भारतीय संविधान में हुए महत्त्वपूर्ण संशोधन -
97वाँ संविधान संशोधन (2011)
इस संशोधन के द्वारा सहकारी समितियों को एक संवैधानिक स्थान एवं संरक्षण प्रदान किया गया संशोधन द्वारा संविधान में निम्नलिखित तीन बदलाव किए गए-
1. सहकारी समिति बनाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार बन गया। [अनुच्छेद-19 (1) ग]
2. राज्य की नीति में सहकारी समितियों को बढ़ावा देने का एक नया नीति निदेशक सिद्धांत का समावेश । (अनुच्छेद-43 ख)
3. 'सहकारी समितियाँ' नाम से एक नया भाग-IX-ख संविधान में जोड़ा गया। [अनुच्छेद-243 यज से 243 यन]
99वाँ संविधान संशोधन (2014 ई.)
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना । (S. C ने रिजेक्ट किया )
100वाँ संविधान संशोधन (2015 ई.)
भारत-बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण।
101वाँ संविधान संशोधन (2016 ई.)
इसके द्वारा वस्तु एवं सेवाकर (GST) को लागू किया गया।
102 वाँ संविधान संशोधन (2018 ई.)
इस अधिनियम द्वारा संविधान में अनुच्छेद 338 ख को जोड़ते हुए 'राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग' के गठन का प्रावधान किया गया है।
103वाँ संविधान संशोधन ,2019
इस संशोधन के माध्यम से सविधान में दो नए अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) को जोड़ा गया है। इस संविधान संशोधन से पूर्व में आरक्षण, सामाजिक व शैक्षिक पिछड़ापन को आधार मानते हुए जातिगत आधार पर ही दिया जाता रहा है, किंतु इस संशोधन के द्वारा 'आर्थिक वंचना' को भी पिछड़ेपन का आधार स्वीकार करते हुए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गयी है।
104वाँ संविधान संशोधन ,2019
इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 (क) में संशोधन करते हुए लोक सभा एवं राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संबंधी प्रावधान को पुनः अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाते हुए इसे 25 जनवरी, 2030 तक के लिए प्रभावी बना दिया गया है।
105वाँ संविधान संशोधन, 2021
इसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने की राज्यों की शक्ति को बहाल किया गया है।
106वाँ संविधान संशोधन, 2023
इसे नारी शक्ति वंदन विधयक भी कहा जाता है। इसके द्वारा लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33% का आरक्षण का प्रविधान किया गया
97वाँ संविधान संशोधन (2011)
इस संशोधन के द्वारा सहकारी समितियों को एक संवैधानिक स्थान एवं संरक्षण प्रदान किया गया संशोधन द्वारा संविधान में निम्नलिखित तीन बदलाव किए गए-
1. सहकारी समिति बनाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार बन गया। [अनुच्छेद-19 (1) ग]
2. राज्य की नीति में सहकारी समितियों को बढ़ावा देने का एक नया नीति निदेशक सिद्धांत का समावेश । (अनुच्छेद-43 ख)
3. 'सहकारी समितियाँ' नाम से एक नया भाग-IX-ख संविधान में जोड़ा गया। [अनुच्छेद-243 यज से 243 यन]
99वाँ संविधान संशोधन (2014 ई.)
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना । (S. C ने रिजेक्ट किया )
100वाँ संविधान संशोधन (2015 ई.)
भारत-बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण।
101वाँ संविधान संशोधन (2016 ई.)
इसके द्वारा वस्तु एवं सेवाकर (GST) को लागू किया गया।
102 वाँ संविधान संशोधन (2018 ई.)
इस अधिनियम द्वारा संविधान में अनुच्छेद 338 ख को जोड़ते हुए 'राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग' के गठन का प्रावधान किया गया है।
103वाँ संविधान संशोधन ,2019
इस संशोधन के माध्यम से सविधान में दो नए अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) को जोड़ा गया है। इस संविधान संशोधन से पूर्व में आरक्षण, सामाजिक व शैक्षिक पिछड़ापन को आधार मानते हुए जातिगत आधार पर ही दिया जाता रहा है, किंतु इस संशोधन के द्वारा 'आर्थिक वंचना' को भी पिछड़ेपन का आधार स्वीकार करते हुए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गयी है।
104वाँ संविधान संशोधन ,2019
इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 (क) में संशोधन करते हुए लोक सभा एवं राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संबंधी प्रावधान को पुनः अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाते हुए इसे 25 जनवरी, 2030 तक के लिए प्रभावी बना दिया गया है।
105वाँ संविधान संशोधन, 2021
इसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने की राज्यों की शक्ति को बहाल किया गया है।
106वाँ संविधान संशोधन, 2023
इसे नारी शक्ति वंदन विधयक भी कहा जाता है। इसके द्वारा लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33% का आरक्षण का प्रविधान किया गया