ब्रह्मचर्य


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ब्रह्मचर्य ही जीवन है 🙏🏻
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ब्रह्मचर्य: सफलता और शक्ति का आधार ✨

"ब्रह्मचर्य वह दिव्य ऊर्जा है, जो व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध कर उसे महानता की ओर ले जाती है।"

जो अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा लेता है, वही सच्चा विजेता बनता है। ब्रह्मचर्य केवल संयम नहीं, यह आत्मशक्ति, तेजस्विता और अद्भुत मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का मार्ग है।

➡ संयम अपनाएँ, शक्ति बढ़ाएँ।
➡ ध्यान और सत्संग से मन को स्थिर करें।
➡ सद्ग्रंथों का अध्ययन करें और उत्तम विचारों को धारण करें।

"संयम में शक्ति है, और शक्ति से ही सफलता संभव है"

@Brahmacharyalife




सभी अवश्य पढ़ें ।


ओ३म्

हे परमेश्वर। आप सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान तथा न्यायकारी है। आपने ही मुझे यह जीवन प्रदान किया है। आपके कारण ही मैं विचारने, बोलने, तथा कर्मों को करने में समर्थ हूँ। प्रत्येक क्षण, मन, वाणी और शरीर से किए जाने वाले समस्त कर्मों को आप जानते है। आप से छुप कर मैं कोई भी काम नहीं कर सकता। आपकी अनुभूति मेरी बुद्धि में प्रत्येक क्षण बनी रहे जिससे मैं बुरे कर्मों से और उनके दुखरूप फल से बचकर सुख शांति को प्राप्त करूँ, ऐसी आपसे प्रार्थना है।




वीर्यनाशक रोगों के संबंध में वक्तव्य यह है कि स्वप्नदोष और प्रमेह यह मुख्य दो रोग हैं। हम इनके अधिक विवरण में नहीं जाना चाहते केवल इतना ही कहना है कि 'दूर्विचार, दुराहार और दुर्व्यवहार' से स्वप्नदोष (सोते समय वीर्य का नष्ट होना), प्रमेह (जागृत अवस्था में मूत्र से पहले या पीछे वीर्य का नाश होना) ये दो रोग हो जाते हैं। इन रोगों का मूलकारण मनोविकार है। हम मनोविज्ञान आदि के आधार पर कुछ ऐसी क्रियाएं बतलाते हैं जिससे उक्त रोग दूर हो सकें।

चिकित्सा:-
मिर्ची, खटाई, गुड़,अधिक तेल, अधिक मसाले और बहुत गर्म वस्तुओं का सेवन बिल्कुल न करें,
बाज़ार की मिठाइयों को खाने का अभ्यास भी छोड़ देना चाहिए,
रात्रि को सोते समय पेशाब करके मुंह हाथ धोकर अपने बिस्तर पर अच्छे विचार या ओ३म् का जप करते हुए सो जाना चाहिए,
रात्रि के मध्य में आंख खुलने पर शांत बैठ जाना या ओ३म् का जप करना चाहिए नींद आने पर सो जाएं,
रात्रि को सोते समय कुछ खाना पीना नहीं चाहिए किंतु लगभग 2-3 घंटा पूर्व ही खाना समाप्त कर देना चाहिए और सायं काल का भोजन अत्यंत पेट भर खाना उचित नहीं है,
दिन का सोना भी हानिकारक है,
सदा धार्मिक पुरुषों का संग और धार्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करना अत्यंत आवश्यक है।




🌟 ब्रह्मचर्य: आत्म-विकास का परम मार्ग 🌟

ब्रह्मचर्य केवल जीवन का एक नियम नहीं, बल्कि एक साधना है, जो हमें आत्म-नियंत्रण, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्रदान करती है। यह हमारे जीवन को ऊर्जा और उद्देश्य से भर देता है।

ब्रह्मचर्य पालन के प्रमुख लाभ:

1️⃣ शक्ति और ऊर्जा का संरक्षण: अनावश्यक इच्छाओं पर नियंत्रण से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण होता है।
2️⃣ मनोबल में वृद्धि: आत्म-नियंत्रण से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
3️⃣ ध्यान और एकाग्रता में सुधार: कामनाओं से मुक्त मन गहरी एकाग्रता और ध्यान की ओर प्रेरित होता है।
4️⃣ शुद्ध और उन्नत जीवन: ब्रह्मचर्य व्यक्ति के विचारों और कर्मों को शुद्ध करता है, जिससे जीवन में उन्नति होती है।

कैसे अपनाएं ब्रह्मचर्य?
✔ सकारात्मक आदतें विकसित करें: व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान, और स्वाध्याय को जीवन का हिस्सा बनाएं।
✔ संगति पर ध्यान दें: अच्छे और प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं।
✔ लक्ष्य निर्धारित करें: जीवन में बड़े और ऊंचे लक्ष्यों की ओर ध्यान केंद्रित करें।
✔ इंद्रियों पर नियंत्रण रखें: संयम और अनुशासन से इच्छाओं पर विजय प्राप्त करें।

🌿 जो अपने मन को जीत सकता है, वही सच्चा विजेता है।
आओ, इस मार्ग को अपनाएं और अपने जीवन को दिव्यता से भर दें।

🚩 जय ब्रह्मचर्य 🚩

@Brahmacharyalife




🚨 कुछ कारण जिनकी वजह से आप कभी भी ब्रह्मचर्य पालन नही कर सकते :-

⚠️ ब्रह्मचर्य क्या है इसकी समझ न होना , ब्रह्मचर्य की जगह no fap करना
⚠️ सब कुछ पता होने के बाद भी ब्रह्मचर्य के नियम का पालन न करना , बहाने बनाते रहना
⚠️ मांसाहार या अन्य तामसिक चीजें खाना
⚠️ स्त्रियों से मित्रता रखना
⚠️ किसी कार्य में व्यस्त न रहना , या कुछ ऐसा कार्य करना जिसमे रुचि न हो
⚠️ ब्रह्ममुहुर्त में न उठना , दिन में सोना
⚠️ व्यायाम , प्राणायाम , ध्यान न करना




व्यभिचार से हानियां:-

जो असाधारणरूप में पाप का जीवन व्यतीत करते हैं उनका जीवन बहुत शीघ्र नष्ट हो जाता है और उनके लिए युवावस्था और बुढ़ापे की आयु में कोई भेद नहीं रहता। पापी में साहस नहीं होता।

चारित्र्येण विहीन आढ्योपि च दुगर्तो भवति। (मृच्छकटिकम् 1/43)


अर्थ– चरित्रहीन धनवान् भी दुर्दशा को प्राप्त होता है।




ब्रह्मचर्य का पालन आत्मशक्ति का संचय है, जो जीवन को संयम, शांति और सफलता से भर देता है।


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चर्चा अपने क़त्ल का अब दुश्मनों के दिल में है देखना है ये तमाशा कौन सी मंजिल में है

ब्रह्मचारी रामप्रसाद बिस्मिल जी


कामशत्रु से डरो नहीं, उसके सामने घुटने न टेको को अपितु उससे लड़ो:-

मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है।
डरने वालों को कुछ मिलता नहीं जिंदगी में,
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है।

(यह बात जिंदगी के दूसरे क्षेत्रों में भी लागू होती है।)









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