पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्वादमां मयि सन्निध्त्स्व।।
इस मंत्र में भगवती लक्ष्मी की स्तुति की गई है। इस का अर्थ इस प्रकार है -
“कमलवत् विकसित सुन्दर मुख वाली हे लक्ष्मी ! कमलवासिनी ! तुम पद्मिनी हो, कमल के समान कोमल गीव्रा वाली हों। कमल पत्र की तरह विश्खाल आंखों वाली हे देवी! तुम विश्वप्रिया हो, सबके मन को अनुकूलता प्रदान करने वाली हो, अपने चरण कमलों से मुझे पवित्र बना दो।" इसका तात्पर्य हुआ कि लक्ष्मी हमारे घर में एक बार प्रवेश करें और कभी न जायें।
पद्मानने पद्म ऊरु पद्माक्षि पद्मसम्भवे। तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ।।
"हे कमलमुखी ! कोमलांगी देवी ! तुम कमल के समान नेत्र वाली, कमल सदृश अत्यन्त कोमल जङ्घावाली, उस कमल सी कृपा दृष्टि से मुझे देखो, ताकि मैं जीवन में सुख प्राप्त करूं।"
इस मंत्र में भगवती लक्ष्मी की स्तुति की गई है। इस का अर्थ इस प्रकार है -
“कमलवत् विकसित सुन्दर मुख वाली हे लक्ष्मी ! कमलवासिनी ! तुम पद्मिनी हो, कमल के समान कोमल गीव्रा वाली हों। कमल पत्र की तरह विश्खाल आंखों वाली हे देवी! तुम विश्वप्रिया हो, सबके मन को अनुकूलता प्रदान करने वाली हो, अपने चरण कमलों से मुझे पवित्र बना दो।" इसका तात्पर्य हुआ कि लक्ष्मी हमारे घर में एक बार प्रवेश करें और कभी न जायें।
पद्मानने पद्म ऊरु पद्माक्षि पद्मसम्भवे। तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ।।
"हे कमलमुखी ! कोमलांगी देवी ! तुम कमल के समान नेत्र वाली, कमल सदृश अत्यन्त कोमल जङ्घावाली, उस कमल सी कृपा दृष्टि से मुझे देखो, ताकि मैं जीवन में सुख प्राप्त करूं।"