बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है ?
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है ?
सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल,
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ?
ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख,
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ?
दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी,
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ?
@pyarkidhun ❤️