जय जय श्री कृष्ण
देवताओं!आप लोगों को संभवत यह बात नहीं मालूम है कि मरते समय प्राणियोंको बड़ा कष्ट होता है। उन्हें जबतक चेत रहता है, बड़ी असह्य पीड़ा सहनी पड़ती है और अंतमें वे मूर्छित हो जाते हैं। जो जीव जगतमें जीवित रहना चाहते हैं, उनके लिए शरीर बहुत ही अनमोल, प्रियतम एवं अभीष्ट वस्तु है। ऐसी स्थिति में स्वयं विष्णुभगवान भी यदि जीवसे उसका शरीर मांगे तो कौन उसे देने का साहस करेगा।
( श्रीमद्भागवत महापुराण)
बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल केशव माधव गोविंद बोल।
देवताओं!आप लोगों को संभवत यह बात नहीं मालूम है कि मरते समय प्राणियोंको बड़ा कष्ट होता है। उन्हें जबतक चेत रहता है, बड़ी असह्य पीड़ा सहनी पड़ती है और अंतमें वे मूर्छित हो जाते हैं। जो जीव जगतमें जीवित रहना चाहते हैं, उनके लिए शरीर बहुत ही अनमोल, प्रियतम एवं अभीष्ट वस्तु है। ऐसी स्थिति में स्वयं विष्णुभगवान भी यदि जीवसे उसका शरीर मांगे तो कौन उसे देने का साहस करेगा।
( श्रीमद्भागवत महापुराण)
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