🌿 एक एव हि भूतात्मा भूते भूते व्यवस्थितः।
एकधा बहुधा चैव दृश्यते जलचन्द्रवत्॥
🌞 भूते भूते व्यवस्थित एक एव भूतात्मा परमात्मा हि जलचन्द्रवत् जलस्थितचन्द्रप्रतिबिम्बवद् स्थिरजलसदृशि निर्मलमनसि एकधा अस्थिरजलसदृशि अङ्कारयुक्तमनसि चैव बहुधा दृश्यते।
🌷 प्रत्येक प्राणी में एक हि (परम्) आत्मा, जल में स्थित चन्द्रमा के (प्रतिबिम्ब) के समान स्थित है। (जो निर्मल मन के समान स्थिर पानी में) एक के रूप में और (अहंकार से भरे मन के समान गतिशील पानी में) अनेक रूपों में दिखाई पड़ता है।
🌹 Situated in every being, there is only one (supreme) soul, which, just as (the reflection of) the moon in (still) water (resembling a clear mind) appears as one; and (in moving water resembling a mind full of ego) appears as multiple.
📍ब्रह्मबिन्दूपनिषद् । २॥ #Subhashitam
एकधा बहुधा चैव दृश्यते जलचन्द्रवत्॥
🌞 भूते भूते व्यवस्थित एक एव भूतात्मा परमात्मा हि जलचन्द्रवत् जलस्थितचन्द्रप्रतिबिम्बवद् स्थिरजलसदृशि निर्मलमनसि एकधा अस्थिरजलसदृशि अङ्कारयुक्तमनसि चैव बहुधा दृश्यते।
🌷 प्रत्येक प्राणी में एक हि (परम्) आत्मा, जल में स्थित चन्द्रमा के (प्रतिबिम्ब) के समान स्थित है। (जो निर्मल मन के समान स्थिर पानी में) एक के रूप में और (अहंकार से भरे मन के समान गतिशील पानी में) अनेक रूपों में दिखाई पड़ता है।
🌹 Situated in every being, there is only one (supreme) soul, which, just as (the reflection of) the moon in (still) water (resembling a clear mind) appears as one; and (in moving water resembling a mind full of ego) appears as multiple.
📍ब्रह्मबिन्दूपनिषद् । २॥ #Subhashitam