अमित आर्यावर्त (भारत योगी)


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वैदिक धर्म का प्रचार ही हमारा मकसद होना चाहिए वैदिक धर्म बचेगा तभी देश बचेगा
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कितनी ही बार सुनो मन नहीं भरता , https://www.youtube.com/watch?v=0qFpVaI5JtU&t=479s


समाज सुधार का कार्य बड़ा ही कठिन कार्य है

ऋषि दयानंद जी की जीवनी पढ़ रहा हूं तो मालूम चल रहा है कि कितना कठिन जीवन था ऋषि का कितनी करुणा थी ऋषि में,

ऋषि दयानंद हमेशा धर्म के मार्ग पर ही चले समाज की सभी कुरीतियों का विरोध किया कन्याओं को भी समान अधिकार दिलवाए जातपात को खत्म करने का प्रयास किया

ऋषि पर कोई पत्थर फेंकता कोई विष देता कोई तलवार लेकर मारने आता कोई अपशब्द बोलता , किंतु इन अखंड ब्रह्मचारी के सामने आते ही सभी परास्त हो जाते

यदि पौराणिक समाज ने ऋषि दयानंद जी की मानी होती तो आज जातिवाद भारत से समाप्त हुए 100 वर्ष से भी ज्यादा का समय हो जाता , ना तो भारत के टुकड़े होते ओर ना ही नेहरू प्रधानमंत्री होता , ओर ना ही आंबेडकर अपना मत बदल कर राष्ट्र को कमजोर करते ओर ना ही गांधी किसी को ब्लैकमेल कर पाता

क्योंकि जब देश का बहुसंख्यक समाज कमजोर होगा पाखंड में डूबा होगा अनेकता में एकता जैसे झूठी बातों को मानेगा, अपने बच्चों को गर्भ काल से ही धर्म की शिक्षा नहीं देगा, तब तक देश विरोधी ताकते हावी होंगी ही

मुझे तो केवल एक ही मार्ग दिखता है सभी आर्यसमाजी विद्वान एक मत होकर अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाएं तो हम भारत को बचा सकते हैं

किंतु ऐसा होगा ये केवल कल्पना मात्र ही है, पता नहीं मैं सही हूं या गलत किंतु मुझे लगता है कि आजका आर्यसमाज ऋषि वाला आर्यसमाज नहीं रहा

🙏ओ३म्🙏




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*सनसनीखेज खुलासा!!*

*टी वी पर चर्चारत इन दोनों का न तो कांग्रेस* से ना ही *BJP* से कुछ लेना देना है। *इस वीडियो में आप को बेहद डरावनी जानकारी मिलेगी। बोले गए एक-एक शब्द को सुन कर सभी भारतीयों को यह एहसास होगा कि हमारा देश कितने बड़े संकट से बाहर आ गया है।*
कृपया इसे एक बार सुनें और समझने का प्रयास करें...!! 15 मिनट का वीडियो है, जरूर देखें जिस सच्चाई से अभी तक आप और हम अनभिज्ञ थे, निवेदन है एक बार जरूर देखे


बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना? नहीं बेगानी शादी में हिंदू दीवाना ? वास्तव में कहावत तो अधिकतर हिंदुओ पर सही बैठती है

1 जनवरी खतना दिवस पर पागल होने वालो
ईसा के जन्म की हमे क्यों खुशी मनानी चाहिए? ईसाईकरण कितनी बड़ी समस्या है क्या तुम नहीं जानते?

अंग्रेजो ने अप्रैल में नया साल मनाने वालो को मूर्ख घोषित करने के लिए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित किया, जबकि मार्च अप्रैल में प्रकृति में सब नया होने लगता है पतझड़ से हरियाली छाने लगती है

जबकि 1 जनवरी पर पतझड़ का मौसम बना रहता है ठंड बनी रहती है प्रकृति में कोई बदलाव यानी नयापन देखने को नहीं मिलता, वास्तव में 1 जनवरी ही मूर्खता दिवस है

क्या ईसाई बहुल देश भगवान राम कृष्ण के जनम की खुशियां मनाते हैं? जो भारत के अधिकतर हिंदू 25 दिसम्बर हो या 1 जनवरी खुशी के मारे बावला हुआ जाता है?

सोशल मीडिया पर देश भक्ति की बाते करने वाले भी 1 जनवरी खतना दिवस को पागल हुए जाते हैं
बाते करते हैं ये सनातन धर्म की किंतु अपने बालकों के जन्मदिवस पर सनातन का मुख्य कर्तव्य हवन नहीं करते, अपने त्योहारों पर हवन नहीं करते , अपनी प्राचीन परम्पराओं का त्यागने वाला अधिकतर हिंदू समाज क्या हिंदू राष्ट्र बना पाएगा ?

भारत का ईसाईकरण सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, ईसाई मिशनरियां हिंदुओ को ईसाई बनाकर भारत के नए गद्दारों को जनम दे रही हैं,

हिंदुओ ने अपने विनाश से भी कुछ नहीं सिखा देखो मणिपुर में दो मुख्य विचार धाराएं हैं एक जो सनातन धर्म को मानते हैं दूसरे जो पहले हिंदू थे अब ईसाई मत को मानते हैं , जब सनातन धर्म से विपरीत दूसरी विचारधाराएं ज्यादा होगी तो आपको लूटपाट हत्याएं देश के टुकड़े मारकाट विनाश होते नजर आएंगे

वास्तविकता यही है कि ये बाते ज्यादातर हिंदू सोचता नहीं है , कथनी और करनी में अंतर है , घमंड तो पूरा है किंतु स्वाभिमान जरा सा भी नहीं बचा
अमित आर्य


महत्वपूर्ण जानकारी एक नई आईडी बनाई जा रही है apaar id , ध्यान दें ये स्वैच्छिक है यदि आप नहीं बनवाना चाहते तो कोई स्कूल आप पर दबाव नहीं डाल सकता

ये नम्बर सरकार की वेबसाइट से यहां दे रहा हूं आप खुद बात कर सकते हो, कोई स्कूल आप पर दबाव बनाए तो यहां फोन करके स्कूल वालो की बात करवा सकते हो,

apaar हेल्पलाइन फोन नंबर ये है
👉 18008893511

ओर नीचे rti का चित्र भी है तो डरने का नहीं किसी से


आधुनिक काल के माहान क्रन्तिकारी श्री राजीव दीक्षित भाई के व्याख्यान में से
राजीव दीक्षित जी ने नेहरु चिंदम्बरम मनमोहन आदि सबको अच्छे से एक्सपोज किया था

मनमोहन सिंह जब पहली बार प्रधानमन्त्री बने तो ऑक्सफ़ोर्ड गए वहां पर एक सम्मान समारोह हुआ मनमोहन सिंह का
समारोह में मनमोहन ने 40 मिनट का भाषण दिया

उसमे उन्होंने बोला की भारत हजारों साल से गरीब देश है ये तो अंग्रेज थे जो भारत आए और भारत को सभ्य बनाया हम अंग्रेजो के बहुत आभारी हैं
जिन्होंने आकर भारत को तकनिकी सिखाई हम अंग्रेजो के बहोत आभारी हैं जिन्होंने भारत मे विज्ञानं लाया , हम अंग्रेजो के बहुत आभारी हैं जिन्होंने भारत में उद्योग लाए , 40 मिनट तक वो यही सब बोलते रहे

अगले दिन ये भाषण इंग्लेंड के अखबारों में छपा तो कई अखबारों ने हेडिंग लगाया

"लगता है भारत अभी भी अंग्रेजो की गुलामी में ही है क्योकि भारत का प्रधानमन्त्री जो गान गा रहा है यहाँ आकर वो एक सवतंत्र देश के स्वाभिमानी प्रधानमन्त्री का गान नहीं हो सकता ये तो गुलाम देश के
गुलाम प्रधानमन्त्री का गाना है "

ये व्याख्यान राजिव भाई की वीडयो में मिल जाएगा , और मनमोहन के उस भाषण की वीडयो सालो पहले मेने देखि थी शायद इंटरनेट पर खोजने से अब भी मिल जाए

अब एक जानकारी और

जब मनमोहन प्रधानमन्त्री बने तो इन्होने भारतीयों के टैक्स के पैसे से पकिस्तान के अपने गाँव में सड़क बनवाई लाईट लगवाई और भी बहुत कुछ किया एक पकिसतनी चेनल पर ये सब बताया जारहा था मेने इसकी वीडयो देखि है

🚩जय हो निर्भीक क्रांतिकारी श्री राजीव दीक्षित जी की🚩


वेद हो या उपनिषद या योगदर्शन सभी स्थानों पर ओ३म् महिमा ही बताई गई है, फिर इस ईश्वर के मुख्य नाम को क्यों त्यागा हुआ है

ईश्वर, आत्मा, प्रकृति
ईश्वर चेतन आत्मा चेतन किंतु प्रकृति जड़

तभी उपनिषदों में या योगियों के वचनों में यही बताया गया है कि यम नियम का पालन करते हुए धारणा ह्रदय प्रदेश (दोनों फेफड़ों के नीचे की तरफ बीच में जो गड्ढा है) में लगाकर ओ३म् का जाप करना चाहिए

जब धारणा सही बन जाती है तो सांस भिन प्रकार से चलती है , यानी खुद ही प्राणायाम होने लगता है, तभी तो 1 घंटा ध्यान करने के बाद शरीर ऊर्जावान लगता है,

अनिद्रा, तनाव, अतिक्रोध, आदि आदि समस्याएं दूर होती जाती हैं

ओर ध्यान करने वाला अपने पूर्वजों को अपमानित करने से भी बचता है जानते हो कैसे?

मैंने सड़क किनारे कई भगवानों के चित्र पड़े देखें है, उनके साथ क्या क्या होता है मैं क्या ही लिखूं

आप कभी अपने दादा अपने बाप के चित्र को कूडे में नहीं फेंकते किंतु जिन्हें आप ईश्वर मानकर पूजते हो बादमें उन्हें कूड़े में फेंक देते ही या नदियों में डाल कर नदियों को प्रदूषित करते हो

केवल ईश्वर का ध्यान ही उन्नति का मार्ग है बाकी सब पतन का मार्ग है

जो भाई भूत प्रेत को मानते हैं , जब आप ध्यान करेंगे तो भूत प्रेत की समस्या आपको नहीं होगी क्योंकि दिमाग आपका ठीक रहेगा और साथ ही सांसों का महत्व भी समझ आने लगेगा (सांसों का महत्व यानी स्वर विज्ञान)

आप कभी भी देखलेना जो लोग वास्तव में ध्यान करने वाले होते हैं वो कभी डिप्रेशन तनाव जो भी आप बोलते हो इन सब का शिकार नहीं होता ध्यानी व्यक्ति जबकि इसकी तुलना में जड़ को पूजने वाला डिप्रेशन की दवाएं खाता है

इस लेख का मकसद घृणा नहीं है केवल थोड़ा सा जगाना मात्र है, बाकी तो जिसका जैसा विवेक होगा करेगा ही




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बस अब क्या ही कहें 😄


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🚩दयानंद सा इस दुनिया में वेदों का विद्वान नहीं🚩


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एक्यूप्रेशर का 22 वर्ष का अनुभव ।

🪶 श्री अरविन्द श्रीवास्तव
अध्यक्ष समवायी फाउन्डेशन, नोएडा ।
एक्यूप्रेशर का 5.5 वर्ष का अनुभव ।

🪶 श्री निरंजन कुमार गुप्ता
प्रमोटर समवायी फाउन्डेशन, नोएडा ।
एक्यूप्रेशर का 5.5 वर्ष का अनुभव ।

🪶 डॉ दिव्या
प्रमोटर समवायी फाउन्डेशन, नोएडा ।
एक्यूपंक्चर का 2 वर्ष का अनुभव ।

🪶 डॉ कोमल बालवानी
प्रमोटर समवायी फाउन्डेशन, नोएडा ।
नैचुरोपैथी का 20 वर्ष का अनुभव ।

🪶 अन्य थेरेपिस्ट /प्रमोटर समवायी फाउंडेशन नोएडा जिन्हें 2 वर्ष से अधिक का एक्यूप्रेशर का अनुभव प्राप्त है ।

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🔅अपने घर पर रहकर एक्यूप्रेशर सीखें । 🖥️
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🔅दबाव, बीज, रंग और मैग्नेट के माध्यम से प्रैक्टिकल सिखाया जाएगा। 🫛🫘
🔅एक्यू उपकरणों का उपयोग, NATURO मेडीसिन का उपयोग बताया जाएगा। 🧘🏻
🔅एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर चिकित्सा में कोई साइड इफेक्ट नहीं, कोई दर्द नहीं, कोई दवा नहीं। 💊❎
🔅थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों के विषय में जानकारी दी जाएगी। 📒

📩 Send following details to join the course:
*Candidate Name*-
*Father's Name* -
*Mother's Name*-
*Age* -
*WhatsApp Mobile No* -
*City Name* -
*Full Address with pin code-* -
*Education qualification*

Contact:
👤 श्री अरविंद श्रीवास्तव
📞 +91 9910229503

👤 श्री निरंजन कुमार गुप्ता
📞 +91 8084909448

👤 श्रीमती सुषमा ओझा
📞 +91 9140885902

*For any enquiry, please Text or WhatsApp on the phone numbers given above🙏

🎗️ *द्वारा आयोजित*-
समवायी फाउन्डेशन, नोएडा


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अनुभव की जानकारी बहुत काम की होती है चौथी स्टेज का कैंसर भी हार गया


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बडा गहरा सदमा लगा है, हिंदुओ की जाती खोजने वाले को😄🚩


दोस्तों इस विषय पर आप सभी का साथ मिलना चाहिए मुझे, क्योंकि मैं अपने क्रांतिकारियों पर एनीमेटिड वीडियो बना रहा हूं ओर एनीमेटिड वीडियो खुद से बनाने में बहुत मेहनत लगती है,

अभी मैं करेक्टर त्यार कर रहा हूं

अपने क्रांतिकारियों के परिवारों ने जो कष्ट सहे लोगों ने उन्हें जो ताने दिए आजादी के बाद जो क्रांतिकारी जीवित रहे उनकी क्या दुर्गति की इस भारतीय समाज ओर उस समय की नेहरू की सरकार ने, इन सब जानकारियों को अच्छे से एनीमेटिड रूप में आप सबके सामने रखना चाहता हूं

बस आप लोगों का सहयोग चाहिएगा इसमें की आप अधिक लोगो तक ये जानकारिया पहुंचा सके, खास कर जो युवा बालक बालिकाएं लड़के लड़कियां हैं उन तक जरूर पहुंचनी चाहिए 🙏 कि किसी ने उन्हें आजाद करवाने के लिए कैसे अपना सब कुछ बर्बाद कर दिया पीछे से माता पिता के साथ घटिया समाज ने कैसा व्यवहार किया, किसी क्रांतिकारी को आजादी के बाद सड़क पर सिगरेट बेच कर गुजारा करना पड़ा, किसी महिला क्रांतिकारी को दूसरों के घरों में बर्तन साफ करके गुजारा करना पड़ा, कृप्या इस कार्य में मेरा साथ देना मित्रो ताकि कुछ युवाओं का जीवन बदल सके और यही हमारे क्रांतिकारियों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि होगी🙏

महान क्रांतिकारी ब्रह्मचारी रामप्रसाद बिस्मिल जी की मां ने जो कष्ट सहे उस विषय पर वीडियो बना रहा हूं , प्रयास करूंगा इस महीने ये वीडियो आजाए

सच बात कहूं तो स्क्रिप्ट तैयार करने में ही पता नहीं कितनी बार आंखों में आसू आते हैं , समझ नहीं आता भारत के लोग इतने दुष्ट कैसे हो गए सचमे बड़ा कठोर हृदय है लोगों का, एक बात और समझ में आई कि यदि आप अपनी जन्मभूमि के लिए बलिदान दें तो पीछे ये आशा मत रखना कि कोई आपके माता पिता का सहायता करेगा सब उस परमपिता परमात्मा के भरोसे छोड़ देना चाहिए वैसे सब उसके ही भरोसे पर है, क्योंकि कष्ट चाहे कितना ही बड़ा क्यों ना हो वो अनंत काल तक नहीं रहता,

पता नहीं कितने पुण्य किए होंगे तब जाकर इस भारत भूमि पर जनम मिला और वेदों का ज्ञान मिला सचमें अच्छे ही कर्मों का फल है ये , बाकी दुख सुख तो जीवन में चलेंगे ही , चाहे कोई भी हो

🚩🙏ओ३म्🚩🙏


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ये छोटी सी वीडियो देख कर मुझे विश्वास है कि इस मुस्लिम लड़की के माता पिता के विचार एक समान है, तभी इन्हें अपना मकसद पता है,

एक तरफ हिंदू माता पिता है जो दोनों ही एक समान मिलकर बच्चों को संस्कार दें दुर्लभ है और धर्म के संस्कार दें ये तो ओर भी दुर्लभ असंभव सा लगता है


अरे बुढ़िया तू यहाँ न आया कर, तेरा बेटा तो चोर-डाकू था, इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“
जंगल में लकड़ी बीन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़े व्यक्ति ने हंसते हुए कहा,

“नही चंदू ने आजादी के लिए बलिदान दिया है“ बुजुर्ग महिला ने गर्व से कहा।

उस बुजुर्ग महिला का नाम था जगरानी देवी और इन्होने पांच बेटों को जन्म दिया था, जिसमें आखिरी बेटा कुछ दिन पहले ही आजादी के लिए बलिदान हुआ था। उस बेटे को ये माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनिया उसे आजाद ... जी हाँ ! चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानती है।

हिंदुस्तान आजाद हो चुका था, आजाद के मित्र सदाशिव राव एक दिन आजाद के माँ-पिता जी की खोज करते हुए उनके गाँव पहुंचे। आजादी तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था।

चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी। आज़ाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी।

अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात आज़ाद की निर्धन निराश्रित वृद्ध माता उस वृद्धावस्था में भी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने के बजाय जंगलों में जाकर लकड़ी और गोबर बीनकर लाती थी तथा कंडे और लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं। लेकिन वृद्ध होने के कारण इतना काम नहीं कर पाती थीं कि भरपेट भोजन का प्रबंध कर सकें। कभी ज्वार कभी बाज़रा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं क्योंकि दाल चावल गेंहू और उसे पकाने का ईंधन खरीदने लायक धन कमाने की शारीरिक सामर्थ्य उनमे शेष ही नहीं थी।

शर्मनाक बात तो यह कि उनकी यह स्थिति देश को आज़ादी मिलने के 2 वर्ष बाद (1949 ) तक जारी रही।

चंद्रशेखर आज़ाद जी को दिए गए अपने एक वचन का वास्ता देकर सदाशिव जी उन्हें अपने साथ अपने घर झाँसी लेकर आये थे, क्योंकि उनकी स्वयं की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के कारण उनका घर बहुत छोटा था। अतः उन्होंने आज़ाद के ही एक अन्य मित्र भगवान दासमाहौर के घर पर आज़ाद की माताश्री के रहने का प्रबंध किया और उनके अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की।

मार्च 1951 में जब आजाद की माँ जगरानी देवी का झांसी में निधन हुआ तब सदाशिव जी ने उनका सम्मान अपनी माँ के समान करते हुए उनका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से ही किया था।
देश के लिए बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों के परिवारों की ऐसी ही गाथा है🥺🙏


बेटा एक बार हल्ला करके तो दिखाओ, मैं भी देखता हूँ..

असम में कुछ लोगों ने कहा कि हम मदरसा नहीं बंद कर पाएंगे।

फिर... मैंने बोला भारत को मुल्ला की जरूरत नहीं है डॉक्टर, इंजीनियर की जरुरत है।

उन्होंने कहा हल्ला हो जाएगा, मैंने बोला ठीक है बेटा एक बार हल्ला करके दिखाओ मैं भी देखता हूँ हल्ला कैसे करते हो।

मदरसा बंद हो गया कुछ हल्ला गुल्ला नहीं हुआ।

ऐसे ही हुआ था जब राम मंदिर बना था, कहते थे हल्ला हो जाएगा, हुआ क्या?

जब हिंदू एक रहता है तो ना कोई हल्ला नहीं होता है।

: हिमंता बिस्वा सरमा, मुख्यमंत्री, असम

सोर्स पांचजन्य


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सोचिए भारत के कितने बुरे दिन थे वो


कमेंट बताना ये वीडियो कैसी लगी

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