जिसे जान लिखता था, अब उसे दर्द
सरदर्द लिखूंगा.....
लुटाकर सब कुछ अपना,
खुद को खुदगर्ज लिखूंगा...
जिसे सारी खुशियां देने का वादा किया था
अब उसी के लिए खुद को नीलाम लिखूंगा..
वो मेरा न है तो क्या हुआ
ख़ामोशी से मोहब्बत का अंजाम लिखूंगा...
रो लूंगा पुरी उम्र,
पर ताउम्र उसकी खुशी का फरमान लिखूंगा...!!
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सरदर्द लिखूंगा.....
लुटाकर सब कुछ अपना,
खुद को खुदगर्ज लिखूंगा...
जिसे सारी खुशियां देने का वादा किया था
अब उसी के लिए खुद को नीलाम लिखूंगा..
वो मेरा न है तो क्या हुआ
ख़ामोशी से मोहब्बत का अंजाम लिखूंगा...
रो लूंगा पुरी उम्र,
पर ताउम्र उसकी खुशी का फरमान लिखूंगा...!!
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