पता है मुझे ये इश्क़ हमारा, मुकम्मल होगा नहीं
पर ये इश्क़ तुमसे था तो किसी और से होगा नहीं
अकेला था मैं, शायद अकेला ही रह जाऊंगा अब
यादों में तुम हो तो अब साथ कोई और होगा नहीं
हकीक़त ये है कि अब जीना होगा तेरे बगैर, पर
डर ख्यालों का है कि गुज़ारा तेरे बगैर होगा नहीं राही
यकीन मानो कोशिशें लाख की तुम्हें भुलाने की पर
कैसे कहूँ कि इन अश्कों में तू नज़र आया होगा नहीं राही
बेश -बहा है बहुत ये मोहब्बत, ये नाता हमारा कि
तू अब अपना नहीं, तो पराया भी कभी होगा नहीं राही
इश्क़ के बखान में तो कई गजलें लिखी 'राही
पर इश्क़ का दर्द तो तुमने कभी लिखा होगा नहीं
@kataizaharila