मृत इच्छाओं को जीवित कैसे करते हैं? मृत देह को जला देते हैं। मृत इच्छायें जलायी जा सकेंगी? ये सड़ रही हैं मन के भीतर। सोचता हूँ, एक गठ्ठर में बांध के समंदर में फेंक दूँ। कभी खुद को फेंकने गया था, नहीं कर सका था।
इच्छायें मृत हैं। मैं इस काबिल नहीं था कि उन्हे पूरा कर सकता। आज मैं कर सकता हूँ, आज इच्छायें मन की नदी में उतरायी हुई हैं।
इच्छाओं के मर जाने से लोग मर जाते हैं। मैं जीवित हूँ। शायद उम्मीदें जीवित हैं अभी। वह भी मरेंगी। मैं मरूंगा। मुझे कौन जलायेगा? जल सकूंगा मैं आंसूओं का भार लेकर?
ओह! कितना कुछ है जो प्रश्न ही रह जायेगा! ❤️
@kataizaharila