ʜɪɴᴅɪ ƘƖ 𝐒ᴀʀɢᴀᴍ🎻🎼


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जीवन में सिर्फ वहाँ तक ही “झुकना” चाहिए,
जहाँ तक सम्बन्धों में “लचकता” और मन में “आत्म सम्मान” बना रहे.
बता दे तेरी एक खुशी ज़िंदगी
लुटा दंगे तुझे हँसाने के लिए
@HindiDayari
🌹🌺ᴊᴀᴀᴛ ɴᴀ ᴘᴜᴄʜᴏ ᴘʀᴇᴍ ᴋɪ🌺🌹

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दुनियां की कोई भी चीज़ इतनी
जल्दी नही बदलती...

जितनी जल्दी इंसान की नियत और
नज़रें बदलती है...!!!

#सुमित 🔥🔥🔥


तुम उसके पास हो जिसको तुम्हारी चाह ना थी,
कहा पर प्यास थी दरिया कहा गया!


#सुमित ♥️


जिक्र बेवफाओं का था आज सर -ए- महफ़िल 

झुका मेरा भी सर जब मेरे यार का नाम आया.....!


#सुमित


अजनबी से मुलाकात का डर नहीं यारा

फिक्र है कि फिर  कोई रिश्ता ना बन जाए..



#सुमित


लोग बदलते नहीं है....

बस उनकी ज़िन्दगी में आपसे कोई बेहतर आ जाता है..!!💯🥀✍🏿


बडी अजीब बात है लोग रोज रंग बदल बदल कर जीते है, होली आती है तो कहते है की मुझे रंगों से एलर्जी है !!


•             🍁•┈✤✤┈•🍁          •
     🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤🖤 
      कभी भी किसी के सामने खुली
                  किताब न बनो,

   Timepass का दौर है, पढ़कर फेंक
                    दिये जाओगे..!
                     🙏😔🙏
_______
        🌺🌺🌺🙏🏻🙏🏻🌺🌺🌺           
 


और वापस लौट कर नहीं आती छत पर लगे जाले व आँगन की धूल हटाने में संकोच आता है।
" तुम्हारी ये सफाई " कहने का मौका
नहीं मिल पाता !!
एक औरत की कमी तब अखरती है
जब कालरों की मैल छुटाने में पसीना छूट जाता है चूडियां साथ में नहीं खनकती
उसका "मेहनतकश" होना याद आता है !!
एक औरत की कमी तब अखरती है
जब घर में देर से आने पर रोटियां ठंडी हो जाती है सब्जियों में तुम्हारी पसंद का जायका नहीं रहता और तुमसे यह कहते नही बनता
"मुझे ये पसंद नहीं "!!
एक औरत की कमी तब अखरती है
जब बच्चा रात को ज़ोर से रोता है आप अनमने से उठ जाते हो और यह नहीं कह पाते
"कितनी लापरवाह हो तुम"!!
एक औरत की कमी तब अखरती है
जब आप रात में अकेले सोते हैं करवट बदलते रहते हैं बगल में पर हाथ धरने पर कुछ नहीं मिलता!!
एक औरत की कमी तब अखरती है
जब त्यौहारों के मौसम में नयी चीज़ों के लिए कोई नहीं लड़ता और तुमसे ये कहते नही बनता
"और पैसे नहीं हैं "!!
एक औरत की कमी तब अखरती है जब आप गम के बोझ तले दबे होते हैं ,
निपट अकेले रोते हैं और आपके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होताआप किसी से कुछ नहीं कह पाते हाँ, औरत की कमी तब अखरती जरूर है...
🖤🖤


एक औरत की कमी तब अखरती है
जब वो चली जाती है, ❤️


इतना आसान नहीं होता
    यूँ पुरुष का जन्म ले लेना,

अनगिनत दुआओं और
बेहिसाब मन्नतों के धागों की
    पैदाइश होते हैं ये पुरुष,

और उस पर भी  ज़िंदा रहने के लिए..
  इन्हें चाहिये
सिंदूर, बिंदी, मंगलसूत्र, बिछिया, लाल चूड़ियाँ और लाल चुनरी,
हरी- हरी मेंहदी  और करवा चौथ/ तीज  /वट सावित्री पूजा के पुख्ता कवच कुण्डल भी....

...तब कही जाकर इनकी ज़िंदगी  सुरक्षित हो पाती है

और औरत.... 
    क्या गज़ब जिजीविषा है औरत में..
     लाखों उपेक्षाओं और बेहिसाब तानों के बाद भी,
    वो जन्म लेती है
    ज़िंदा रहती है
   और जी के दिखा देती है.....

तभी तो देवी कहलाती है !!!! 

🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

करवा चौथ की शुभकामनाएं!


उसका इस कदर पहली बार मिलना
हमारे इश्क का पहला पैगाम था
उसको देखकर इस कदर दिल का धड़कना,
उसको देखकर साँसों का तेजी से चलना
उसकी सजरी जवानी का पैगाम था

उसकी पैरों के पाजेब की छनक
हाथों के खनकते कंगन
उसके मेरे पास होने का एहसास कराते हैं..
उसके माथे का कुमकुम वो मेरी है,
ये भरोसा दिलाते हैं…………

जब वो मेरी लम्बी उम्र के लिए
भूखे पेट रहकर करवाचौथ का व्रत रखती है
तो सच कहता हूँ यारों वो बहुत प्यारी लगती है
ऑफिस में जाकर वो काम करती है
और घर पर जाकर बच्चों का ख्याल रख माँ का धर्म निभाती है

जनता हूँ जीवन के हर सुख-दुख में वो मेरी जीवनसाथी है
खुद कितनी भी परेशान क्यों न हो
अपनी परेशानी का एहसास तक नहीं दिलाती है

अपनी हर ख्वाहिश को मेरे परिवार के लिए
बलि चढा़ देती है
यारों ये पत्नियाँ क्यों हमेशा इतनी अच्छी होती है ?

अगर मेरे आँखो में आ जाए आँसू
तो वो अपने आपको सजा देती है
क्युँकि ये पत्नियाँ बहुत अच्छी होती हैं

इन्हें कभी ना तोड़ना क्योंकि
ये फुल की कलियाँ बडी़ खूबसूरत होती है
क्योंकि ये भी किसी की बेटी
किसी की बहन होती हैं
ये पत्नियाँ बहुत अच्छी होती हैं❤❤❤❤


वो दुल्हन बन कर रुखसत हो गई है...
कहा तक कार का पीछा करोगे... 🥺




आप अकेले रहे॥” श्री कृष्ण कहते हैं जो मनुष्य आप की कदर नहीं करता और ना ही आपका सम्मान करता है, ऐसे मनुष्य के साथ रहने से अच्छा है कि आप संसार में अकेले रहें। बिना श्री कृष्ण के इस संसार में सब कुछ व्यर्थ है हमारा, हम शब्द हैं श्री कृष्ण के और वे स्वयं हमारे शब्दों के अर्थ हैं।

जय श्री राधेकृष्णा


प्रातः वंदन,,,
जीवन में हम कितने ही व्यवस्त क्यो न
हो
हर सुबह अपनों की याद आ ही जाती है
पानी दरिया में हो या आँखों में
गहरायी और राज़ दोनों में होते हैं
सिर्फ शब्दों से न करना
किसी के वजूद की पहचान
हर कोई उतना कह नहीं पाता
जितना समझता और महसूस करता है
इसीलिए खामोशी भी एक तहजीब है
ये संस्कारों की खबर देती है
भीड़ कभी समझदार नहीं होती और
समझदार कभी भीड़ में नहीं होता
अंधेरों की साजिशे
रोज रोज होती है
फिर भी उजाले की जीत
हर सुबह रोज होती है
सुप्रभात,...


खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे... उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ है..ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी दोस्त के साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....

🥸😎 स्कूल में सर के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....

मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे... मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला है इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए😀......

😜बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...

😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने भी दी नहीं.....इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार एक हाथ बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
दिवाली में लोंगी पटाखों की लड़ को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...

😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....वह दोस्त कहां खो गए वह बेर वाली कहां खो गई....वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..

😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...

🙃 कपड़ों में सिलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन क्या था हमें मालूम ही नहीं...हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदत कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,

😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम पर हमारा भी एक जमाना था😛


हमारा भी एक जमाना था...


•••चन्द लड़ाईयाँ•••

उसने कहा
कॉफी पियोगे
मैंने कहा नही
मुझे चाय पसंद है
उसने चाय और कॉफी मिलाकर बनाई
अब ना वो चाय थी ना कॉफी
उसकी ऐसी ज़िद्द
हैरानी और प्यार से भरती है मुझे।

उसने कहा
वेज खाते हो या नॉन वेज़
मैंने कहा शुद्ध शाकाहारी हूँ
फिर उसने
नॉन वेज मेरे सामने बैठकर खाया
मगर बोन लेस।

उसने कहा
चाय पीते वक्त
आवाज़ बहुत करते हो तुम
मैंने कहा हाँ आदत है
फिर उसने कहा
ये आदत कभी मत छोड़ना
चाहे मै भी कहूँ।

उसने कहा
रुमाल क्यों नहीं रखते तुम
मैंने कहा
आदत नही है
उसने कहा
हर वक्त मेरे पास
कॉटन का दुपट्टा नही होता है
आदत बदल लो अपनी।

उसने कहा
फोन क्यों नही रिसीव करते तुम
मैनें कहा
वाइब्रेशन मोड पर था
उसने कहा ये मोड बदलों जल्दी
फोन को रखों रिंगिंग मोड पर
और खुद को वाइब्रेशन मोड पर
आजकल तुम्हें महसूस नही पा रही हूँ मैं।

उसने कहा
कंधे झुकाकर क्यों चलतें हो
मैंने कहा कद की वजह से
उसने कहा
कद, हद, पद, की परवाह मत किया करों
परवाह ही करनी है तो
मेरी गर्दन की करों
जो तुम्हारी वजह से हमेशा
ऊंची रहती है।

उसने कहा
बहुत कम बोलते हो
इतना चुप रहना अच्छा नही होता
मैंने कहा
ऐसा ही हूँ मैं
उसने कहा
ऐसे ही रहना हमेशा
तुम्हें बदलना नही
तुम्हारे संग संवरना चाहती हूँ मैं।

उसने कहा
बाल बहुत छोटे रखते हो
फौज़ में भर्ती होने का
कोई अधूरा सपना है क्या
मैंने कहा
नही लम्बें बाल पसन्द नही है
उसने अनमना होकर कहा
कभी दुसरे की पसंद का भी
ख्याल रखना चाहिए तुम्हें।

उसने कहा
तुम इतने बॉडम से
क्यों भरे रहते हो
मैंने कहा
भरा हुआ ही तो हूँ
खाली तो नही हूँ
उदास होकर वो बोली
थोड़ी जगह खाली करों
मुझे आना है अभी इसी वक्त।

उसने कहा
मुझसे कभी मत मिलना
आज के बाद
मैंने कहा
ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी
वो गुस्सें में भी हंस पड़ी
और बोली
मेरी मर्जी की परवाह करने वाले से
एक बार तो मिलना ही पड़ेगा...!!.


मेरे कृष्ण के तो अवतार ही निराले हैं
पैरों में पायल, हाथों में बंसी,
मोर पंख संग बाल घुंघराले हैं
बचपन में यशोदा मैया को,
शरारतों से बहुत सताया था
जवानी में गोपिकाऔं को,
विरह की पीड़ा से रुलाया था
दो युगौं ने कृष्ण से प्रेम किया,
एक राधा थी, तो कलयुग में मीरा थी
पर दोनों ही प्रेमिकाओं ने,
एक दूसरे से ईर्ष्या ना की
मेरे कृष्ण के हाथों में सुदर्शन चक्र था,
तो मुख में गीता का ज्ञान
जिसे सुनने वाला अर्जुन जैसा योद्धा था,
और कहने वाला विष्णु जैसा भगवान।
आज भी किसी न किसी रूप में,
मेरा कान्हा मेरे संग है।
मेरी मां हो, मेरे बाबा हो,
हर रूप में कान्हा के रंग हैं।

राधेकृष्णा



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