संस्कृति किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है और इस आधारशिला को निरंतर बनाए रखने के लिए स्त्री और पुरुष के चरित्र की महती भूमिका होती है। परिवार समाज का आधार होता है और समाज संस्कृति का । किसी भी राष्ट्र को बिना युद्ध के जीतना हो तो संस्कृति का क्षय कर दो और इसके लिए परिवार को भ्रष्ट और विभाजित करना होगा। एक चरित्रवान स्त्री परिवार के आधार की महती इकाई होती है यदि वो किसी प्रकार भ्रष्ट और पतित हो जाए तो सब कुछ नष्ट हो जायेगा। इसके लिए व्यभिचार को इतना सामान्य कर दो कि समाज सामान्य व्यवहार और व्यभिचार में कोई स्पष्ट अंतर ना कर सके और यहीं से पतन का आरंभ होता है।