Hindi Top To Top dan repost
हिंदी दिवस की बधाई
"ये हिन्दी"
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये
हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये
हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
पढ़ने व लिखने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-पिता है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये
हिन्दी।
भारतेंदु हरिश्चंद ने स्वदेश प्रेम' स्वभाषा और स्वसंस्कृति की गरिमा पर जोर देते हुए कहा है
:- निज भाषा उन्नति अहै; सब उन्नति
को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न
हिय को सूल।।
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत
प्रवीण।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के
हीन।।
@HindiTopToTop
@BhagwaHindu2
"ये हिन्दी"
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये
हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये
हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
पढ़ने व लिखने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-पिता है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये
हिन्दी।
भारतेंदु हरिश्चंद ने स्वदेश प्रेम' स्वभाषा और स्वसंस्कृति की गरिमा पर जोर देते हुए कहा है
:- निज भाषा उन्नति अहै; सब उन्नति
को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न
हिय को सूल।।
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत
प्रवीण।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के
हीन।।
@HindiTopToTop
@BhagwaHindu2