जिस प्रकार दांत में कुछ फंसा हुआ है तो जीभ बाकी के 31 दांत को छोड़ कर उसी एक दांत पर बार बार जाती है, ये जीभ का स्वभाव नहीं है, ये मन का स्वभाव है।
ठीक उसी प्रकार यदि कोई 100 अच्छी बात बोलने वाला हमें एक बुरी बात बोल दे तो हमारा ध्यान बार बार उस बुरी बात पर ही जाता है। यह हमारा स्वभाव नहीं है, ; हमारे मन का स्वभाव है ।
मन को अपने वश मे करना आवश्यक है क्योंकी मन के कारण ही हमें सुख य़ा दुख की अनुभूति होती है। अच्छी बातें याद रखें और बुरी बातों को भूलने का प्रयास करें तो जीवन सरल हो जायेगा।
ठीक उसी प्रकार यदि कोई 100 अच्छी बात बोलने वाला हमें एक बुरी बात बोल दे तो हमारा ध्यान बार बार उस बुरी बात पर ही जाता है। यह हमारा स्वभाव नहीं है, ; हमारे मन का स्वभाव है ।
मन को अपने वश मे करना आवश्यक है क्योंकी मन के कारण ही हमें सुख य़ा दुख की अनुभूति होती है। अच्छी बातें याद रखें और बुरी बातों को भूलने का प्रयास करें तो जीवन सरल हो जायेगा।