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तुम रूठो तो मनाऊँ मैं हर बात पर हक़ जताऊँ मैं,
तुम्हें उलझनों से सुलझा करफिर जुल्फ़ों को सुलझाऊँ मैं...
तुम्हें रोक सकूँ मैं खोने से हक़ किसी और का होने से,
जो मेरा है वो बस है मेरा अब इस पर मुहर लगाऊँ मैं...
तेरे ख्वाबों में मैं घर करूँ या तुझको घर बनाऊँ मैं,
हाथ थामूँ उम्र भर को आ तुझको गले लगाऊँ मैं
....!!♥️✨
~poetpapers🤎🌸