•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
पेड़ों के पत्तो से लेकर ,
उड़ते हुए पक्षियों तक।
पानी की बूंदों से लेकर ,
जमे हुए बर्फ तक।
ठहरी हुई जमीं से लेकर,
इन तेज चलती हवाओं तक।
ख़ामोशी से लेकर,
वो तेज ध्वनि के शोरगुल तक।
वो सादे पानी से लेकर,
तेज उबली हुई चाय तक।
मेरी बातो से लेकर,
तेरी यादों तक।
सब तेरे ख्वाबों से लेकर,
मेरी हक़ीक़त तक।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
#Incomplete
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️