ये तन, ये मन सब समर्पण के लिए हीं तो है, सब न्योछावर कर देने के लिए हीं तो है। और जवानी ढल जाने के बाद इसे कौन पूछेगा, इसकी रौनक़ भी फीकी हो जाएगी।
जो ताजगी, जो सम्मोहन, जो मदकता, जो आकर्षण अभी है, वो सब दिन तो नहीं रहेगी। इस जवानी में एक मन का मीत मिल जाये, जो खूब प्रेम करे, अंदर तक, तन को रोज रोमांचित करदे। फिर बुढ़ापा भी उसके साथ कामुक हो जाएगी।
ये जवानी बुढ़ापे की जमा पूंजी है, आज मीत जितनी लेगा, वो बुढ़ापे में देगा भी।
अत: यदि मन का मीत मिले तो उसे अपना बना लीजिये। उसे जी भर प्यार दीजिये, इतनी को वो भी डूब जाये इश्क की दरिया में।
सोचकर देखिये, सही रास्ते मिलेंगे, फिर दो अजनबी एक हो जाएंगे, सात जन्म नहीं, जन्म जन्म के लिए...
✤ Ꭻᴏɪɴ ➛ @Khamoshiya
जो ताजगी, जो सम्मोहन, जो मदकता, जो आकर्षण अभी है, वो सब दिन तो नहीं रहेगी। इस जवानी में एक मन का मीत मिल जाये, जो खूब प्रेम करे, अंदर तक, तन को रोज रोमांचित करदे। फिर बुढ़ापा भी उसके साथ कामुक हो जाएगी।
ये जवानी बुढ़ापे की जमा पूंजी है, आज मीत जितनी लेगा, वो बुढ़ापे में देगा भी।
अत: यदि मन का मीत मिले तो उसे अपना बना लीजिये। उसे जी भर प्यार दीजिये, इतनी को वो भी डूब जाये इश्क की दरिया में।
सोचकर देखिये, सही रास्ते मिलेंगे, फिर दो अजनबी एक हो जाएंगे, सात जन्म नहीं, जन्म जन्म के लिए...
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