेने के लिए वह वहां से से चली गयी।♥️⚘️ और पुरे भारत वर्ष में किसी को तलाशने लगी, जो उसको भीष्म से बदला लेने में मदद कर सके. लेकिन एक के बाद एक सब राजाऔ ने उसे इस कार्य में साथ देने से मना कर दिया. क्यो की उस वक़्त कोई भी राजा भीष्म जितना युद्ध कला में ससक्त नहीं था. तब अम्बा आख़िर में गुरु परशुराम के पास गई, जो की भीष्म के भी गुरु रह चुके थे. परशुराम की सस्त्रविद्या सबसे श्रेष्ठ थी. परशुराम एक अबला नारी, जो की मदद मांगने आयी थी उसे मना नहीं कर सके, और युद्ध के लिए राजी हो गए.
एक समय सहस्रबाहु के पुत्रों ने जमदग्नि के आश्रम की कामधेनु गाय को लेने तथा परशुराम से बदला लेने की भावना से परशुराम के पिता का वध कर दिया। जब इस बात का परशुराम को पता चला तो क्रोधवश उन्होंने हैहयवंशीय क्षत्रियों की वंश-बेल का विनाश करने की कसम खाई।♥️⚘️ सहस्त्रार्जुन एक चंद्रवंशी राजा था। इन्ही के पूर्वज थे महिष्मन्त, जिन्होंने नर्मदा के किनारे महिष्मति (आधुनिक महेश्वर) नामक नगर बसाया। इन्हीं के कुल में आगे चलकर दुर्दुम के उपरांत कनक के चार पुत्रों में सबसे बड़े कृतवीर्य ने महिष्मती के सिंहासन को संभाला। भार्गववंशी ब्राह्मण इनके राज पुरोहित थे। भार्गव प्रमुख जमदग्नि ॠषि (परशुराम के पिता) से कृतवीर्य के मधुर संबंध थे। कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन थे। कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्त्तवीर्यार्जुन भी कहा गया। कार्त्तवीर्यार्जुन ने अपनी अराधना से भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न किया था। भगवान दत्तात्रेय ने युद्ध के समय कार्त्तवीर्याजुन को हजार हाथों का बल प्राप्त करने का वरदान दिया था, जिसके कारण उन्हें सहस्त्रार्जुन कहा जाने लगा। सहस्त्रार्जुन ने अपने पराक्रम से रावण भी परास्त किया था।♥️⚘️युद्ध का कारण ● ऋषि वशिष्ठ से शाप का भाजन बनने के कारण सहस्त्रार्जुन की मति मारी गई थी। सहस्त्रार्जुन ने परशुराम के पिता जमदग्नि के आश्रम में एक कपिला कामधेनु गाय को देखा और उसे पाने की लालसा से वह कामधेनु को बलपूर्वक आश्रम से ले गया।जब परशुराम को यह बात पता चली तो उन्होंने पिता के सम्मान के खातिर कामधेनु वापस लाने की सोची और सहस्त्रार्जुन से उन्होंने युद्ध किया। युद्ध में सहस्त्रार्जुन की भुजाएं कट गई और वह मारा गया।♥️⚘️ तब सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने प्रतिशोधवश परशुराम की अनुपस्थिति में उनके पिता जमदग्नि का वध कर डाला। परशुराम की मां रेणुका पति की हत्या से विचलित होकर उनकी चिताग्नि में प्रविष्ट हो सती हो गई। इस घोर घटना ने परशुराम को क्रोधित कर दिया और उन्होंने संकल्प लिया- मैं हैहय वंश के सभी क्षत्रियों का नाश कर दूंगा। कार्त्तवीर्यार्जुन के दिवंगत होने के बाद उनके पांच पुत्र जयध्वज, शूरसेन, शूर, वृष और कृष्ण अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते रहे।♥️⚘️ जयध्वज के सौ पुत्र थे जिन्हें तालजंघ कहा जाता था, क्योंकि ये काफी समय तक ताल ठोंक कर अवंति क्षेत्र में जमे रहें। लेकिन परशुराम के क्रोध के कारण स्थिति अधिक विषम होती देखकर इन तालजंघों ने वितीहोत्र, भोज, अवंति, तुण्डीकेरे तथा शर्यात नामक मूल स्थान को छोड़ना शुरू कर दिया। इनमें से अनेक संघर्ष करते हुए मारे गए तो बहुत से डर के मारे विभिन्न जातियों एवं वर्गों में विभक्त होकर अपने आपको सुरक्षित करते गए। अंत में महर्षि ऋचीक ने प्रकट होकर परशुराम को ऐसा घोर युद्ध करने से रोक दिया।♥️⚘️ हैहयवंशियों के राज्य की राजधानी महिष्मती नगरी थी जिसे आज महेश्वर कहते हैं जबकि परशुराम और उनके वंशज गुजरात के भड़ौच आदि क्षेत्र में रहते थे। परशुराम ने अपने पिता के वध के बाद भार्गवों को संगठित किया और सरस्वती नदी के तट पर भूतेश्वर शिव तथा महर्षि अगस्त्य मुनि की तपस्या कर अजेय 41 आयुध दिव्य रथ प्राप्त किए और शिव द्वारा प्राप्त परशु को अभिमंत्रित किया। इस जबरदस्त तैयारी के बाद परशुराम ने भड़ौच से भार्गव सैन्य लेकर हैहयों की नर्मदा तट की बसी महिष्मती नगरी को घेर लिया तथा उसे जीतकर व जलाकर ध्वस्त कर उन्होंने नगर के सभी हैहयवंशियों का भी वध कर दिया। अपने इस प्रथम आक्रमण में उन्होंने राजा सहस्रबाहु का महिष्मती में ही वध कर ऋषियों को भयमुक्त किया। इसके बाद उन्होंने देशभर में घूमकर अपने 21 अभियानों में हैहयवंशी 64 राजवंशों का नाश किया। इनमें 14 राजवंश तो पूर्ण अवैदिक नास्तिक थे। इस तरह उन्होंने क्षत्रियों के हैहयवंशी राजाओं का समूल नाश कर दिया जिसे समाज ने क्षत्रियों का नाश माना जबकि ऐसा नहीं है। अपने इस 21 अभियानों के बाद भी बहुत से हैहयवंशीय बच गए । उसी समय सूर्यवंशी और बाकी चंद्रवंशी क्षत्रिय धर्मपूर्वक राज कर रहे थे |
👑⚔️🚩 21 बार क्षत्रियों का विनाश करने वाले परशुराम जी का पूरा सच जान लीजिए | अपने इस 21 अभियानों के बाद भी बहुत से हैहयवंशीय बच गए । उसी समय सूर्यवंशी और बाकी चंद्रवंशी क्षत्रिय धर्मपूर्वक राज कर रहे थे .♥️⚘️ भगवान विष्णु के छठे 'आवेश'अवतार परशुराम जी का जन्म 5142 वि.पू. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में भृगु ऋषि के कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। ऋचीक-सत्यवती के पुत्र जमदग्नि, जमदग्नि-रेणुका के पुत्र परशुराम थे। ऋचीक की पत्नी सत्यवती राजा गाधि (प्रसेनजित) की पुत्री और विश्वमित्र (ऋषि विश्वामित्र) की बहन थी। परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। च्यवन ने राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या से विवाह किया।♥️⚘️महर्षि भृगु के प्रपौत्र, वैदिक ॠषि ॠचीक के पौत्र, जमदग्नि के पुत्र, महाभारतकाल के वीर योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु, शस्त्र एवं शास्त्र के धनी ॠषि परशुराम का जीवन संघर्ष और विवादों से भरा रहा है। भृगुक्षेत्र के शोधकर्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार जिन राजाओं से इनका युद्ध हुआ उनमें से हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन इनके सगे मौसा थे। जिनके साथ इनके पिता जमदग्नि ॠषि का इनकी माता रेणुका को लेकर विवाद हो गया था। कथानक के अनुसार के साथ इनकी माता के सम्बंधों के लेकर हुए इस विवाद में इन्होंने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका का सिर काट दिया था। जिससे नाराज इनके मौसा सहस्त्रार्जुन ने जमदग्नि ॠषि का आश्रम उजाड़ दिया | ♥️⚘️ समाज में आम धारणा यह है कि परशुराम ने 21 बार धरती को क्षत्रियविहीन कर दिया था। सोचिए एक ही बार क्षत्रियों से विहीन करने के बाद दूसरी बार कैसे क्षत्रियों का जन्म हुआ, इस सवाल को खोजना होगा तभी दूसरी बार की बात करेंगे। एक समय ऐसा भी आया था जबकि परशुराम को क्षत्रिय कुल में जन्मे भगवान श्रीराम के आगे झुकना पड़ा था और द्वापर काल में भीष्म पितामह से जैसे क्षत्रिय युद्ध हराना पड़ा | ♥️⚘️ पुराणों में उल्लेख मिलता है कि परशुराम की माता रेणुका से अनजाने में कोई अपराध हो गया था। पिता जमदग्नि उक्त अपराध से अत्यंत क्रोधित हुए तथा उन्होंने अपने पुत्रों को आज्ञा दी कि रेणुका का सिर काट डालो। स्नेहवश कोई पुत्र ऐसा न कर सका, लेकिन परशुराम ने माता का सिर पिताश्री की आज्ञानुसार काट डाला। परशुराम सहित जमदग्नि के 5 पुत्र थे। परशुराम योग, वेद और नीति में पारंगत थे। ब्रह्मास्त्र समेत विभिन्न दिव्यास्त्रों के संचालन में भी वे पारंगत थे। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। ♥️⚘️ कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें कल्प के अंत तक तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। परशुराम के 4 बड़े भाई थे। एक दिन जब सभी पुत्र फल लेने के लिए वन चले गए, तब परशुराम की माता रेणुका स्नान करने गईं। जिस समय वे स्नान करके आश्रम को लौट रही थीं, उन्होंने गन्धर्वराज चित्रकेतु (चित्ररथ) को जलविहार करते देखा। यह देखकर उनके मन में विकार उत्पन्न हो गया और वे खुद को रोक नहीं पाईं।♥️⚘️ महर्षि जमदग्नि ने यह बात जान ली। इतने में ही वहां परशुराम के बड़े भाई रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु भी आ गए। महर्षि जमदग्नि ने उन सभी से बारी-बारी अपनी मां का वध करने को कहा, लेकिन मोहवश किसी ने ऐसा नहीं किया। तब मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया और उनकी विचार शक्ति नष्ट हो गई।फिर वहां परशुराम आए और तब जमनग्नि ने उनसे यह कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने पिता के आदेश पाकर तुरंत अपनी मां का वध कर दिया। यह देखकर महर्षि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और परशुराम को वर मांगने के लिए कहा।♥️⚘️ तब परशुराम ने अपने पिता से माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटना की किसी को स्मृति न रहे और अजेय होने का वरदान भी मांगा। महर्षि जमदग्नि ने उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर दीं। परशुराम राम के समय से हैं। उस काल में हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार था। भार्गव और हैहयवंशियों की पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। हैहयवंशियों का राजा सहस्रबाहु अर्जुन भार्गव आश्रमों के ऋषियों को सताया करता था।
14 Nov, 19:33
👑⚔️🚩𝗪𝗛𝗘𝗡 𝗕𝗛𝗜𝗦𝗛𝗠𝗔 𝗣𝗜𝗧𝗔𝗠𝗔𝗛 𝗗𝗘𝗙𝗘𝗔𝗧𝗘𝗗 𝗛𝗜𝗦 𝗚𝗨𝗥𝗨 𝗣𝗔𝗥𝗦𝗛𝗨𝗥𝗔𝗠 𝗝𝗜 | 𝗧𝗥𝗨𝗘 𝗘𝗫𝗣𝗔𝗠𝗣𝗟𝗔𝗥𝗬 𝗢𝗙 𝗚𝗨𝗥𝗨 - 𝗦𝗛𝗜𝗦𝗛𝗬𝗔 𝗣𝗔𝗥𝗠𝗣𝗔𝗥𝗔 | जब भीष्म पितामह ने अपने ही गुरु परशुराम जी को युद्ध में हराया था | गुरु-शिष्य उदाहरण का सच्चा अनुकरण.
14 Nov, 19:32
♥️⚘️परशुराम, अंबा की यह व्यथा सुनकर अत्यधिक क्रोधित हो गए, और उन्होंने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा। भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण अंबा से विवाह करने को मना कर दिया। इस पर परशुराम ने भीष्म को स्वयं से युद्ध करने को कहा। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जो कई दिनों तक चला। भीष्म का परशुराम से युद्ध भीष्म की प्रतिज्ञा के कारण ही परशुराम जी से उनका युद्ध हुआ | दोनों के बीच 23 दिनों तक द्वंद युद्ध चला था | परशुराम जी अनेक अस्त्रों के ज्ञाता थे, लेकिन वे भीष्म को परास्त नहीं कर पाए | अंत में परशुराम जी को ही युद्धभूमि में पराजित होना पड़ा |
14 Nov, 19:30
14 Nov, 15:44
👑⚔️🚩मेरे अब्दुल अलग हैं | ♥️⚘️Hindu woman Rupali was brutally killed by her husband Iqbal Mohd Shaikh for refusing to wear a burqa and follow Islamic traditions. Rupali went against her family and had a love marriage with Iqbal saying - Mere Abdul alag Hai.♥️⚘️बुर्का पहनने और इस्लामिक परंपराओं का पालन करने से इनकार करने पर हिंदू महिला रूपाली की उसके पति इकबाल मोहम्मद शेख ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। रूपाली ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर इकबाल से यह कहकर प्रेम विवाह कर लिया - मेरे अब्दुल अलग हैं
13 Nov, 20:02
👑⚔️🚩मां बीमार बेटी ने लगाया ठुमके |यह बर्बादी का जश्न है...😡😡😡♥️⚘️ इन तस्वीरों में एक लड़की नाचती हुई दिखाई दे रही है, लड़की का नाचना कोई ताज़्जुब वाली बात नहीं है मगर लड़की जिन परिस्थितियों में नाच रही है वह ज़रूर ही चिंताजनक है,यह लड़की हॉस्पिटल में है, इस लड़की के पीछे जो बेड पर लेटी हुई है वो इसकी मां है,♥️⚘️ यह Reel की बीमारी यहां तक आ गई है कि हॉस्पिटल बेड पर मां बीमार लेटी है और बेटी उसके आगे नाच रही है।
13 Nov, 19:58
👑⚔️🚩1200 साल में 9 करोड़ हिन्दूओ की हत्या की गयी - WILL DURANT [ HISTORIAN ]
12 Nov, 18:55
👑⚔️🚩भारत के युवाओं पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है |भारत में आज प्रभावशाली लोग ऐसी सामग्री बना रहे हैं जो 18+ की फिल्म से कम नहीं है। क्या यह सही दिशा है जिस ओर भारतीय सोशल मीडिया सामग्री बढ़ रही है।
12 Nov, 18:50
👑⚔️🚩बहुत सुंदर संदेश ... हर सनातनी को देखना चाहिए |♥️⚘️तहे दिल से प्रणाम ऐसे मां बाप को जो अपने बच्चों को सही रास्ता दिखाने के लिए संघर्ष करते हैं और सैल्युट उन बेटियों को जो अपने मां-बाप की बात समझ कर गलत रास्ते को छोड़कर सही रास्ते का चुनाव करती है खुद ही नहीं अपने मां-बाप को भी दुनिया की नजरों में गिरने से बचाती है | इस विडियो के माध्यम से बहुत ही सुन्दर संदेश दिया गया है जिसे हर हिन्दू लड़कियों और उनके माता-पिता को देखना चाहिए