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प्रेम और स्पर्श 😇
-माँ और बेटे में मन मूटाव हो जाये तो वे एक दूसरे से बोलना बंद कर देते हैं ।
-वास्तव में माँ सोचती रहती है, बेटा आ कर मेरे पैरों हाथ लगाये ।
-बेटा सोचता है माँ आ कर सिर पर हाथ क्यों नहीं फेरती है ।
-यह सही है कि छोटों का फर्ज बनता है कि वह बडो के आगे झुके ।
-परंतु झगड़ों को ख़त्म करने लिये अगर बेटा नहीं आ रहा है तो माँ को जा कर सिर पर हाथ फेर देना चाहिये । सब कूछ लौट आयेगा ।
-सास बहू का झगड़ा हो जाये तो दोनो अलग थलग रहती हैं । अगर सास ज्यादा अकड़ू है तो बहू को उसके पास बैठ कर चाय पीनी चाहिये ।
अगर बहू नहीं समझ पा रही है तो सास अपना कप उठाये और बहू के पास बैठ कर चाय पीये । इस से सारे विवाद ख़त्म हो जायेगें ।
-ऐसे ही घर में अपने विपरीत साथी की पहल का इंतजार ना करें । आप पहल कर दो । सब कुछ ठीक हो जायेगा । दूरिया नजदीकियों में बदल जायगी
-सच्चा प्रेम
-प्रेम का अर्थ सिर्फ एक दूसरे को निहारना नहीं है ।
-प्रेम का अर्थ है एक ही दिशा में चलना ।
-अक्सर लोग प्रेम को बंधन मानते हैं ।
-प्रेम और बंधन दोनो विपरीत हैं ।
-प्रेम में बंधन नहीं होता । जो बंधन बनाता है तो वह प्रेम नहीं होता ।
-प्रेम हमे मुक्त रखता है । जिसे हम प्रेम करते हैं उसे अपनी जायदाद मत समझिए ।
-परमात्म प्रेम सब से उतम प्रेम है ।
- स्नेही व्यक्ति के साथ साथ मन में परमात्मा या इष्ट की छवि को देखते रहें उन पर ध्यान लगाये रखे , स्नेही व्यक्ति कभी धोखा नही देगा !
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