आपको किसने रोका है? आप भी कामयाब हो सकते हो.
आपके अंदर अपने से ज्यादा सफल, अपने से ज्यादा गुणी, अपने से ज्यादा आत्मविश्वासी और अपने से ज्यादा प्राप्त लोगों को देखकर एक हीन भावना का पैदा होना स्वाभाविक है. आप खुद की तुलना उनसे करने लगते हो. आप चिंतित हो अपनी सफलता के लिए ये बात भी ठीक है, क्योंकि सफल तो हर कोई होना चाहते हैं. और आपके अंदर अब ऐसा विचार आ रहा है कि अब आप प्रयास ही नही करना चाहते हो. इस विचार का आना भी स्वाभाविक है. आपके साथ जो भी हुआ है या हो रहा है मैंने वो सब कहने की कोशिश करी है और मैं मान भी रहा हूं कि हां आपका ऐसा सोचना स्वाभाविक है, इसमें आपकी कोई गलती नही है. आप उम्र के जिस पड़ाव पर हैं और आप जो तैयारी कर रहे हैं उसमें ऐसा सोचते ही हैं.
लेकिन आपको इस बात को समझना होगा कि ये सिर्फ आपके साथ नही हो रहा बल्कि ये कई लोगों के साथ किसी न किसी समय होता ही है. लेकिन वो सब लोग हारते नही हैं. हारते सिर्फ वहीं हैं जो खुद से ये कहने लगते हैं कि "मैं कमजोर हूं, मुझसे नही होगा, मेरी किस्मत खराब है, मन नही लगता, मुझमें ही कमी है."
किसी का भी आपसे ज्यादा काबिल होना ये बिल्कुल नही बताता कि आप काबिल नही बन सकते, बल्कि उसका सिर्फ ये मतलब है कि आप जिस भी पड़ाव पर हैं आपमें अभी काबिलियत उससे कम है. और ये काबिलियत आप खुद पर काम कर के, मेहनत कर के हासिल कर सकते हो. ऐसा करने से आपको कोई नही रोक रहा है, और अगर कोई रोक सकता है तो वो सिर्फ आपके विचार हैं. वही विचार जिसमें आपने खुद को कमजोर, नकारा और हारा हुआ पहले से बता रखा है.
मैं ये मानता हूं कि हुनर सबमें नही होता है. लेकिन सिर्फ हुनर वाला ही जीतता है मैं ये नहीं मान सकता क्योंकि जिसमें हुनर है लेकिन मेहनत और लगन नही है वो उनसे हार जाते हैं जिनमें हुनर नही है लेकिन मेहनत, लगन और सीखने की क्षमता है.
उम्मीद करता हूं कि आपको समझ आया होगा कि आखिर आपको कामयाब होने से कौन रोक रहा है.
आपके अंदर अपने से ज्यादा सफल, अपने से ज्यादा गुणी, अपने से ज्यादा आत्मविश्वासी और अपने से ज्यादा प्राप्त लोगों को देखकर एक हीन भावना का पैदा होना स्वाभाविक है. आप खुद की तुलना उनसे करने लगते हो. आप चिंतित हो अपनी सफलता के लिए ये बात भी ठीक है, क्योंकि सफल तो हर कोई होना चाहते हैं. और आपके अंदर अब ऐसा विचार आ रहा है कि अब आप प्रयास ही नही करना चाहते हो. इस विचार का आना भी स्वाभाविक है. आपके साथ जो भी हुआ है या हो रहा है मैंने वो सब कहने की कोशिश करी है और मैं मान भी रहा हूं कि हां आपका ऐसा सोचना स्वाभाविक है, इसमें आपकी कोई गलती नही है. आप उम्र के जिस पड़ाव पर हैं और आप जो तैयारी कर रहे हैं उसमें ऐसा सोचते ही हैं.
लेकिन आपको इस बात को समझना होगा कि ये सिर्फ आपके साथ नही हो रहा बल्कि ये कई लोगों के साथ किसी न किसी समय होता ही है. लेकिन वो सब लोग हारते नही हैं. हारते सिर्फ वहीं हैं जो खुद से ये कहने लगते हैं कि "मैं कमजोर हूं, मुझसे नही होगा, मेरी किस्मत खराब है, मन नही लगता, मुझमें ही कमी है."
किसी का भी आपसे ज्यादा काबिल होना ये बिल्कुल नही बताता कि आप काबिल नही बन सकते, बल्कि उसका सिर्फ ये मतलब है कि आप जिस भी पड़ाव पर हैं आपमें अभी काबिलियत उससे कम है. और ये काबिलियत आप खुद पर काम कर के, मेहनत कर के हासिल कर सकते हो. ऐसा करने से आपको कोई नही रोक रहा है, और अगर कोई रोक सकता है तो वो सिर्फ आपके विचार हैं. वही विचार जिसमें आपने खुद को कमजोर, नकारा और हारा हुआ पहले से बता रखा है.
मैं ये मानता हूं कि हुनर सबमें नही होता है. लेकिन सिर्फ हुनर वाला ही जीतता है मैं ये नहीं मान सकता क्योंकि जिसमें हुनर है लेकिन मेहनत और लगन नही है वो उनसे हार जाते हैं जिनमें हुनर नही है लेकिन मेहनत, लगन और सीखने की क्षमता है.
उम्मीद करता हूं कि आपको समझ आया होगा कि आखिर आपको कामयाब होने से कौन रोक रहा है.