प्रशासक समिति®✊🚩(Reg. E&SWS)
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज का पञ्चाङ्ग 🚩
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२६
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८१
⛅ 🚩तिथि - पञ्चमी प्रातः 10:48 तक, तत्पश्चात षष्ठी
👇 समिति से जुड़कर हिंदुत्व जागरण में हमारा सहयोग करने हेतु लिंक पर क्लिक करें, जानकारी भर फॉर्म सबमिट करें
https://www.prashasaksamiti.com/p/volunteer-form.html
⛅ दिनांक - 20 दिसम्बर 2024
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमन्त
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 03:47 दिसम्बर 21 तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - विष्कम्भ शाम 06:12 तक, तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहु काल - प्रातः 11:17 से दोपहर 12:37 तक
⛅ सूर्योदय - 07:20
⛅ सूर्यास्त - 05:59
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:23 तक
⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 12:59 तक
⛅ निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:11 दिसम्बर 21 से रात्रि 01:04 दिसम्बर 21 तक
⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹शीतकाल में बलसंवर्धनार्थ : मालिश🔹
🔸शीतकाल बलसंवर्धन का काल हैं। इस काल में सम्पूर्ण वर्ष के लिए शरीर में शक्ति का संचय किया जाता है। शक्ति के लिए केवल पौष्टिक, बलवर्धक पदार्थों का सेवन ही पर्याप्त नहीं है अपितु मालिश (अभ्यंग), आसन, व्यायाम भी आवश्यक हैं।)
🔹उपयुक्त तेल : मालिश के लिए तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह उष्ण व हलका होने से शरीर में शीघ्रता से फैलकर स्त्रोतसों की शुद्धि करता है। यह उत्तम वायुनाशक व बलवर्धक भी हैं। स्थान, ऋतू, प्रकृति के अनुसार सरसों, नारियल अथवा औषधसिद्ध तेलों (आश्रम में उपलब्ध आँवला तेल) का भी किया जा सकता हैं। सर के लिए ठंडे व अन्य अवयवों के लिए गुनगुने तेल का उपयोग करें।
🔸मालिश काल : मालिश प्रात:काल में करनी चाहिए। धुप की तीव्रता बढ़ने पर व भोजन के पश्चात न करें। प्रतिदिन पुरे शरीर की मालिश सम्भव न हो तो नियमित सिर व पैर की मालिश तथा कान, नाभि में तेल डालना चाहिए।
🔹सावधानी : मालिश के बाद ठंडी हवा में न घूमें। १५ – २० मिनट बाद सप्तधान्य उबटन या बेसन अथवा मुलतानी मिट्टी लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करें। नवज्वर, अजीर्ण व कफप्रधान व्याधियों में मालिश न करें। स्थूल व्यक्तियों में अनुलोम गति से अर्थात ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें।
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जय श्री राम
🚩 हिन्दू राष्ट्र भारत 🚩
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज का पञ्चाङ्ग 🚩
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२६
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८१
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⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - मघा रात्रि 03:47 दिसम्बर 21 तक, तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
⛅ योग - विष्कम्भ शाम 06:12 तक, तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहु काल - प्रातः 11:17 से दोपहर 12:37 तक
⛅ सूर्योदय - 07:20
⛅ सूर्यास्त - 05:59
⛅ दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:23 तक
⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 12:59 तक
⛅ निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:11 दिसम्बर 21 से रात्रि 01:04 दिसम्बर 21 तक
⛅ विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है व षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹शीतकाल में बलसंवर्धनार्थ : मालिश🔹
🔸शीतकाल बलसंवर्धन का काल हैं। इस काल में सम्पूर्ण वर्ष के लिए शरीर में शक्ति का संचय किया जाता है। शक्ति के लिए केवल पौष्टिक, बलवर्धक पदार्थों का सेवन ही पर्याप्त नहीं है अपितु मालिश (अभ्यंग), आसन, व्यायाम भी आवश्यक हैं।)
🔹उपयुक्त तेल : मालिश के लिए तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह उष्ण व हलका होने से शरीर में शीघ्रता से फैलकर स्त्रोतसों की शुद्धि करता है। यह उत्तम वायुनाशक व बलवर्धक भी हैं। स्थान, ऋतू, प्रकृति के अनुसार सरसों, नारियल अथवा औषधसिद्ध तेलों (आश्रम में उपलब्ध आँवला तेल) का भी किया जा सकता हैं। सर के लिए ठंडे व अन्य अवयवों के लिए गुनगुने तेल का उपयोग करें।
🔸मालिश काल : मालिश प्रात:काल में करनी चाहिए। धुप की तीव्रता बढ़ने पर व भोजन के पश्चात न करें। प्रतिदिन पुरे शरीर की मालिश सम्भव न हो तो नियमित सिर व पैर की मालिश तथा कान, नाभि में तेल डालना चाहिए।
🔹सावधानी : मालिश के बाद ठंडी हवा में न घूमें। १५ – २० मिनट बाद सप्तधान्य उबटन या बेसन अथवा मुलतानी मिट्टी लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करें। नवज्वर, अजीर्ण व कफप्रधान व्याधियों में मालिश न करें। स्थूल व्यक्तियों में अनुलोम गति से अर्थात ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें।
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जय श्री राम
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