उसको दरिया किया और उसका किनारा हुआ मैं ,
और फिर कट के उसी दरिया का धारा हुआ मैं ,
जागते जागते इक रात गुज़ारी मैं ने ,
फिर उसी रात के आंचल का सितारा हुआ मैं ।
- शकील आज़मी
और फिर कट के उसी दरिया का धारा हुआ मैं ,
जागते जागते इक रात गुज़ारी मैं ने ,
फिर उसी रात के आंचल का सितारा हुआ मैं ।
- शकील आज़मी