सबकी सविता भाभी ❤


Kanal geosi va tili: Hindiston, Hindcha


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काकी हंसने लगीं.
बापू ने कहा- हंस क्यों रही है?
काकी ने कहा- तेरी लुगाई छन्नो ने मुझे बताया था कि बहू को पीस कर रख देता है तेरा लौंडा.
मैं चकित था और सोच रहा था कि इसका मतलब मेरी बीवी ने मेरी मां को अपनी चुदाई के बारे में सब बताया था.
कुछ पल बाद काकी की आंह आह की तेज आवाज आने लगीं, तो मैं फिर से बापू और काकी की चुदाई देखने लगा.
अब काकी ने अपनी आवाज अपने होंठों में दबा ली थी और वो नीचे से गांड उठा कर चुदाई का मजा लेने लगी थीं.
उनकी कामुक आवाजें धीरे धीरे आ रही थीं- आ उ आई आम उई … और चोदो आह चोदो.
थोड़ी देर बाद काकी चुप हो गईं क्योंकि उनका काम हो गया था.
उन चुप होने के थोड़ी देर बाद बापू भी उन पर लेट गए थे.


बापू- अच्छा मैं तुझे इतना अच्छा लगता हूँ?
काकी- हां लल्लू, गांव की न जाने कितनी औरतों के लिए तू रामबाण औषधि है.
बापू हंसने लगा और बोला- क्यों किस किस ने बताया तुझे?
काकी हंस कर बोली- सबसे पहले तो उसी चौधरन ने बताया था, जिसके खेत पर तू मुझे पेलता है.
बापू- चल अब वो सब छोड़, जल्दी से नंगी हो जा बुधिया … तेरी चूत चाटनी है.
काकी खुश हो गईं.
उन्होंने अपनी साड़ी ऊपर कर दी और अपनी चूत खोल कर चित लेट गईं.
काकी ने चूत पर हाथ फेर कर कहा- आ जा मेरे शेर चढ़ जा मेरे ऊपर.
बापू ने काकी की चूत पर हाथ फेरा और बोला- एक दिन तेरी फसल काटना है. बड़ी बड़ी झांटें चाटने में मुँह में लगती हैं.
काकी- बाल सफा साबुन ले आना. मैं खुद कुँए पर साफ़ कर लूंगी.
‘हां ले आऊंगा.’
कुछ देर मैं दरवाजे पर खड़ा रहा. मेरे लंड में आग लग गई थी.
मैंने सोचा कि बीवी पर चढ़ जाऊं.
पर आज काकी की चुदाई देखने का लोभ न छूटा.
मैंने एक बार बीवी की तरफ देखा और वापस हॉल में नजर गड़ा दी.
पांच मिनट बाद जब बाहर की हॉल की लाइट बन्द हो गयी, तो मैं समझ गया कि अब कुछ न कुछ कबड्डी होने लगी है.
मैं धीरे से वापस पर्दे में हॉल में देखने लगा.
अभी बापू और काकी में कबड्डी शुरू नहीं हुई थी. मेरे बापू और पड़ोस की काकी आपस में चुम्मी कर रहे थे.
उनको चुम्मी करता देख कर मेरा लंड वापस खड़ा हो गया था.
फिर मैंने देखा कि धीरे धीरे बापू ने काकी की टांगें फैला दी थीं और उनकी चूत पर अपना मुँह ले गए.
काकी ने भी टांगें पूरी फैला दी थीं और बापू ने अपनी जीभ काकी की चूत पर लगा दी थी.
अब वो मस्ती से काकी की चूत चाट रहे थे. काकी की कामुक आवाजें धीरे धीरे निकल रही थीं- आ ऊ ई आई और करो उइ मां और अन्दर जीभ डालो लल्लू … बहुत मजा आ रहा है.
मेरा बापू काकी की चूत के मजे ले रहा है, ये देख कर मेरा लंड आन्दोलन करने लगा.
मैं अपने लंड को हिलाने लगा.
कुछ ही पलों में में मेरे लंड से आपने आप ही वीर्य बाहर निकल गया.
मैं आखें बंद करके अपने लंड के स्खलन का मजा लेने लगा.
एक दो पल बाद जब लंड से पानी निकल गया, तो मैंने पर्दे से हाथ पौंछे और काकी की तरफ देखा.
उधर काकी की गांड उठने लगी थी और वो भी झड़ने को आ गई थीं.
काकी ने मेरे बापू का सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था और ‘हूँ ऊं उं चाट ले साले … आह लल्लूऊ … मैं गई आह.’ दबी आवाज में चिल्ला रही थीं.
बस ये कहते हुए काकी की चूत से पानी निकल गया और वो थोड़ी शांत हो गईं.
फिर बापू ने अपना 6 इंच का लंड हाथ में लिया और हिलाया.
काकी की आंखें खुल गई थीं. काकी ने बापू के लंड को देखा तो उनकी आंखें चमक उठीं और उन्होंने मेरे बापू का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया.
बापू ने भी अपना लंड काकी के मुँह में दे दिया.
काकी लंड को मुँह में ऐसे ले रही थीं जैसे कोई रंडी लंड चूस रही हो.
बापू भी काकी के गले में अन्दर तक लंड पेल रहा था.
काकी भी बापू के गोटे पकड़ कर सहला रही थीं और बापू की आंखें मस्ती में बंद थीं.
बापू काकी के सर के बाल पकड़ कर उसके मुँह में लंड दबादब पेले जा रहा था.
कमाल की बात ये थी कि मेरा छोटा भाई बापू के बिस्तर के बाजू में ही टांगें फैलाए खर्राटे ले रहा था.
थोड़ी देर के बाद काकी बोली- लल्लू, अब झंडा फहरा दे … बड़ी आग लगी है.
बापू ने कहा- हां बुधिया, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता. चल सीधी लेट जा.
काकी ने लंड मुँह से निकाला और चूत पसार कर लेट गईं.
बापू ने काकी को चुदाई की पोजीशन में अपने नीचे लिटाया दिया और उनकी चूत में लंड एक ही झटके में डाल दिया.
‘उई मां मर गई … साले एकदम से पेल देता है … धीरे से नहीं पेल सकता.’
बापू ने काकी का एक हॉर्न दबाया और बोला- साली, तेरी मखमली चूत में एक झटके में ही लंड पेलने में मजा आता है.
अब तक काकी ने लंड झेल लिया था.
उसने बापू से पूछा- क्यों और दूसरी क्या मजा नहीं देती हैं?
बापू- तेरे अलावा बस चौधरन ही मजा देती है … बाकी की तो सब साली लंडखोर हैं. सत्तर लंड खाए बैठी हैं.
काकी हंसने लगीं.
बापू- अब तुझे भी मेरे लंड से ही मजा आता है तो तू किसी और लौड़े को घास नहीं डालती है.
काकी- लल्लू, मुझे अपनी इज्जत का भी ख्याल रहता है. विधवा हूँ, अगर मेरे बारे में ऊलजुलूल खबर फ़ैल गई तो हर कोई मेरी सवारी के लिए लंड उठाए घूमेगा.
मेरा बापू हो हो करके हंसने लगा और काकी की चूत में ताबड़तोड़ लंड पेलने लगा.
फिर बापू ने पूछा- अब एकाध जवान लंड की भूख हो तो बताईओ बुधिया.
काकी- जवान लंड … तेरा मतलब क्या है लल्लू?
बापू की आवाज मेरे कानों में बम फोड़ती हुई सुनाई दी- मेरा बड़ा लड़का भी गबरू हो गया है. बहू को पीस कर रख देता होगा.


देसी औरत की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने अपने बापू को पड़ोस की एक सेक्सी विधवा औरत की चूत चुदाई करते देखा अपने ही घर में आधी रात को!
दोस्तो, मेरा नाम आरुष है ओर में खरगोन जिले के बड़गांव में रहता हूं.
मैं आज जिस सेक्स कहानी का जिक्र कर रहा हूँ, उसके बारे में मैंने बहुत दिन तक सोचा कि लिखूं या नहीं … पर अन्तर्वासना जैसी साईट पर अपने विचार लिखने में मुझे कोई हर्ज नहीं दिखा तो मैंने देसी औरत की चुदाई कहानी लिखने का मन पक्का कर लिया.
मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ. मेरे घर में मैं, मेरी बीवी, एक छोटा भाई और मां बाप रहते हैं.
मेरी शादी हुए अभी कुछ महीने ही हुए हैं.
मेरे घर में एक कमरा ही है जो मेरे लिए है.
हालांकि उसमें अभी दरवाजा नहीं लगा है, तब भी हम दोनों मियां बीवी काम चला लेते हैं.
कमरे के बाहर एक हॉल है, जिसमें घर के बाकी सदस्य सोते हैं.
यh बात उस दिन की है जब मेरी मां छन्नो राखी बांधने मेरे मामा के घर गई थीं.
उस दिन मेरे बापू लल्लू राम जी, मेरी मां को बस अड्डे पर छोड़ आए थे.
मां बस से अकेली चली गई थीं.
शाम को मेरी बीवी ने खाना बनाया और हम सबने साथ में बैठ कर खाना खाया.
खाना के बाद हम सब सोने की तैयारी करने लगे.
बापू और भाई बाहर हॉल में सो गए और मैं व मेरी पत्नी रूम में सो गए.
कमरे का पर्दा डालकर मैंने बीवी की चुदाई की और वो मेरे लंड से तृप्त होकर सो गई.
रात गहरा गई थी तो सब सो गए थे.
मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं मोबाइल चला रहा था. मैं मोबाइल में अन्तर्वासना साईट खोल कर सेक्स कहानी पढ़ रहा था.
बाहर बारिश होने लगी थी.
रात करीब 11:45 बजे मेरी पत्नी की नींद खुली तो उसने मुझसे कहा कि लाइट बन्द कर दो.
मैं भी उठा और लाइट बन्द करने आ गया.
मैंने लाइट बन्द कर दी और सोचा कि एक बार बाहर हॉल में भी देख लूँ.
मैंने धीरे से पर्दे को हटाया तो देखा कि पड़ोस की काकी मेरे घर में दरवाजा खोल कर अन्दर आ रही थीं.
मैंने चौंक गया और सोचा कि इतनी रात को यहां क्या करने आई होंगी?
काकी अन्दर आईं और मेरे बापू के बगल में लेट गईं. मेरी खोपड़ी घूम गई कि काकी मेरे बापू के बाजू में क्यों लेट गईं.
ये काकी मेरे पड़ोस में रहती थीं और विधवा थीं. हालांकि आजतक मैंने काकी को किसी गलत नजरिये से नहीं देखा था मगर आज समझ आ रहा था कि काकी तो अभी भी जवान माल थीं.
मेरे दिमाग में उनकी फिगर घूमने लगी थी. काकी के उठे हुए दूध और तनी हुई गांड का ध्यान तो मेरी निगाह में आज ही घूमा था.
उनका जिस्म भी एकदम ठोस था. कहीं से भी उनकी चवालीस साल की उम्र उन पर हावी नहीं दिखती थी.
हां बस गांव का पहनावा जरूर कुछ ऐसा था कि वो उम्रदराज लगती थीं.
उनकी विधवा होने की स्थिति भी उन्हें ज्यादा बनाव शृंगार करने की इजाजत नहीं देती थी.
तभी काकी की हल्की सी आवाज आई- क्या उखाड़ ही लोगे?
मेरा ध्यान भंग हुआ और मैंने वापस हॉल में नजरें गड़ा दीं.
बापू के हाथ काकी के मम्मों पर लगे हुए थे और वो काकी के पीछे से उनकी चूचियों की मां चोद रहे थे.
काकी कसमसा रही थीं और मेरे बापू के आगोश में गड़ी जा रही थीं.
बापू भी मस्ती से काकी ब्लाउज के बटन खोल चुके थे और बिना ब्रा की काकी की भरी हुई नारंगियों को मसकने मसलने का मजा ले रहे थे.
बापू- बुधिया, दूध तो पिला दे.
काकी- तो पी लो न लल्लू … मना किसने किया है.
ये कह कर बुधिया काकी बापू की तरफ घूम गईं और उन्होंने अपना एक दूध बापू के मुँह की तरफ बढ़ा दिया.
बापू ने बिना एक पल की देरी किए बिना अपना मुँह बुधिया काकी के एक मम्मे के काले जामुन से चूचुक पर लगा दिया.
काकी के मुँह से एक मीठी सी आह निकली और उनके हाथ ने मेरे बापू के सर को अपने मम्मे पर कस लिया.
बापू भी किसी छोटे से बालक की तरह काकी के दूध को चुसुक चुसुक कर पीने लगे.
अपनी एक टांग उठाकर काकी ने बापू की टांग पर रख दी और दूध चुसवाने का मजा लेने लगीं.
काकी- मजा आ रहा है लल्लू.
‘हां बुधिया आज पूरे दस रोज बाद मिली हो.’
‘सच में उस दिन चौधरी के ट्यूबबैल पर पेला था, उसके बाद से खुजली नहीं मिटी.’
बापू- क्यों चौधरी ने नहीं पेला तुझे?
काकी- चुप कर साले … हटा मुँह, अब ये दूसरा वाला चूस.
बापू ने एक दूध से मुँह हटाया तो काकी ने दूसरा थन मुँह से लगा दिया.
उधर बापू ने काकी की साड़ी जांघ तक सरका दी तो काकी ने भी अपना हाथ बापू के लंड पर रख दिया और वो बापू के लंड को सहलाने लगीं.
बापू- क्या हुआ बुधिया तूने बताया नहीं?
काकी- क्या?
बापू- वही … चौधरी ने नहीं पेला?
काकी- लल्लू तुझे मालूम तो है. उसका दम कितना सा है … फुच्च फुच्च करके खत्म हो जाता है. वो तो उसके खेत पर तेरे साथ मजा मिल जाता है इसलिए उसके साथ सोना पड़ता है. नहीं तो मैं घास भी न डालूँ उसे.


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वह सोच भी नहीं सकती कि रंजीत उसकी गांड चोदने वाला है।
अब रंजीत ने अपना लंड उसकी गांड के छेद के ऊपर रख दिया और वंदना की कोई प्रतिक्रिया होने से पहले, उसने एक झटके से वंदना की गांड में अपना लंड डाल दिया।
वंदना दर्द से उछल पड़ी, वह मिस्टर रंजीत से गुहार लगा रही थी कि इस राक्षस के लंड से उसकी गांड मत चोदो।
वह रंजीत से कह रही थी कि उसकी गांड इतना बड़ा लंड सह नहीं सकती लेकिन वह सुन नहीं रहा था।
एक और झटके से अब आधे से ज्यादा लंड वंदना की गांड के अंदर था।
वह दर्द से कराह रही थी लेकिन मिस्टर रंजीत रुके नहीं।
रंजीत उसके दर्द को कम करने के लिए वंदना के स्तन के निप्पल को सहलाने लगा।
अभी मेरी पत्नी का दर्द कम हो गया था और अब वह अच्छा महसूस करने लगी थी।
वह एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी।
यह देखकर रंजीत समझ गया कि वंदना की गांड ने रंजीत के लंड का स्वागत कर लिया है और अब वंदना अपनी गांड की चुदाई के लिए तैयार है।
अब वह वंदना की गांड में अपना लंड सहलाने लगा और गांड चोदने लगा।
वंदना भी अपनी गांड चुदाई का मजा लेने लगी।
वह खुशी से कराह रही थी।
वंदना की गांड में आधे से ज्यादा लंड डालकर रंजीत उसकी गांड चोद रहा था। वंदना को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतना बड़ा लंड अब उसकी गांड में था।
अब एक और झटके से रंजीत का पूरा लंड वंदना की गांड के अंदर था।
रंजीत के अचानक हुए इस हमले से मेरी पत्नी फिर से दर्द और आश्चर्य से उछल पड़ी।
वह रंजीत से अपने लंड का कुछ हिस्सा उसकी गांड से बाहर निकालने का अनुरोध कर रही थी। वह अब हांफ रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड में एक गर्म मोटी रॉड डाली गई हो।
रंजीत का बड़ा लंड अपनी गांड में डाल कर वंदना अपनी पोजीशन नहीं बदल पा रही थी।
वंदना को आराम देने के लिए रंजीत फिर से वंदना की चूत को सहलाने और उसके स्तन दबाने लगा।
5 मिनट के बाद वंदना सहज महसूस करने लगी। वह फिर से आनंद लेने लगती है।
अब रंजीत का लंबा मोटा लंड वंदना की गांड में था।
मिस्टर रंजीत धीरे-धीरे उसकी गांड चोदने लगे।
मेरी Xxx वाइफ वंदना दर्द और खुशी के मिश्रण से कराह रही थी।
अब रंजीत ने अपनी गति बढ़ा दी।
एक झटके में उसका आधा लंड वंदना की गांड से बाहर आया और अगले झटके में फिर से वंदना की गांड में चला गया।
मेरी पत्नी खुशी से कराह रही थी। वह अपने गांड के छेद की ऐसी जबर्दस्त चुदाई की कल्पना भी नहीं कर सकती थी।
अब हर झटके में रंजीत वंदना की गांड से अपना पूरा लंड निकालता था और एक ही झटके में वंदना की गांड में पूरा लंड डाल देता था।
उसने इस तरह के स्ट्रोक को 15 मिनट तक जारी रखे।
उसकी जबर्दस्त गांड चोदने के कारण वंदना की चूत गीली हो गयी थी और उसकी चूत से रस बह रहा था।
उसका पूरा शरीर खुशी और आनंद से कांप रहा था।
मिस्टर रंजीत ने उसकी गांड को आधा घंटे तक चोदा और अपना वीर्य उसकी गांड में डाल दिया।
वंदना की गांड रंजीत के वीर्य से भरी हुई थी और उसकी गांड का छेद 3 इंच खुला था।
अब वंदना जुनून के साथ रंजीत के लंड चुंबन कर रही थी।
वह रंजीत को उसे अपने साथ रखने का अनुरोध कर रही थी।
यह सब सुनकर मैं पूरी तरह हैरान रह गया।
मेरी पत्नी इस प्रकार की जबर्दस्त चुदाई के कारण ही अपने पति और बच्चों को छोड़ने के लिए तैयार थी।
रंजीत ने मेरी पत्नी से कहा- तुम्हें अपने परिवार को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है, मैं तुमको और तुम्हारे पति को मनाली में अच्छी उच्च वेतन वाली नौकरी की पेशकश करूंगा। तो तुम अपने परिवार के साथ मनाली में रहना शुरू कर सकती हो। मैं तुम्हें अपने एक होटल का मैनेजर बनाऊँगा। बदले में तुम मेरी रखैल बन जाओगी और मैं जब चाहे तब तुम्हें चोदूँगा।
मेरी पत्नी ने रंजीत के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
मैं अपनी पत्नी के व्यवहार से बहुत हैरान था।
लेकिन वास्तव में मैंने भी शो का आनंद लिया था।
इसके अलावा मुझे पता है कि इस तरह के लंड द्वारा चुदाई का स्वाद चखने के बाद कोई भी महिला उस लंड को नहीं छोड़ सकती।
इसलिए स्थिति से समझौता करना ही बेहतर होगा।
साथ ही इस प्रस्ताव में हमें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां भी मिल रही थीं।
अब रंजीत और मेरी पत्नी दोनों थक गए थे और बिना कपड़े पहने एक दूसरे को गले लगाकर बिस्तर पर सो गए।
अब मैंने मॉनिटर बंद कर दिया और अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर सो गया।
सुबह जब मैं नींद से जागा तो मेरी पत्नी मेरे साथ बिस्तर पर थी।
उसने मुझसे कहा- मेरी सहेली दिल्ली के लिए जल्दी निकल गयी थी. मैं सुबह 6 बजे कमरे में आई।
उसने मुझे यह भी बताया कि उसकी सखी के कनेक्शन के कारण हम दोनों को मनाली में बहुत अच्छी नौकरी मिली है, इसलिए हम मनाली में शिफ्ट हो जाएंगे।


वह मिस्टर रंजीत से उसे चोदना शुरू करने का अनुरोध कर रही थी।
लेकिन रंजीत चुदाई के लिए तैयार नहीं था और वंदना को चिढ़ाना चाहता था।
रंजीत ने उसे अपने बड़े लंड के साथ चुदाई करवाने से इन्कार करने के लिए खेद महसूस करने के लिए कहा, तभी वह उसे चोदेगा।
तो वन्दना ने खेद प्रकट किया और उसे कहा कि वह उसे जैसे चाहे वैसे चोद सकता है।
अब मिस्टर रंजीत ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और अपने लंड के ऊपर चूत के छेद पर रख दिया।
लंड बहुत बड़ा और मोटा था।
जोर से लंड का छोटा सा हिस्सा वंदना की चूत में घुस गया।
उसकी चूत का मुँह अब खुला हुआ था।
उसे दर्द हो रहा था इसलिए उसने लंड को बाहर निकालने के लिए अपनी चूत को दूर रखने की कोशिश की।
मिस्टर रंजीत को इसकी उम्मीद थी और उसने मेरी पत्नी को बहुत कसकर पकड़ रखा था ताकि वह दूर न जा सके।
उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे और वह मिस्टर रंजीत से उसका लंड अपनी चूत से बाहर निकालने का अनुरोध कर रही थी क्योंकि इससे उसे बहुत दर्द हो रहा था।
लेकिन उसके अनुरोध को अनदेखा करते हुए रंजीत ने एक और झटका दिया और अब लगभग 5 इंच का लंड मेरी प्यारी पत्नी के अंदर था।
अचानक हुए इस हमले से वंदना की आंखें खुल रह गईं और वह दर्द से चीख पड़ी।
रंजीत उसके दर्द को कम करने के लिए उसे चुंबन देता है। वह उसके स्तन के निप्पल को भी दबा रहा था।
कुछ समय बाद वंदना का दर्द कम हुआ और वह आनंद लेने लगी।
उसकी चूत का रस निकल रहा था।
यह देखते ही मिस्टर रंजीत मेरी पत्नी की चूत में धीरे-धीरे अपना लंड डालने लगे।
अब वंदना खुशी से कराहने लगी और दूसरी ओर मिस्टर रंजीत ने अपने स्ट्रोक की गति बढ़ा दी।
मेरी Xxx वाइफ अपनी चूत में इतना बड़ा लंड लेकर एन्जॉय कर रही थी लेकिन वह अगले कदम से अनजान थी।
फिर भी रंजीत का पूरा लंड वंदना की चूत में नहीं था और मेरी पत्नी के अंदर 5 इंच के लंड से 10 मिनट चोदने के बाद, बिना किसी चेतावनी के रंजीत ने शेष लंड को वंदना की चूत में एक झटके में डाल दिया।
अब मेरी पत्नी के अंदर 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड था।
वह आश्चर्य से उछल पड़ी, लंड उसकी चूत के अंदर गहराई तक छू रहा था, वंदना अपनी चूत के अंदर एक घोड़े के लंड की तरह महसूस कर रही थी।
थोड़ी देर रुकने के बाद मिस्टर रंजीत अपने पूरे लंड से वंदना की चूत चोदने लगे।
अब वंदना सातवें आसमान पर थी। वह खुशी से जोर-जोर से कराह रही थी।
उसने मिस्टर रंजीत को दोनों हाथों से पकड़ रखा था और अपनी चूत को लय में घुमाने लगी।
रंजीत ने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी। वह उसे और 20 मिनट तक चोदता रहा।
इस जबर्दस्त चुदाई से वंदना पागल हो रही थी।
अब रंजीत बिस्तर पर लेट गया और वंदना उसके ऊपर आ गई और रंजीत का लंड अपनी चूत में लेकर चोदने लगी।
रंजीत अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबा रहा था।
10 मिनट की चुदाई के बाद मिस्टर रंजीत ने वंदना की चूत में वीर्य भर दिया।
अब दोनों निढाल हो गए थे और एक दूसरे को गले लगाकर बिस्तर पर लेट गए।
वंदना की चूत से रंजीत का वीर्य निकल रहा था।
एक बहुत बड़े लंड के साथ चुदाई के बाद उसकी चूत का मुँह चौड़ा खुला था।
मिस्टर रंजीत ने ड्रिंक बनाया, खुद लिया और मेरी पत्नी को भी ड्रिंक दिया।
उसने ड्रिंक ले लिया।
फिर मेरी पत्नी ने अपना मोबाइल उठाया और मुझे फोन किया और कहा कि उसकी सहेली अकेली है और वह आज रात उसके साथ रहेगी और सुबह मुझसे मिलेगी।
मैंने आज रात उसे उसकी सहेली के साथ जाने की अनुमति दी और उससे कहा- मैं आज रात कुछ महत्वपूर्ण कार्य समाप्त कर दूंगा। तो कल हम बिना किसी रुकावट के साथ रह सकते हैं और छुट्टी का आनंद ले सकते हैं।
अब 15 मिनट आराम करने के बाद मिस्टर रंजीत का लंड फिर से सख्त हो रहा था।
मेरी पत्नी रंजीत के लंड को सहलाने लगी।
रंजीत भी मेरी पत्नी की चूत सहलाने लगा।
5 मिनट के बाद वह भी गर्म हो गयी।
अब मिस्टर रंजीत ने मेरी बीवी को डॉगी स्टाइल में आने के लिए कहा।
मेरी बीवी अपने घुटनों और बाहों के बल फर्श पर थी।
मिस्टर रंजीत पीछे से मेरी पत्नी की चूत चाटने लगा।
वह आनंद ले रही थी और फिर से कराह रही थी।
अब वो मेरी बीवी की गांड चाटने लगा।
मेरी पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वह गांड के छेद को चाटता रहा।
तो मेरी पत्नी भी रंजीत द्वारा उसकी गांड के छेद को चाटने का आनंद लेने लगी है।
अब मिस्टर रंजीत ने एक क्रीम ली और वंदना की गांड के छेद पर लगा दी और उसके लंड पर भी कुछ क्रीम लगा दी।
वंदना असमंजस में थी कि ये क्या हो रहा है।
हालांकि वह रंजीत द्वारा अपनी गांड को लोशन से रगड़ने का आनंद ले रही थी। हालाँकि यह उसकी कल्पना से परे था कि उसकी गांड फटने वाली है।


Xxx वाइफ की गन्दी कहानी में मैंने बताया कि मैंने अपनी बीवी को गैर मर्द की बांहों में देखा तो मैं अपनी पत्नी के धोखे और चतुराई से बहुत हैरान हुआ।

में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पत्नी को लेकर मनाली घूमने गया. हम डिस्को हॉल में गए। वहां पर मैंने अपनी बीवी का एक अलग ही रूप देखा. वो गैर मर्द की बांहों में थिरक रही थी और उसकी सारी अश्लील हरकतें हंस कर बर्दाश्त कर रही थी.
अब आगे Xxx वाइफ की गन्दी कहानी:
अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी, यह मेरी पत्नी वंदना थी।
उसने मुझसे कहा कि वह होटल में अपनी पुरानी महिला मित्र से मिली है और उसके साथ रात का खाना लेगी और उसे देर हो जाएगी इसलिए आप अपना खाना कमरे में ले लें।
मैं अपनी पत्नी के धोखे और चतुराई से बहुत हैरान था।
कैसे इस आदमी ने उसे बहकाया है।
अब मैं स्क्रीन देखना शुरू करता हूं।
10 मिनट बाद मिस्टर रंजीत और मेरी पत्नी कमरे में दाखिल हुए।
दरवाजा बंद करने के बाद रंजीत ने कसकर वंदना को गले लगाया और उसे चूमा।
अब मिस्टर रंजीत मेरी पत्नी का गाण्ड दबा रहे थे और उसकी स्कर्ट उतार दी।
5 मिनट तक उसके हिप्स को दबाने के बाद उसने उसकी पैंटी नीचे कर दी और उसका टॉप उतार दिया।
अब मेरी पत्नी सिर्फ ब्रा में खड़ी थी।
बहुत जल्दी उन्होंने ब्रा भी उतार दी थी।
अब मेरी पत्नी एक अजनबी के साथ एक कमरे में पूरी तरह से नग्न थी, जो उससे अभी कुछ घंटे पहले मिली थी।
वह भी आनंद ले रही थी लेकिन थोड़ा शर्मीला महसूस कर रही थी।
मिस्टर रंजीत ने भी अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में थे।
उसका लंड सख्त हो रहा था।
वंदना मिस्टर रंजीत के अंडरवियर में हाथ डालकर उसके लंड को सहलाने लगी।
मिस्टर रंजीत भी मेरी पत्नी की चूत रगड़ने लगे।
मैं अपनी पत्नी की हरकतें देखकर हैरान था लेकिन उसी का आनंद भी ले रहा था।
अब मिस्टर रंजीत ने अपना लंड मेरी पत्नी के मुँह में डाल दिया और वह उसका लंड चूसने लगी।
वह आमतौर पर मेरा लंड चूसने से बचती है।
चूसने के कारण मिस्टर रंजीत का लंड बड़ा और सख्त होता जा रहा था।
यह लगभग 7 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा था। मैंने किसी भारतीय पुरुष का इतना बड़ा लंड कभी नहीं देखा.
वंदना भी मिस्टर रंजीत के लंड के आकार से हैरान और डरी हुई लग रही थी।
उसने मिस्टर रंजीत से कहा कि वह इस बड़े लंड को अपनी चूत में नहीं ले सकती है इसलिए वह केवल उसका लंड चूसेगी और अपने बड़े स्तनों से चोद देगी।
यह सुनकर मिस्टर रंजीत क्रोधित हो गए और मेरी पत्नी वंदना से कहा- वंदना तुम मेरे कमरे में अपनी मर्जी से आई हो और यहाँ चुदाई के लिए आई हो. तो अब मैं तुम्हारी चूत और गांड दोनों को चोदूँगा। टीमको इस कमरे से सुबह ही निकलने की अनुमति होगी। इसलिए मुझे नाराज़ मत करो और मेरी बात मानो। नहीं तो यह तुम्हारे लिए और तुम्हारे पति के लिए भी अच्छा नहीं होगा।
वंदना डर गई।
उसने फिर उससे कहा कि उसका लंड बहुत बड़ा है। इतना बड़ा लंड उसने अपनी चूत में कभी नहीं लिया। उसने उसे यह भी बताया कि उसके पति का लंड केवल 5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है।
रंजीत ने उससे कहा कि उसके पास 7 इंच का लंड है और वह अपने पूरे लंड के साथ उसकी चूत चोदेगा।
वंदना ने फिर उसे इस बड़े लंड से धीरे से चोदने का अनुरोध किया।
रंजीत ने वंदना से पूछा कि उसके पति के अलावा किसी और ने उसे कभी चोदा है।
वंदना का जवाब मेरे लिए बड़ा सरप्राइज था।
उसने रंजीत को बताया कि बिजनेस टूर के दौरान उसके पिछले बॉस ने उसे कई बार चोदा था। लेकिन पिछले दो साल से सिर्फ उसका पति ही उसे चोद रहा है क्योंकि उसके बॉस का ट्रांसफर दूसरे शहर में कर दिया गया था।
उसने रंजीत को यह भी बताया कि उसे अपने बॉस द्वारा चोदने में मज़ा नहीं आया क्योंकि उसका लंड बहुत छोटा था और लंबे समय तक चुदाई भी नहीं कर सकता था।
लेकिन उसने उसे अपनी नौकरी और पदोन्नति बचाने के लिए उसे चोदने की अनुमति दी थी।
अब उसने मेरी पत्नी को डॉगी अंदाज में डाल दिया और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगा।
वंदना गर्म हो रही थी और बुरी तरह कराह रही थी।
अब वो उसके बूब्स चूसने और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वह खुशी और वासना से जोर-जोर से कराह रही थी और अपनी चूत के अंदर लंड चाहती थी।
उसने मिस्टर रंजीत से अपना लंड अपनी चूत में डालने को कहा।
मिस्टर रंजीत हँसे और वंदना से कहा- मैं तुम्हें अपनी मर्जी से चोदूंगा। इस चुदाई के बाद तुमको बहुत मज़ा आएगा और तुम मुझसे रोज उसे चोदने के लिए कहोगी।
वह उसकी चूत को सहलाता रहा।
मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब थी; उसकी चूत से रस बह रहा था। उसे तुरंत अपनी चूत में लंड की जरूरत थी।

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