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लोकसभा में प्रस्तुत: बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024
प्रस्तावना:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 दिसंबर 2024 को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक पेश किया। इसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में शासन, ग्राहक सुविधा, और निवेशक सुरक्षा में सुधार करना है।

### मुख्य संशोधन:
नामांकन में लचीलापन:
➭ खाताधारकों को अब चार नामांकित व्यक्ति रखने की अनुमति।
➭ परिवार के विभिन्न सदस्यों को लाभ देने की सुविधा बढ़ेगी।

लाभांश और बॉन्ड का स्थानांतरण:
➭ दावा न किए गए लाभांश और बॉन्ड को IEPF में स्थानांतरित करने का प्रावधान।
➭ IEPF से दावे या रिफंड की सुविधा।

'पर्याप्त ब्याज' की नई परिभाषा:
➭ निदेशक पद के लिए 'पर्याप्त ब्याज' की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़।
➭ यह सीमा 60 वर्षों से अपरिवर्तित थी।

सहकारी बैंकों के लिए प्रावधान:
➭ निदेशकों के कार्यकाल को 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किया जाएगा।
➭ केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशकों को राज्य सहकारी बैंक बोर्डों में सेवा करने की अनुमति।
➭ संविधान के 97वें संशोधन (2011) के साथ सहकारी बैंकों का संरेखण।

वैधानिक लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक में लचीलापन:
➭ बैंकों को अपने वैधानिक लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक तय करने की स्वतंत्रता।

विनियामक रिपोर्टिंग तिथियों में बदलाव:
➭ रिपोर्टिंग तिथियों को हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख के रूप में पुनर्परिभाषित किया जाएगा।

गवर्नेंस में सुधार:
➭ RBI को समय पर रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने का प्रावधान।
➭ सार्वजनिक बैंकों में ऑडिट गुणवत्ता सुधारने के उपाय।

### विधेयक के लाभ:
ग्राहक सुविधा में सुधार:
➭ नामांकन में लचीलापन और IEPF के जरिए रिफंड।

निवेशकों की सुरक्षा:
➭ 'पर्याप्त ब्याज' की नई सीमा और IEPF प्रावधान।

गवर्नेंस और पारदर्शिता:
➭ सहकारी बैंकों और RBI की बेहतर निगरानी।

सार्वजनिक और सहकारी बैंकों में सुधार:
➭ सहकारी बैंकों के निदेशकों को अधिक लचीलापन।
➭ सार्वजनिक बैंकों के ऑडिट में पारदर्शिता।

आर्थिक स्थिरता:
➭ बैंकिंग सुधारों से आर्थिक विकास और स्थिरता।

### संभावित चुनौतियां:
क्रियान्वयन:
➭ बैंकों को संरचनात्मक बदलाव करने की आवश्यकता।

सहकारी बैंकों की क्षमताएं:
➭ नई जिम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षण और संसाधनों की जरूरत।

### निष्कर्ष:
यह विधेयक भारतीय बैंकिंग प्रणाली को अधिक मजबूत, पारदर्शी और ग्राहक-अनुकूल बनाने का प्रयास है। इससे बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक सुधार होंगे और जमाकर्ताओं, निवेशकों, तथा सहकारी बैंकों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद को संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करने की शक्ति है।
अतः संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के तहत समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को शामिल करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी।
पीठ ने कहा प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है, यह उसमे अलग नहीं है।
अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन की शक्ति प्रस्तावना तक भी फैली हुई है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान की प्रस्तावना को अपनाने की तिथि संसद की प्रस्तावना में संशोधित करने की शक्ति को सीमित नहीं कर सकती


संविधान को स्वीकार करने की तारीख अनुच्छेद 368 के तहत सरकार की शक्तियों को सीमित नहीं करती।






UGC NET/JRF (LAW) dan repost
LL.M.


UP APO 2022 cut off


UPPSC APO की मार्कशीट व कटऑफ जारी


UGC NET/JRF (LAW) dan repost
दोनों प्रश्न को हटा दिया गया है


UGC NET/JRF (LAW) dan repost
इस प्रश्न में बदलाव हुआ है
विकल्प 2 की जगह सही विकल्प 1 है

20 ta oxirgi post ko‘rsatilgan.