आलस्य ज्यादा तर बिकारो को विकसित करता और नए नए विचित्र विचारो को आने का चौतरफा अवसर प्रदान करता हैं।
इसकी नजाने कितनी सखाए हैं जो मानुष को पल भर में अपना स्थान लेने पर मजबूर कर देती हैं, इसका देखा जाय तो इस प्रगतिशील दुनिया में कोई संपुरतः ईलाज नही किंतु इस के जैसी अपरिभाषित चीज को कर्म की करवट से सयोग वश भलीभाती तृप्त किया जा सकता हैं।
कर्म की अनेकों विशेषताएं हैं, इसको ग्रहण करने के उपरांत ही आने वाले कुछ ही दिनों में चहेरे पर तेज और भोहों में अकड़ की कल्पना की जाती है।
कर्म संयोग ही नही, वर्णन पूर्णतः जीवन की उल्लेखित पृष्ठ हैं,
हे मानुष जन तुम सब पर ही यह निर्भर करता है ।
📿@krishnaDiversity
इसकी नजाने कितनी सखाए हैं जो मानुष को पल भर में अपना स्थान लेने पर मजबूर कर देती हैं, इसका देखा जाय तो इस प्रगतिशील दुनिया में कोई संपुरतः ईलाज नही किंतु इस के जैसी अपरिभाषित चीज को कर्म की करवट से सयोग वश भलीभाती तृप्त किया जा सकता हैं।
कर्म की अनेकों विशेषताएं हैं, इसको ग्रहण करने के उपरांत ही आने वाले कुछ ही दिनों में चहेरे पर तेज और भोहों में अकड़ की कल्पना की जाती है।
कर्म संयोग ही नही, वर्णन पूर्णतः जीवन की उल्लेखित पृष्ठ हैं,
हे मानुष जन तुम सब पर ही यह निर्भर करता है ।
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