वेद हो या उपनिषद या योगदर्शन सभी स्थानों पर ओ३म् महिमा ही बताई गई है, फिर इस ईश्वर के मुख्य नाम को क्यों त्यागा हुआ है
ईश्वर, आत्मा, प्रकृति
ईश्वर चेतन आत्मा चेतन किंतु प्रकृति जड़
तभी उपनिषदों में या योगियों के वचनों में यही बताया गया है कि यम नियम का पालन करते हुए धारणा ह्रदय प्रदेश (दोनों फेफड़ों के नीचे की तरफ बीच में जो गड्ढा है) में लगाकर ओ३म् का जाप करना चाहिए
जब धारणा सही बन जाती है तो सांस भिन प्रकार से चलती है , यानी खुद ही प्राणायाम होने लगता है, तभी तो 1 घंटा ध्यान करने के बाद शरीर ऊर्जावान लगता है,
अनिद्रा, तनाव, अतिक्रोध, आदि आदि समस्याएं दूर होती जाती हैं
ओर ध्यान करने वाला अपने पूर्वजों को अपमानित करने से भी बचता है जानते हो कैसे?
मैंने सड़क किनारे कई भगवानों के चित्र पड़े देखें है, उनके साथ क्या क्या होता है मैं क्या ही लिखूं
आप कभी अपने दादा अपने बाप के चित्र को कूडे में नहीं फेंकते किंतु जिन्हें आप ईश्वर मानकर पूजते हो बादमें उन्हें कूड़े में फेंक देते ही या नदियों में डाल कर नदियों को प्रदूषित करते हो
केवल ईश्वर का ध्यान ही उन्नति का मार्ग है बाकी सब पतन का मार्ग है
जो भाई भूत प्रेत को मानते हैं , जब आप ध्यान करेंगे तो भूत प्रेत की समस्या आपको नहीं होगी क्योंकि दिमाग आपका ठीक रहेगा और साथ ही सांसों का महत्व भी समझ आने लगेगा (सांसों का महत्व यानी स्वर विज्ञान)
आप कभी भी देखलेना जो लोग वास्तव में ध्यान करने वाले होते हैं वो कभी डिप्रेशन तनाव जो भी आप बोलते हो इन सब का शिकार नहीं होता ध्यानी व्यक्ति जबकि इसकी तुलना में जड़ को पूजने वाला डिप्रेशन की दवाएं खाता है
इस लेख का मकसद घृणा नहीं है केवल थोड़ा सा जगाना मात्र है, बाकी तो जिसका जैसा विवेक होगा करेगा ही
ईश्वर, आत्मा, प्रकृति
ईश्वर चेतन आत्मा चेतन किंतु प्रकृति जड़
तभी उपनिषदों में या योगियों के वचनों में यही बताया गया है कि यम नियम का पालन करते हुए धारणा ह्रदय प्रदेश (दोनों फेफड़ों के नीचे की तरफ बीच में जो गड्ढा है) में लगाकर ओ३म् का जाप करना चाहिए
जब धारणा सही बन जाती है तो सांस भिन प्रकार से चलती है , यानी खुद ही प्राणायाम होने लगता है, तभी तो 1 घंटा ध्यान करने के बाद शरीर ऊर्जावान लगता है,
अनिद्रा, तनाव, अतिक्रोध, आदि आदि समस्याएं दूर होती जाती हैं
ओर ध्यान करने वाला अपने पूर्वजों को अपमानित करने से भी बचता है जानते हो कैसे?
मैंने सड़क किनारे कई भगवानों के चित्र पड़े देखें है, उनके साथ क्या क्या होता है मैं क्या ही लिखूं
आप कभी अपने दादा अपने बाप के चित्र को कूडे में नहीं फेंकते किंतु जिन्हें आप ईश्वर मानकर पूजते हो बादमें उन्हें कूड़े में फेंक देते ही या नदियों में डाल कर नदियों को प्रदूषित करते हो
केवल ईश्वर का ध्यान ही उन्नति का मार्ग है बाकी सब पतन का मार्ग है
जो भाई भूत प्रेत को मानते हैं , जब आप ध्यान करेंगे तो भूत प्रेत की समस्या आपको नहीं होगी क्योंकि दिमाग आपका ठीक रहेगा और साथ ही सांसों का महत्व भी समझ आने लगेगा (सांसों का महत्व यानी स्वर विज्ञान)
आप कभी भी देखलेना जो लोग वास्तव में ध्यान करने वाले होते हैं वो कभी डिप्रेशन तनाव जो भी आप बोलते हो इन सब का शिकार नहीं होता ध्यानी व्यक्ति जबकि इसकी तुलना में जड़ को पूजने वाला डिप्रेशन की दवाएं खाता है
इस लेख का मकसद घृणा नहीं है केवल थोड़ा सा जगाना मात्र है, बाकी तो जिसका जैसा विवेक होगा करेगा ही