Forward from: 💠✨सनातन रहस्य ✨💠 💠✨ Sanatan Rahasya✨💠
प्रातःकाले च मध्याह्ने सूर्यास्ते चार्द्धरात्रके ॥ कुर्यादेवं चतुर्वारं कालेष्वे- तेषु कुम्भकान् ॥ २७ ॥
टीका-पूर्वोक्त विधिले प्रातःकाल और मध्याह्नमें और सायंकालमें और अर्द्धरात्रिमें इसीतरह चार बार नित्य कुम्भक करना उचित है ।॥ २७ ॥
मूलम्-इत्थं मासत्रयं कुर्यादनालस्योदिने दिने ॥ ततो नाडीविशुद्धिः स्यादविल- म्वेन निश्चितम् ॥ २८ ॥
टीका-इसीप्रकार आलस्यको छोडकरके तीन मास नित्यकरे तो उस पुरुषकी नाडी बहुत शीघ्र शुद्ध होजाय यह निश्चय है ।। २८ ।।
मूलम् यदा तु नाडीशुद्धिः स्याद्योगिन- स्तत्त्वदर्शिनः ॥ तदा विध्वस्तदोषश्च भवेदारम्भसम्भवः ॥ २९ ॥
टीका:- तत्त्वदर्शी योगीकी जब नाडी शुद्ध होगी तब सर्व दोषका नाश होगा और आरम्भका सम्भव होगा ।। २९ ।।
#shiv #samhita #parnayam #vidhi #yog
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@sanatanarahasya
टीका-पूर्वोक्त विधिले प्रातःकाल और मध्याह्नमें और सायंकालमें और अर्द्धरात्रिमें इसीतरह चार बार नित्य कुम्भक करना उचित है ।॥ २७ ॥
मूलम्-इत्थं मासत्रयं कुर्यादनालस्योदिने दिने ॥ ततो नाडीविशुद्धिः स्यादविल- म्वेन निश्चितम् ॥ २८ ॥
टीका-इसीप्रकार आलस्यको छोडकरके तीन मास नित्यकरे तो उस पुरुषकी नाडी बहुत शीघ्र शुद्ध होजाय यह निश्चय है ।। २८ ।।
मूलम् यदा तु नाडीशुद्धिः स्याद्योगिन- स्तत्त्वदर्शिनः ॥ तदा विध्वस्तदोषश्च भवेदारम्भसम्भवः ॥ २९ ॥
टीका:- तत्त्वदर्शी योगीकी जब नाडी शुद्ध होगी तब सर्व दोषका नाश होगा और आरम्भका सम्भव होगा ।। २९ ।।
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