Репост из: इंद्र Meena
#प्यार_का_बंधन...
अनुज नाम था उसका....मेरे आफिस में थर्ड ग्रेड वर्कर था....मेरा तबादला अभी यहाँ हुआ था आफिसर की पोस्ट पर मैने तीन चार दिन पहले ही ज्वाईनिंग की थी....!!!
अनुज बहुत मेहनती व समझदार था मुझे तो दीदी ही बोलता था पर एक दिन मेरे जूनियर प्रशांत ने उसे डाँटते हु़ये बोला कि वो मेडम है....तो सपना मैम बोला करो बस तब से वो मुझे मैम बोलने लगा....पर जाने क्यूँ मुझे उसका दीदी बोलना अच्छा लगता था....!!!!
आज वो बहुत खुश था तो मैंने कहा...क्या हुआ अनुज आज बहुत खुश हो...????
हाँजी मैम कल राखी है ना इसलिये घर जा रहा हूँ...!!!
मैंने कहा...अच्छा तुम्हारी बहन है..!!!
जोर से हँसता हुआ बोला....है ना पाँच है...तीन बड़ी शादीशुदा है व दो छोटी है...!!!
मैंने कहा...तोहफे ले लिये बहनों के लिये...तो बोला आज खरीदूँगा ज्यादा मँहगे तो नहीं ले सकता पर जो भी...बोलकर जल्दी जल्दी अपना काम करने लगा...!!!!!
उसे देखकर बहुत अच्छा लग रहा था...सच कहूँ तो आज भाई की कमी बहुत खल रही थी...मैं इकलौती बेटी हूँ अपनी मम्मी-पापा की....तभी मन में एक ख्याल आया और पहले अनुज की फाईल निकालकर उसके घर का पता लिख लिया व जल्दी ही आफिस से निकल गयी....इक नयी उंमग के साथ शॉपिंग की ढेर सारी और घर आ गयी...!!!!
मम्मी ने आते ही बोला...अरे ! सपना आज ये इतना सब क्या खरीद लायी....;;;;
मैंने बोली राखी की तैयारी है मम्मी...वो हैरत से मेरा मुँह देखने लगी कि जो बेटी हर राखी पर उदास बैठी रहती है आज इतनी चहक रही है...फिर मैंने मम्मी को अपनी प्लानिंग बताई और पापा को भी समझाया तो वो भी मान गये..!!!!
आज राखी के दिन पहली बार मैं इतनी खुश थी व जल्दी जल्दी तैयार भी हो गयी...मैं ,पापा व मम्मी हम तीनों कार से अनुज के घर पहुँच गये....!!!
दरवाजा खुला था व शोर आ रहा था सब बहनों में पहले कौन राखी बाँधेगा...यही मस्ती मजाक चल रहा था...बहुत सुंदर नजारा था.....तभी मुझे देख अनुज एकदम सकपका गया....!!!
अरे मैम आप यहाँ कैसे....तो मैंने राखी निकाली और बोली अगर आप सबको मंजूर हो तो आज पहले मैं राखी बाँधना चाहती हूँ....क्या मेरे भाई बनोगे अनुज...मेरी आँखों से आँसू बहने लगे....अनुज ने बोला मैम मैं आपको क्या बोलूँ....मैं आपको क्या दे सकता हूँ...?????
उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया....मैं राखी बाँधी और सभी तोहफे निकाल कर सभी को दे दिये....अनुज के लिये घड़ी लायी थी वो भी उसके हाथ में बाँध दी और बोली...ये बंधन तोहफे का नही है....ये तो प्यार व विश्वास का है जो मुझे तुममें दिखा....अब से तुम मुझे मैम नही दीदी ही बोलना जैसे मुझे मिलते ही तुमने बोला था..
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अनुज नाम था उसका....मेरे आफिस में थर्ड ग्रेड वर्कर था....मेरा तबादला अभी यहाँ हुआ था आफिसर की पोस्ट पर मैने तीन चार दिन पहले ही ज्वाईनिंग की थी....!!!
अनुज बहुत मेहनती व समझदार था मुझे तो दीदी ही बोलता था पर एक दिन मेरे जूनियर प्रशांत ने उसे डाँटते हु़ये बोला कि वो मेडम है....तो सपना मैम बोला करो बस तब से वो मुझे मैम बोलने लगा....पर जाने क्यूँ मुझे उसका दीदी बोलना अच्छा लगता था....!!!!
आज वो बहुत खुश था तो मैंने कहा...क्या हुआ अनुज आज बहुत खुश हो...????
हाँजी मैम कल राखी है ना इसलिये घर जा रहा हूँ...!!!
मैंने कहा...अच्छा तुम्हारी बहन है..!!!
जोर से हँसता हुआ बोला....है ना पाँच है...तीन बड़ी शादीशुदा है व दो छोटी है...!!!
मैंने कहा...तोहफे ले लिये बहनों के लिये...तो बोला आज खरीदूँगा ज्यादा मँहगे तो नहीं ले सकता पर जो भी...बोलकर जल्दी जल्दी अपना काम करने लगा...!!!!!
उसे देखकर बहुत अच्छा लग रहा था...सच कहूँ तो आज भाई की कमी बहुत खल रही थी...मैं इकलौती बेटी हूँ अपनी मम्मी-पापा की....तभी मन में एक ख्याल आया और पहले अनुज की फाईल निकालकर उसके घर का पता लिख लिया व जल्दी ही आफिस से निकल गयी....इक नयी उंमग के साथ शॉपिंग की ढेर सारी और घर आ गयी...!!!!
मम्मी ने आते ही बोला...अरे ! सपना आज ये इतना सब क्या खरीद लायी....;;;;
मैंने बोली राखी की तैयारी है मम्मी...वो हैरत से मेरा मुँह देखने लगी कि जो बेटी हर राखी पर उदास बैठी रहती है आज इतनी चहक रही है...फिर मैंने मम्मी को अपनी प्लानिंग बताई और पापा को भी समझाया तो वो भी मान गये..!!!!
आज राखी के दिन पहली बार मैं इतनी खुश थी व जल्दी जल्दी तैयार भी हो गयी...मैं ,पापा व मम्मी हम तीनों कार से अनुज के घर पहुँच गये....!!!
दरवाजा खुला था व शोर आ रहा था सब बहनों में पहले कौन राखी बाँधेगा...यही मस्ती मजाक चल रहा था...बहुत सुंदर नजारा था.....तभी मुझे देख अनुज एकदम सकपका गया....!!!
अरे मैम आप यहाँ कैसे....तो मैंने राखी निकाली और बोली अगर आप सबको मंजूर हो तो आज पहले मैं राखी बाँधना चाहती हूँ....क्या मेरे भाई बनोगे अनुज...मेरी आँखों से आँसू बहने लगे....अनुज ने बोला मैम मैं आपको क्या बोलूँ....मैं आपको क्या दे सकता हूँ...?????
उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया....मैं राखी बाँधी और सभी तोहफे निकाल कर सभी को दे दिये....अनुज के लिये घड़ी लायी थी वो भी उसके हाथ में बाँध दी और बोली...ये बंधन तोहफे का नही है....ये तो प्यार व विश्वास का है जो मुझे तुममें दिखा....अब से तुम मुझे मैम नही दीदी ही बोलना जैसे मुझे मिलते ही तुमने बोला था..
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