अद्वैतं केचिदिच्छन्ति द्वैतमिच्छन्ति चापरे । मम तत्त्वं च जानन्ति द्वैताद्वैतविवर्जितम् ॥ ११० ॥
कुछ लोग द्वैत को चाहते हैं तो कुछ अद्वैत को, किन्तु मेरे तत्त्व को वही जानते हैं जो द्वैत-अद्वैत से परे हैं ।। ११० ॥
#bhagwan #shiv #kularnava
कुछ लोग द्वैत को चाहते हैं तो कुछ अद्वैत को, किन्तु मेरे तत्त्व को वही जानते हैं जो द्वैत-अद्वैत से परे हैं ।। ११० ॥
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