बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना? नहीं बेगानी शादी में हिंदू दीवाना ? वास्तव में कहावत तो अधिकतर हिंदुओ पर सही बैठती है
1 जनवरी खतना दिवस पर पागल होने वालो
ईसा के जन्म की हमे क्यों खुशी मनानी चाहिए? ईसाईकरण कितनी बड़ी समस्या है क्या तुम नहीं जानते?
अंग्रेजो ने अप्रैल में नया साल मनाने वालो को मूर्ख घोषित करने के लिए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित किया, जबकि मार्च अप्रैल में प्रकृति में सब नया होने लगता है पतझड़ से हरियाली छाने लगती है
जबकि 1 जनवरी पर पतझड़ का मौसम बना रहता है ठंड बनी रहती है प्रकृति में कोई बदलाव यानी नयापन देखने को नहीं मिलता, वास्तव में 1 जनवरी ही मूर्खता दिवस है
क्या ईसाई बहुल देश भगवान राम कृष्ण के जनम की खुशियां मनाते हैं? जो भारत के अधिकतर हिंदू 25 दिसम्बर हो या 1 जनवरी खुशी के मारे बावला हुआ जाता है?
सोशल मीडिया पर देश भक्ति की बाते करने वाले भी 1 जनवरी खतना दिवस को पागल हुए जाते हैं
बाते करते हैं ये सनातन धर्म की किंतु अपने बालकों के जन्मदिवस पर सनातन का मुख्य कर्तव्य हवन नहीं करते, अपने त्योहारों पर हवन नहीं करते , अपनी प्राचीन परम्पराओं का त्यागने वाला अधिकतर हिंदू समाज क्या हिंदू राष्ट्र बना पाएगा ?
भारत का ईसाईकरण सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, ईसाई मिशनरियां हिंदुओ को ईसाई बनाकर भारत के नए गद्दारों को जनम दे रही हैं,
हिंदुओ ने अपने विनाश से भी कुछ नहीं सिखा देखो मणिपुर में दो मुख्य विचार धाराएं हैं एक जो सनातन धर्म को मानते हैं दूसरे जो पहले हिंदू थे अब ईसाई मत को मानते हैं , जब सनातन धर्म से विपरीत दूसरी विचारधाराएं ज्यादा होगी तो आपको लूटपाट हत्याएं देश के टुकड़े मारकाट विनाश होते नजर आएंगे
वास्तविकता यही है कि ये बाते ज्यादातर हिंदू सोचता नहीं है , कथनी और करनी में अंतर है , घमंड तो पूरा है किंतु स्वाभिमान जरा सा भी नहीं बचा
अमित आर्य
1 जनवरी खतना दिवस पर पागल होने वालो
ईसा के जन्म की हमे क्यों खुशी मनानी चाहिए? ईसाईकरण कितनी बड़ी समस्या है क्या तुम नहीं जानते?
अंग्रेजो ने अप्रैल में नया साल मनाने वालो को मूर्ख घोषित करने के लिए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित किया, जबकि मार्च अप्रैल में प्रकृति में सब नया होने लगता है पतझड़ से हरियाली छाने लगती है
जबकि 1 जनवरी पर पतझड़ का मौसम बना रहता है ठंड बनी रहती है प्रकृति में कोई बदलाव यानी नयापन देखने को नहीं मिलता, वास्तव में 1 जनवरी ही मूर्खता दिवस है
क्या ईसाई बहुल देश भगवान राम कृष्ण के जनम की खुशियां मनाते हैं? जो भारत के अधिकतर हिंदू 25 दिसम्बर हो या 1 जनवरी खुशी के मारे बावला हुआ जाता है?
सोशल मीडिया पर देश भक्ति की बाते करने वाले भी 1 जनवरी खतना दिवस को पागल हुए जाते हैं
बाते करते हैं ये सनातन धर्म की किंतु अपने बालकों के जन्मदिवस पर सनातन का मुख्य कर्तव्य हवन नहीं करते, अपने त्योहारों पर हवन नहीं करते , अपनी प्राचीन परम्पराओं का त्यागने वाला अधिकतर हिंदू समाज क्या हिंदू राष्ट्र बना पाएगा ?
भारत का ईसाईकरण सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, ईसाई मिशनरियां हिंदुओ को ईसाई बनाकर भारत के नए गद्दारों को जनम दे रही हैं,
हिंदुओ ने अपने विनाश से भी कुछ नहीं सिखा देखो मणिपुर में दो मुख्य विचार धाराएं हैं एक जो सनातन धर्म को मानते हैं दूसरे जो पहले हिंदू थे अब ईसाई मत को मानते हैं , जब सनातन धर्म से विपरीत दूसरी विचारधाराएं ज्यादा होगी तो आपको लूटपाट हत्याएं देश के टुकड़े मारकाट विनाश होते नजर आएंगे
वास्तविकता यही है कि ये बाते ज्यादातर हिंदू सोचता नहीं है , कथनी और करनी में अंतर है , घमंड तो पूरा है किंतु स्वाभिमान जरा सा भी नहीं बचा
अमित आर्य