•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
दो घड़ी के साथी को हमसफ़र समझते हैं
किस क़दर पुराने हैं , हम नए ज़माने में,
एहतियात रखने की कोई हद भी होती है
भेद हम ने खोले हैं , भेद को छुपाने में,
तेरे पास आने में आधी उम्र गुजरी है
आधी उम्र गुज़रेगी तुझ से दूर जाने मे❤️
~आलम खुर्शीद
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
दो घड़ी के साथी को हमसफ़र समझते हैं
किस क़दर पुराने हैं , हम नए ज़माने में,
एहतियात रखने की कोई हद भी होती है
भेद हम ने खोले हैं , भेद को छुपाने में,
तेरे पास आने में आधी उम्र गुजरी है
आधी उम्र गुज़रेगी तुझ से दूर जाने मे❤️
~आलम खुर्शीद
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️